रघुवंशी के कमबैक होने से बढ़ी भाजपा और विरोधियों की चिंताऐं

शिवपुरी-इन दिनों पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी के कमबैक होने से भाजपा सहित कांग्रेस के ही वीरेन्द्र विरोधियों की चिंताऐं बढऩे लगी है। बीते रोज जहां वीरा में ग्रामवासियों के बीच पहुंचकर ओला से पहुंचे नुकसान के प्रति पूर्व विधायक ने अपनी संवेदनाऐं जताई तो वहीं वीरा के ही ग्रामीणों को पर्याप्त बिजली व्यव्स्था हेतु ट्रांसफार्मर उपलब्ध कराने की बात कही है।

इससे यहां वीरा सहित अन्य ग्राम बिजली की चकाचौंध रोशनी से जगमग होंगें इसके लिए पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने ग्रामीणों को आश्वास्त किया है कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंत्रीत्वकाल में वीरा सहित जिले के अन्य क्षेत्रों में भी पर्याप्त बिजली मिले इसके लिए प्रयास व अन्य योजनाऐं तैयार है जिन पर काम होना बाकी है।

अभी तक ऊहापोह में रहे पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी की अचानक शिवपुरी में सक्रियता से कांग्रेस में उनके विरोधियों में बैचेनी का वातावरण है। अभी तक श्री रघुवंशी शिवपुरी से अधिक कोलारस से टिकिट के आकांक्षी माने जा रहे थे। श्री रघुवंशी कोलारस विधानसभा क्षेत्र के गिंदोरा के निवासी हैं। लेकिन पिछले दिनों एकाएक वीरेन्द्र रघुवंशी ने न केवल शिवपुरी के ओला प्रभावित गांवों का दौरा किया और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने के लिए प्रशासन पर दवाब बनाया।

यही नहीं श्री रघुवंशी ने शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र के बीरा गांव के निवासियों की पॉवर हाउस निर्माण की वर्षों पुरानी मांग श्री सिंधिया से मंजूर कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इससे संकेत मिले कि अब श्री रघुवंशी की प्राथमिकता में शिवपुरी पहले पायदान पर है और वह यहीं से चुनाव लडऩा चाहेंगे। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद शिवपुरी के सिंधिया खेमे में श्री रघुवंशी के विरोधी तेजी से सक्रिय हो गए हैं और यह योजना बनाई जा रही है कि किसी तरह से उन्हें कांग्रेस टिकिट प्राप्त करने से रोका जाए। शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए गए राकेश गुप्ता पहले से ही श्री रघुवंशी के विरोधी हैंं और उन्होंने शायद इसी कारण सिंधिया खेमा भी छोड़ दिया है। देखना यह है कि श्री रघुवंशी के खिलाफ उनके विरोधियों की यह घेराबंदी क्या रंग लाती है।

सन 2007 का शिवपुरी विधानसभा उपचुनाव जीतने से पहले ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जूली आदिवासी की ताजपोशी कराकर चर्चा में आने वाले वीरेन्द्र रघुवंशी मनी पॉवर और मैनेजमेंट खेल के उस्ताद खिलाड़ी हैं और इसमें उनका कोई सानी नहीं है। इन दो मोहरों का इस्तेमाल कर वह हमेशा जीत का वरण करते रहें है। चाहे वह जूली को अध्यक्ष बनाने का मामला हो या जिलाध्यक्ष पद से तयशुदा रामसिंह यादव को बेदखल कर लालसाहब यादव की ताजपोशी हो अथवा लालसाहब को पदावनत करने की दृष्टि से लक्ष्मीनारायण धाकड़ को कांग्रेस का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाने की बात हो, उनकी गोटियां हमेशा सटीक रही हैं।

इस फेहरिस्त में उपचुनाव की जीत को भी वह अपने खाते में डालना चाहेंगे, लेकिन उनके विरोधी इससे सहमत नहीं हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ नेता ने इस संवाददाता को बताया कि उपचुनाव में तो वीरेन्द्र रघुवंशी श्री सिंधिया के प्रभामण्डल के कारण विजयी रहे थे। लेकिन यह अवश्य सत्य है कि यदि जिपं सदस्य के चुनाव में उनकी हार और जिपं अध्यक्ष के चुनाव में उनकी पत्नि की पराजय को यदि छोड़ दिया जाए तो श्री रघुवंशी ने पिछले 7-8 साल में लगातार जीत का स्वाद ही चखा है, लेकिन इसके बाद भी सच्चाई यह है कि अपने अक्खड़ स्वभाव के कारण श्री रघुवंशी अधिसंख्यक कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अपने साथ नहीं जोड़ पाए।

सांसद प्रतिनिधि केशव सिंह तोमर से लेकर हरवीर सिंह रघुवंशी, विजय शर्मा, रामकुमार शर्मा, हरिवल्लभ शुक्ला, रामसिंह यादव और अब लक्ष्मीनारायण धाकड़, सफदरबेग मिर्जा, अब्दुल रफीक अप्पल, खलील खान, इब्राहिम खान, जगमोहन सिंह सेंगर जैसे वरिष्ठ नेता उनके खिलाफ मोर्चा खोलते रहे। लेकिन वीरेन्द्र इनसे बेपरवाह रहे और विरोध के वाबजूद भी वे उनका उतना नुकसान नहीं कर पाए जितना अपेक्षित था। हाल ही में भी उनके खिलाफ एक ताजा मोर्चा खोला गया है जिसमें सारे रघुवंशी विरोधी एक साथ एकजुट हैं ताकि लाईफ लाईन की सफलता का श्रेय वह नहीं ले पाएं। 

उपचुनाव में तो श्री रघुवंशी का उतना मुखर विरोध नहीं था और चुनाव लडऩे के माहिर खिलाड़ी भी वीरेन्द्र नजर नहीं आए थे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में सिंधिया खेमे में उनका विरोध तेजी से बढ़ा था, लेकिन उससे अधिक अनुपात में श्री रघुवंशी की चुनाव लडऩे की प्रवीणता उजागर हुई थी।

चुनाव कैसे लड़ा जाता है यह श्री रघुवंशी ने स्पष्ट कर दिया था, लेकिन शहरी कार्यकर्ताओं के विरोध के कारण वह नगरपालिका क्षेत्र से लगभग 10 हजार मतों से पराजित हुए थे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उन्होंने इस भारी अंतर को काफी हद तक पाट दिया था और वह महज 1800 मतों से भाजपा प्रत्याशी माखनलाल राठौर से पराजित हुए थे। आगामी विधानसभा चुनाव में श्री रघुवंशी इसलिए शिवपुरी से अधिक उत्सुक नहीं थे, क्योंकि यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि यहां से भाजपा प्रत्याशी के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेत्री यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव लड़ सकती हैं। लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनी कि अब लग रहा है कि श्री रघुवंशी फिलहाल शिवपुरी पर ही ध्यान केन्द्रित करेंगे।