माधव नेशनल पार्क के प्रतिबंधित क्षेत्र में हो रही जानवरों से चराई!

0
राजू (ग्वाल)यादव
शिवपुरी। शहर के माधव नेशनल पार्क में यूं तो बारिश के समय से ही प्रतिबंधित एरिया घोषित कर दिया जाता है कि बारिश के मौसम में यहां किसी भी प्रकार का ना तो मत्स्याखेट हो और ना ही बाहर से कोई अन्य जानवर माधव नेशनल पार्क में प्रवेश करें। लेकिन यहां सूत्रों द्वारा बताया गया है कि माधव नेशनल पार्क की सीमा से सटे कुछ क्षेत्रों में वहां के रेंजर व वनकर्मी आपसी मिलीभगत के सहारे पशु मालिकों से मासिक शुल्क वसूल कर खुली चराई जानवरों के लिए खोलकर धड़ल्ले से प्रवेश दे रहे है। जिससे यहां जानवरों की चराई होने से हरे-भरे नेशनल पार्क को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।


यहां बता दें कि माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में यूं तो हरा-भरे वृक्ष व खलिहान में चराई होना प्रतिबंधित है लेकिन यहां माधव नेशनल पार्क में कुछ क्षेत्रों में रेंजर व वनकर्मी मिलीभगत कर ठेके की पद्वति से यहां चराई का अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। यहां माधव राष्ट्रीय उद्यान की चार रेजों में आसपास के लगे क्षेत्रों के ग्रामों के ग्रामीणों के मवेशियों को पार्क क्षेत्र में निर्वाध रूप से चराई कराई जा रही है। यहां बताया गया है कि प्रति मवेशी 500 रूपये वसूले गए जिसके चलते खुली छूट देकर जानवरों को नेशनल पार्क की सीमा ना केवल प्रवेश दिया जा रहा है बल्कि यहां चराई भी धड़ल्ले से करने के लिए जानवरों को छोड़ दिया जा रहा है।

नेशनल पार्क क्षेत्र में लगभग 6-7 हजार मवेशील करने पार्क में प्रतिमाह जाते है। कई ग्रामीण तो इसकी स्वयं अपने मुंह से नाम ना छापने की शर्त पर पुष्टि करते है कई ग्रामीणों का कहना है कि हम मासिक शुल्क देकर अपने जानवरों को नेशन पार्क की सीमा में चराई के लिए भेजते है। यहां मवेशियों के झुंड से अनुमान लगाया जा सकता है कि पार्क की सीमा के क्षेत्र में सुरक्षा के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं बल्कि मिलीभगत से यह क्षेत्र चल रहे है। यहां ग्राम अमरखोआ, बर्दखेड़ी व अन्य ग्रामों के पशु मालिक अपने पशुओं को बीटगार्ड, उडऩ दस्ता की सहायता से सुविधा शुल्क देकर चराई करा रहे है। वहीं बताया गया है कि इसका एक हिस्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी जाता है जिससे यह काम धड़ल्ले से जारी है वहीं मत्स्याखेट भी प्रतिबंधित है इस ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

कैसे होगा वृक्षारोपण सफल?

यदि वन विभाग की अलाली के चलते यूं ही जानवर अच्छे भले पेड़-पौधों को चारागाह बनाकर अपना निवाला बनाते रहेंगे तो फिर कैसे वृक्षारोपण सफल हो पाएगा। इसका अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है। एक ओर तो वन विभाग लेागों को पौधारोपण करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर माधव नेशनल पार्क की सीमा में हो रहे जानवरों की चराई से यह प्रतीत होता है कि यह पौधरोपण महज एक दिखावा है इसका असल परिणाम तो सुविधा शुल्क के नाम पर बटोरे जाने वाली वह राशि है जो वन विभाग के कर्मचारी व अधिकारी मिलीभगत कर इन जानवरों को नेशनल पार्क की सीमा में प्रवेश करा रहे है। यदि यही हाल रहा तो वन विभाग कैसे पौधरोपण को सफल करेगा इस पर सवालिया निशान इस चराई से प्रतीत नजर आ रहा है।

कलेक्टर के प्रयासों पर फिरेगा पानी

बरसात के समय में पौधरोपण करना कितना आवश्यक है इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम जिलाधीश आर.के.जैन स्वयं अपने प्रयासों से कर रहे है। अभी दो दिन पूर्व ही जहां शहर में पौधरोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए तो वहीं सीआरपीएफ बटालियन व गुरूद्वारा बेंहटा में भी पौधरोपण कर अन्य लोगों को संदेश दिया कि वह भी वृक्षारोपण कार्य में सहयोग प्रदान करें। वन विभाग में पौधरोपण के कार्यक्रम को करने के लिए यूं तो वन विभाग कार्यरत है लेकिन इस तरह वन विभाग की सीमा में अनाधिकृत रूप से जानवरों के प्रवेश से वन विभाग के लिए रोपे जाने वाले पौधों का निवाला जानवर बनाऐंगे इससे स्वत: ही अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि यही हाल रहा तो कलेक्टर के प्रयासों को वन विभाग असफल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा।
Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!