ओशो सन्यासी ने बताई तनाव रहित जीवन जीने की विधि

शिवपुरी-शिवपुरी में ओशो ध्यान शिविर संचालित करने आये स्वामी अंतरजगदीश ने आज उत्कृष्ट विद्यालय के विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास के सूत्र समझाये तथा तनावमुक्त रहने की विधि बताई। बकौल स्वामी अंतरजगदीश ध्यान के माध्यम से जीवन को तनावरहित बनाया जा सकता है, वहीं समस्याओं से मुकाबला करने से उससे निजात पाई जा सकती है।

प्रारंभ में विद्यालय के प्राचार्य अशोक श्रीवास्तव ने स्वामी अंतरजगदीश का स्वागत किया इस अवसर पर स्वामी आनंद नीरव पुष्पेन्द्र अग्रवाल, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी निखिल आनंद और स्वामी कृष्णदेव और मां ध्यानपलबा आदि ओशो संन्यासी भी उपस्थित थे। 

स्वामी अंतरजगदीश ने अपने उदबोधन में कहा कि जीवन समस्याग्रस्त होता है, लेकिन कभी इससे घबराना नहीं चाहिए। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि खतरे को सामने देखकर आंख बंद करने से खतरा खत्म नहीं हो जाता, बल्कि उसकी तीव्रता बढ़ जाती है उसी तरह समस्या से हमें किनारा करने की बजाय उससे साक्षात्कार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़ी  से बड़ी समस्या का कारण कोई बहुत छोटा होता है। प्राचीनकाल में शिया और सुन्नियों के बीच झगड़े का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि एक मोहम्मद साहब को मानते थे और दूसरे नहीं। इस छोटे से नुख्ते पर पहुंचकर बड़ी से बड़ी समस्या समाप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जीवन में तनाव खत्म करने के लिए ध्यान के अतिरिक्त और कोई मार्ग नहीं है। ध्यान लगते ही तनाव तिरोहित हो जाता है जैसे प्रकाश की किरण आते ही अंधकार स्वयं समाप्त हो जाता है। स्वामी अंतरजगदीश के अनुसार तनाव ध्यान की अनुपस्थिति का नाम है। 


पुरूष क्यों होते हैं अधिक तार्किक?


स्वामी अंतरजगदीश ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सामान्य तौर पर महिलाएं कल्पनाशील और पुरूष तार्किक होते हैं। यह महज इत्तिफाक नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक कारण है। स्वामी अंतरजगदीश ने बताया कि हमारे दिमाग के दो हिस्से दायां और बायां होता है इनमें से दायां भाग शरीर के बायें हिस्से को नियंत्रित करता है और बायां भाग दायें हिस्से को नियंत्रित करता है। दिमाग के बायें हिस्से का अधिक उपयोग करने वाले तार्किक होते हैं जबकि बायें हिस्से का उपयोग करने वाले कल्पनाशील होते हैं, लेकिन कल्पनाशील व्यक्ति सृजक होता है और कलाकार, नृत्यकार, मृूर्तिकार इसी श्रेणी में आते हैं। अमूमन महिलाएं दायें हिस्से का उपयोग करती हैं इसी कारण वह कल्पनाशील होती हैं और पुरूष तार्किक। उनके अनुसार बुद्ध, महावीर, क्रायस्ट और कृष्ण जैसे विरले लोग होते हैं जो अपने दिमाग के दोनों हिस्सों का संतुलित उपयोग करने में सक्षम होते हैं।