शिवपुरी में ब्राह्मण फैक्टर से हो सकते है धैर्यवर्धन जिलाध्यक्ष!

शिवपुरी-शिवपुरी जिले में आखिरकार भारतीय जनता पार्टी में ब्राह्मण समुदाय क्यों तवज्जो नहीं दी जा रही, यह चर्चा अब आम हो चुकी है ना तो विधानसभा में ब्राह्मण समाज की दावेदारी जताई जाती है ना ही जिले में वरिष्ठ पदों पर ब्राह्मणें को जिम्मेदारी दी जाती है आखिरकार ऐसी क्या मजबूरी है भाजपा की जबकि जिले में ब्राह्मण समाज में ऐसे कई नेता मौजूद है जो पार्टी को ना केवल आगे ले जाऐंगें बल्कि समाज संगठन के साथ-साथ वह अंचल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। 

उड़ती खबरों के मुताबिक खबरें आ रही है कि भारतीय जनता पार्टी में आपसी समन्वय ना होने के कारण लगभग 12 जिलों में जिलाध्यक्षों की घोषणा अटकी पड़ी है। बीते दो-तीन माह से जिलाध्यक्ष के इस पद पर आसीन होने को लेकर एक सहमति ना बना पाना प्रमुख कारण बताया जा रहा है लेकिन यहां अब की बार ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा के पूर्व प्रदेश मंत्री धैयवर्धन शर्मा को जिलाध्यक्ष के लिए सूची में शामिल किया जाए क्योंकि एक तो वह ब्राह्मण समुदाय में अपना अच्छा खासा वर्चस्व रखते है साथ ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से भी उनकी घनिष्ठता किसी से छिपी नहीं है वहीं अंचल में अपना प्रभाव रखने वाली भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष व ग्वालियर सांसद यशोधरा राजे ङ्क्षसधिया के प्रति भी कृतज्ञ रहे है।

ऐसे में ब्राह्मण समाज और पार्टी में उनकी जगह बढऩा इस बात का संकेत देते है कि आने वाले समय में जिलाध्यक्षी के लिए धैर्यवर्धन फिट बैठे और उनके नाम की घोषणा हो जाए। यहां बता दें कि प्रदेश कार्यसमिति में भाजपा के जिलाध्यक्ष रणवीर रावत को सदस्य मनोनीत होने पर उनके अब जिलाध्यक्ष बनने की संभावनाऐं क्षीण मात्र है वहीं प्रदेश मंत्री ओमप्रकाश खटीक भी अब इस जिलाध्यक्षी की दौड़ से बाहर है रही बात अशोक खण्डेलवाल और ओमी गुरू की तो यहां इन दोनों नेताओं के बीच धैयवर्धन भी अपनी अच्छी खासी पकड़ रखते है जिसका उन्हें फायदा मिलना तय है। 

पार्टी में भी देखा गया है कि अधिकांशत हरेक कार्यक्रम और जनहित के मुद्दों को लेकर धैयवर्धन सदैव जनता के साथ आगे आए है चाहे बात शिवपुरी में पेयजल की समस्या की हो अथवा शिवपुरी-झांसी रूट के बंद होने पर उसे पुन: चालू करवाने में भी धैर्यवर्धन महती भूमिका निभाकर जनहित के कार्यों को किया है। वैसे तो आपसी समन्वय ना बन पाने के कारण दर्जन भर जिले ऐसे है जहां जिलाध्यक्ष की घोषणा नहीं हुई है लेकिन जहां प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर व पार्टी में आपसी सहमति बनी उसमें कई जगह सर्वसम्मति से जिलाध्यक्ष की घोषणा हो चुकी है जिसमें मुरैना से अनूप सिंह, भिण्ड से रवि जैन, दतिया से जगदीश सिंह यादव, श्योपुर से महावीर सिंह सिसौदिया, गुना से हरिसिंह यादव एडवोकेट शामिल है लेकिन हमें कुछ विश्वस्त सूत्रों के द्वारा जो जानकारी मिली है कि जहां जिलाध्यक्ष की घोषणा नहीं हो सकी है वहां अब प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर संभवत: अपने खास प्रतिनिधित्व को यह जिम्मेदारी सौंपेंगे।

जिसमें ग्वालियर शहर के लिए धीर सिंह तोमर व राकेश जादौन का नाम है तो वहीं ग्वालियर ग्रामीण क्षेत्र के लिए भारत सिंह कुशवाह का नाम सामने आ सकता है वहीं अशोकनगर में यादव समुदाय व रघुवंशी समाज से किसी अच्छे प्रतिनिधित्व को जिलाध्यक्ष की कमान मिल सकती है रही बात शिवपुरी की तो यहां जिलाध्यक्षी की दौड़ में प्रदेश मंत्री ओमप्रकाश खटीक तो अब अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद कतार से बाहर है वहीं रणवीर रावत भी प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य के रूप में शामिल हो गए है तो इनके जिलाध्यक्ष बनने की संभावनाऐं अब ना के बराबर ही है इसके बाद नाम आता है पूर्व प्रदेश मंत्री धैर्यवर्धन शर्मा और ओमी गुरू, अशोक खण्डेलवाल का इनमें से प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के काफी नजदीक धैयवर्धन है जो कि आने वाले समय में जिलाध्यक्ष के रूप में जिले की कमान संभाल सकते है।

हालांकि कुछ भाजपाई इसका विरोध भी करेंगें लेकिन धैर्यवर्धन में धैर्य भी है इसलिए वह पार्टी के द्वारा दी जाने वाली जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाह भी कर सकते है साथ ही ऐसे में पार्टी ब्राह्मण समाज को यह पद देकर स्वयं को भी संगठन के रूप में निरूपित करने से परहेज नहीं करेगी। अब देखना होगा कि आने वाले समय में जिलाध्यक्ष के लिए किसका नाम तय हो सकता है। 
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