ऑफ सीजन में भी बिजली की ताबड़तोड़ कटौती तो फिर गर्मी में क्या होगा?

शिवपुरी। शिवपुरी के इतिहास में इतनी मैराथन और ताबड़तोड़ बिजली कटौती कभी भी नहीं हुई है और यह भी इतिहास है कि इतनी विकट समस्या के बाद भी पत्ता नहीं खड़क रहा है। इससे बढ़कर राहत सत्ताधारी दल के लिए और क्या हो सकती है।

दिन में लगातार 7-7, 8-8 घंटे लाइट गायब हो रही है और वह भी ऑफ सीजन में, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस चुप्पी साधे बैठी है। इतिहास में कांग्रेस का नाकारापन इतना पहले कभी देखने को नहीं मिला। बिजली कटौती से जनजीवन बेहाल है, उद्योग-धंधे और व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हैं। पूरे जिले में हालात बद्तर से बद्तर होते जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो बिजली के दर्शन भी मुश्किल हो रहे हैं। लेकिन चुनावी वर्ष में कांग्रेस की तंद्रा चौकाने वाली है। आखिर जनता भरोसा करे तो किस पर करे।

भाजपा के शासनकाल में शिवपुरी जिले में पूरे प्रदेश से ज्यादा बिजली कटौती का सिलसिला बना हुआ है और विपक्ष की भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पार्टी इस जन समस्या पर मौन बनी हुई है। जिससे विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर अब सवाल उठने लगे हैं वहीं जब मप्र में कांग्रेस का शासन था तब भाजपा बिजली कटौती को ही मुख्य मुद्दा बनाकर सत्ता में काबिज हुई थी और भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही बिजली कटौती का ढर्ऱा और बिगड़ गया। जहां शिवपुरी के इतिहास में 9 घंटे की बिजली कटौती ने पूरी स्थिति ही बिगाड़ कर रख दी है। सर्दियों के चलते बिजली की खपत भी कम हो रही है फिर भी बिजली की ताबड़तोड़ कटौती चल रही है, लेकिन जब गर्मियों के मौसम में बिजली की खपत बढ़ जाएगी तो बिजली की स्थिति कितनी खतरनाक होगी इसका आंकलन आसानी से ही लगाया जा सकता है। इस ओर न तो शासन का ध्यान केन्द्रित है और न ही विपक्ष में बैठी कांग्रेस का। 

यह बिजली समस्या पूरी सत्ता की काया पलट करने में आड़े आ सकती है। वहीं बिजली कर्मचारी मेंटीनेंस के नाम पर बिजली की कटौती कर रहे हैं। जिसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है।  कल से तो  बिजली व्यवस्था बिल्कुल ठप हो गई है और आज दोपहर तक बिजली की सप्लाई सुचारू रूप से नहीं हो सकी है वहीं अधिकारियों का कहना है कि बारिश के कारण कई स्थानों पर लाइन फॉल्ट हो गई जिससे विद्युत सप्लाई ठप्प हो गई। अधिकारियों ने बारिश को बिजली समस्या का कारण बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। लेकिन बारिश से पहले भी बिजली कटौती का सिलसिला ऐसे ही चालू था। 

तब कोई भी समस्या नहीं थी और इसके बावजूद भी बिजली की कटौती 9-9 घंटे हो रही थी। ये हुई शहर की बात, लेकिन अगर गांवों की स्थिति देखी जाए तो वहां तो बिजली की समस्या बहुत भीषण रूप धारण किए हुए है। बिजली की इस समस्या ने तो बहुत से किसानों को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। इसका जिम्मेदार कौन है?