सीएम ऑनलाईन बनी जांच अधिकारियों की नोट लाईन

 मलेरिया टैक्नीकल सुपरवाईजर की अवैध नियुक्ति मामला 

ललित मुदगल/ शिवपुरी-प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान प्रदेश को स्वर्णिम मप्र बनाने का सपना देख रहे है और इसके लिए निरंतर प्रयास भी कर रहे है। मप्र के निवासियों से सीधे-सीधे जुडऩे के लिए एवं उनकी समस्याओं व समाधान के लिए शिवराज जी ने मप्र जन शिकायत निवारण विभाग का गठन किया है।

इसमें मप्र का कोई भी नागरिक सीधे-सीधे मुख्यमंत्री को अपनी शिकायत कर सकता है। शिवराज जी ने सुशासन के लिए बनाई गई यह जन शिकायत निवारण शासन में बैठे अधिकारी लोगों की भावनाओं से खेल रहे है और जमकर लूटपाट कर रहे है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है।

मप्र शासन के जन शिकायत निवारण विभाग में पी जी क्रमांक पी.जी./266308/2013 के द्वारा एक शिकायत की गई। यह शिकायत मलेरिया टैक्नीकल सुपरवाईजर की भर्ती में अनियमितता एंव गलत आधार पर किए गए चयन के संबंध में, की गई इस शिकायत में शिकायतकर्ता ने मूलरूप से इस संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा किया है।

इस शिकायत में कहा गया है कि राज्य स्वास्थ्य समिति के व्ही.बी.डी.सी.पी.संचालनालय सेवाऐं के पत्र क्रमांक/08/मले./रा.स्वा.स./2012/191/216 भोपाल सुपरवाईजर पद के लिए आवेदन दिनांक 6.08.2012 को दिया गया। प्रार्थी ने सभी अर्हताओं को ध्यान में रखते हुए प्रार्थी ने उक्त आवेदन फाइल किए थे। प्रार्थी शिवपुरी का स्थानीय निवासी होकर मूल निवासी भी है प्रार्थी ने विभाग द्वारा आयोजित की गई लिखित परीक्षा भी दी थी। 

जिसमें टॉप टेन लिस्ट की सूची में गजेन्द्र पुत्र अशोक कुमार सिंघल निवासी कृष्णपुरम कॉलोनी का प्रथम एवं शिकायतकर्ता गजेन्द्र पुत्र सीताराम गौतम निवासी नबाब साहब रोड़, शिवपुरी को 8वें स्थान पर रखा गया था। इस लिखित परीक्षा की सूची में परीक्षाओं के प्राप्तांकों का कोई उल्लेख नहीं किया गया।

शिकायतकर्ता ने शिकायत में कहा कि लिखित परीक्षा के बाद विभाग ने वाय-वाय परीक्षा का आयोजन किया। इस परीक्षा में शिकायतकर्ता व अन्य पात्र उम्मीदवारों को वाय-वाय करदिया गया। विभाग ने वाय-वाय परीक्षा के पश्चात अंतिम सूची जारी की। 

इस सूची में लिखित परीक्षा के टॉप टेन सूची में प्रथम स्थान वाले गजेन्द्र कुमार सिंघल को गायब कर दिया और शिकायतकर्ता को प्रतीक्षा सूची में भेज दिया और लिखित परीक्षा में 15वां स्थान प्राप्त करने वाले विनोद पुत्र बाबूलाल शर्मा निवासी भिण्ड को अंतिम सूची में प्रथम स्थान पर रख दिया गया। इस भर्ती प्रक्रिया की विज्ञप्ति में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी।

इस जांच की जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने तीन सदस्यीय जांच समिति द्वारा कराई गई। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जांच समिति द्वारा संपूर्ण चयन प्रक्रिया की जांच कराई गई एवं प्रतिवेदन दिया जाता है कि शिकायतकर्ता द्वारा चयन प्रक्रिया में पात्र ना होने से द्वेषपूर्ण शिकायत की है। शिकायत असत्य होने से प्रतिवेदन के आधार पर विलोपित किया जाना आवश्यक है।

चलो यह ठीक है जांच अधिकारी ने अपनी जांच में लिखा कि यह शिकायत चयन प्रक्रिया में पात्र ना होने से द्वेषपूर्ण भावना से की गई है। ऐन-केन प्रकरण कुछ भी हो शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में मूलत: यही कहा है कि पात्र को अपात्र कैसे कर दिया? अपात्रों को पात्र कैसे कर दिया गया, अगर यह नियुक्तियां ईमानदारी से होती तो पात्र अपात्र नहीं होता और शिकायत नहीं करता। 

जांच कमेटी ने अपने प्रतिवेदन में यह कहीं भी उल्लेख नहीं किया कि लिखित परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाला अंतिम सूची से कैसे गायब हो गया? 15वें स्थान पर भिण्ड का निवासी शिवपुरी के मूल निवासियों को छोड़कर प्रथम स्थान पर कैसे आ गया। लिखित परीक्षा के प्राप्तांक क्यों घोषित नहीं किए गए थे? शुरू से ही इस चयन प्रक्रिया में गड़बड़झाला हुआ है। ऐसे ही इस शिकायत का जांच प्रतिवेदन तैयार कर भेज दिया गया है।

देखा जाए तो कुल मिलाकर इन सीएम का जन शिकायत निवारण विभाग जांच अधिकारियों की नोट लाईन बन चुकी है। क्योंकि यहां आने वाली कई समस्याऐं इसी तरह की होती है जिसमें जांच करने वाले अधिकारी प्रतिवेदन ही ऐसा बना देते है कि उसमें जांच कुछ और प्रतिवेदन कुछ और कहता नजर आता है बल्कि इसके एवज में अच्छी खासी मोटी रकम ऐंठकर यह जांच अधिकारी स्वयं के ही निहीतार्थ को पूरा कर रहे है।