बंजारों का फतवा: गांव में जिंदा रहना है तो सबको दारू पीना होगा

राजू (ग्वाल) यादव/के.के.दुबे 
शिवपुरी। शिवपुरी जिले के एक गांव करई में सामूहिक निर्णय लिया गया था कि वे शराब का सेवन नहीं करेंगे, लेकिन गंगौरा के बंजारों को यह मंजूर नहीं उन्होंने शराब प्रतिबंधित होने के बाद भी गांव में अवैध शराब बेचने का प्रयास किया और जब ग्रामीणों ने रोका तो उन्होंने गांव से बाहर निकले वाले मजदूर किसानों के साथ मारपीट शुरू कर दी। उन्होंने फतबा जारी करते हुए कहा है कि यदि शराब बंद की गई तो पूरा का पूरा गांव जला दिया जाएगा। आश्चर्यजनक तो यह है कि पुलिस भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। लोग कहते हैं कि अवैध शराब का टैक्स सरकार नहीं थानों में जमा कराया जाता है।


आज सोमवार को जब ग्राम का एक मजदूरी गंगौरा ग्राम में मजदूरी करने जा रहा था कि तभी बीच रास्ते में उसे गंगौरा के इन बंजारों ने घेर लिया और उसके साथ मारपीट कर दी। इस मारपीट की घटना को लेकर पीडि़त जब पुलिस थाना सुरवाया पहुंचा तो यहां भी उसकी फरियादी तो सुनी लेकिन उन बंजारों के खिलाफ कार्यवाही करने से गुरेज किया। ऐसा इसलिए क्योंकि सुरवाया थाना पुलिस के हिस्से में भी इन बंजारों के द्वारा बेची जाने वाली शराब का एक हिस्सा पहुंचता है इसलिए यह अवैध कारोबार यहां फल फूल रहा है लेकिन किसी सामाजिक बुराई को त्यागने वोल ग्रामीणों को पुन: इस जाल में क्यों फंसाया जा रहा है। ऐसे में अब जिला प्रशासन को ग्राम करई की सुध लेना चाहिए ताकि वह इन पुलिस वालों को भी सचेत करे और इस तरह की सामाजिक बुराई को दूर करने में स्वयं भी सहभागी बनें।

यहां बता दें कि शराब, जुआ, सट्टा यह एक तरह से सामाजिक बुराई ही हैॅ जो इसके जाल में फंस जाता है वह स्वयं तो बर्बादी की कगार पर आ ही जाता है साथ ही वह अन्य लोगों को भी इसका शिकार बनाकर उसके घर-परिवार को भी तोडऩे से बाज नहीं आता। ऐसे में एक कारगर कदम उठाया शहर के वरिष्ठ पत्रकार संजय बेचैन ने जिन्होंने प्रण किया कि पत्रकारिता के साथ-साथ यदि सामाजिक बुराईयों के रूप में पनप रही जुआ, शराब को बंद कराया जाए तो कुछ हद तक ग्रामीण क्षेत्र के हालातों में सुधार हो सकता है।

ऐसे में श्री बेचैन ने ग्राम करही को 15 दिन पहले गोद लिया और उन्होंने ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उन्हें सारी बुराईयों से दूर रहने पर हर तरह का सहयोग देने की बात कही। जिस पर इन ग्रामीणों ने भी श्री बेचैन के द्वारा बताए दुव्र्यसनों को त्यागने का संकल्प लिया और कहा कि ग्राम करई में किसी भी प्रकार से ना तो शराब आएगी, ना बिकेगी और ना ही कोई ग्रामीण इसका सेवन करेगा, साथ ही जुआ खेलने पर भी ग्रामीणों ने प्रतिबंध लगा दिया और इन नियमों का पालन न करने वाले ग्रामीण को ग्राम से बहिष्कृत कर दिया जाएगा।

यह ग्राम सुधार की ओर चल ही रहा था कि तभी गत दिवस ग्राम गंगौरा से कुछ बंजारे ग्राम करई में अवैध व कच्ची शराब बेचने चले आए। जिस पर ग्रामीणों ने इन बंजारों को ग्राम में घुसने से पहले ही रोका और उन्हें समझाईश दी कि इस ग्राम में शराब विक्रय तो दूर शराब को हाथ लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। जिस पर यह बंजारे अपना अपमान समझकर वहां से लौट आए और अगले ही दिन सोमवार को जब ग्राम करई का एक ग्रामीण भागीरथ पुत्र प्रभु आदिवासी उम्र 30 वर्ष ग्राम गंगौरा में मजदूरी करने जा रहा था कि तभी इन बंजारों ने भागीरथ को घेर लिया और उसके साथ मारपीट कर दी।

इस घटना के संबंध में पुलिस थाना सुरवाया में ग्रामीणों ने शिकायत भी दर्ज कराई और गोद लेकर हर संभव सहयोग प्रदान करने वले संजय बेचैन को अवगत कराया। जिस पर श्री बेचैन अपने साथीगण ललित मुदगल, अशोक सम्राट, राजू(ग्वाल)यादव, के.के.दुबे को लेकर ग्राम करही पहुंचे और यहां पत्रकारों की टीम ने ग्राम के हालातों का जायजा लिया और ग्रामीणों से उनकी शपथ व घटना के बारे में जानकारी ली। जिस पर सभी ग्रामीणों ने पूर्व की भांति शराब से दूर रहने की बात कही और मजदूरी करने के लिए जरूर गंगौरा जाना पड़ता है जिस पर आज एक ग्रामीण भागीरथ की मारपीट कर बंजारों ने ठीक नहीं किया। इससे इन ग्रामीणों में काफी रोष नजर आया लेकिन पत्रकारों के इस दल ने इन्हें समझाईश दी कि वह अपनी शपथ पर कायम रहे और उन्हें हर संभव सहयोग प्रदाय किया जाएगा।

प्रेरणास्त्रोत बने संजय बेचैन


ग्राम करई के जिन ग्रामीणों ने शराब से दूर रहने की शपथ ली है वह केवल वरिष्ठ पत्रकार संजय बेचैन के प्रेरकीय उद्बोधन एवं दुव्र्यसनों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने का ही परिणाम है। यहां ग्रामीणों ने संजय बेचैन के वक्तव्य को सुनकर सामाजिक बुराई के रूप में जुआ, शराब का सेवन करने पर प्रतिबंध लगा दिया और इससे दूर रहने की शपथ ली। इस शपथ से स्वयं श्री बेचैन भी खुश हुए और उन्होंने बताया कि उन्हें शासन की हर योजना का लाभ भी दिलाया जाएगा साथ ही आदर्श ग्राम के रूप में करई की पहचान बनेगी। श्री बेचैन के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि उन्होंने स्वयं के व्यय पर इन ग्रामीणों के कई लोगों पर गिरवी रखे राशनकार्ड, रोजगार गांरटी कार्ड को इन्हें वापिस दिलाया। जिसे पाकर यह ग्रामीणजन खुश हुए और अब वे अब अपने राशनकार्ड और रोजगार गारंटी जॉब कार्ड के द्वारा रोजगार पा रहे है। श्री बेचैन का मानना है कि यदि ग्रामीणों को सही दिशा में ले जाने वाले कार्य किए जाए तो वाकई ग्रामों की दशा बदल जाएगी और महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत शहरों में नहीं ग्रामों में बसता है वह हकीकत भी स्वत: ही सबके सामने आ जाएगी। श्री बेचैन ने बताया कि वह आगे भी ग्राम करई ही नहीं बल्कि अन्य ग्रामों में भी इस तरह के कार्य करेंगे जिससे ग्रामीणजनों अपने आप को पहचानें और दुव्र्यसनों से दूर रहकर अपनी स्वयं की नई गाथा लिखे। श्री बेचैन ने बताया कि आज जिस प्रकार से मेरे साथीगण इस ग्राम में कवरेज करने पहुंचे ठीक इसी प्रकार से आगे भी अन्य पत्रकारों को भी इस अभियान से जोडऩे की पहल की जाएगी ताकि अधिक से अधिक लोग जुड़कर ग्रामीण क्षेत्र के हालातों का स्वयं जायजा लें और अपने लेख के माध्यम से इन ग्रामीणों को हर संभव सहायता दिलाने में आगे आए।

मजदूरी करने में भी करते है भेदभाव: नारायणी आदिवासी


 
ग्राम करई निवासी 65 वर्षीय वृद्धा नारायणी आदिवसी कहती है कि ग्राम गंगौरा में करई के ग्रामीणजन मजदूरी करने जाते है तो वहां भी मजदूरी में भेदभाव किया जाता है। एक ओर जहां शहर में 100 रूपये प्रति मजदूर मिलती है तो गंगौरा में 50 रूपये प्रति मजदूरी दी जाती है जिससे आज महंगाई के युग में घर खर्च चलाना बहुत मुश्किल होता है।

 

ग्राम के शिक्षित शिक्षक करा रहे अध्यापन कार्य


ग्राम करई में 8वीं पास कौशल और 10वीं फैल मजबूत सिंह अपनीे योग्यता के आधार पर ग्राम के बच्चों को प्रतिदिन शिक्षण कार्य करा रहे है। वे ग्राम के एक चबूतरे पर बच्चों को एकत्रित कर कहानी एवं किताबी ज्ञान से बच्चों केा जागरूक करते है। यहां ग्राम में अन्य और भी जो शिक्षिक युवक-युवती है वह भी मिलकर इस तरह के शिक्षण कार्य में अपना सहयोग देते है।

शराब का सेवन करने पर पहनाई जाती है जूतों की माला


वैसे तो ग्राम करई में शराब पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन इसके बाद भी यदि कोई शराब का सेवन करता है तो उसे यहां जुतों की माला पहनाई जाती है और उसके बाद भी अगर उसमें सुधार नहीं आता है तो उसे ग्राम सें बहिष्कृत करने की कार्यवाही भी की जाएगी। इस तरह का संकल्प ग्रामीणों ने पंचायत कर लिया है। इसलिए बीते 15 दिनों से यहां कोई शराब का सेवन तो दूर उसे छूता तक नहीं है। शराब छुड़ाने के मामले में यह ग्राम एक मिसाल बनता नजर आ रहा है।

क्या कहते है ग्रामीणजन

मैंने लगभग 4-5 साल खूब शराब पी लेकिन जब से ग्रामीणों के बीच संजय बेचैन जी आए उन्होनें शराब के दुर्गण बताए तो मैंने तौबा कर शराब को हाथ लगाना भी छोड़ दिया। अब से मैं कभी शराब नहीं पीता और ना ही पीउंगा।
 
राम अवतार आदिवासी
उम्र 16 वर्ष, ग्राम करई निवासी

 
ग्राम के लोग सुधेर वे अच्छे बनें और उन्हें अच्छी शिक्षा मिले हमारे ऐसे प्रयास है यही कारण है कि हम यहां नि:शुल्क बच्चों को अपने ज्ञान के अनुरूप शिक्षण कार्य कराते और देते है जिससे यहां के बच्चों में भी सुधार नजर आता है। हमारा यह अभियान यूं ही जारी रहेगा।
 
कौशल-मजबूत आदिवासी
उम्र 18-20 वर्ष निवासी ग्राम करई

 

बड़ी खुशी की बात है कि ग्राम में अब शराब कोई नहीं पीता, जुआ नहीं खेला जाता बस यह गांव ऐसा ही बना रहे और हमें कुछ नहीं चाहिए। मेहनत मजदूरी करके जो पैसे पहले नहीं बचते थे अब तो कुछ बच जाते है। संजय बेचैन ने हमें नई दिशा दी है।
 
रेखा आदिवासी
निवासी ग्राम करई

शहर में तो हम संसाधनों की उपयोगिता से अपने हर कार्य को पूर्ण कर लेते है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी रहती है इसलिए ग्राम करई में मंैने पहले ग्रामीणों से शपथ ली थी कि वह मेरे कहे अनुसार कार्य करेंगे तो मैं उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दूंगा बस यहीं से मेरे प्रयास जारी है और मैं जो सहयोग बन पड़ेगा करूंगा, इस ग्राम के लिए ही नहीं बल्कि अन्य ग्रामों के लिए भी ताकि वहां भी इस तरह के सुधार हों और हर ग्रामीण जागरूक व शिक्षित हो साथ ही दुव्र्यसनों से दूर रहकर अपने परिवार के साथ सुखी रहे।
 
संजय बेचैनवरिष्ठ पत्रकार, शिवपुरी