शिवपुरी में "गद्दार गोष्ठी" आज, गोविंद सिंह करेंगे अध्यक्षता

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शिवपुरी। सामान्यत: सिंधिया राजघराने में गद्दारों से सुलह नहीं की जाती, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अपनी हुकूमत कायम रखने के लिए सिंधिया को भी वो सब हथकंडे अपनाना पड़ रहे हैं जो कभी सिंधियाओं की शान के खिलाफ हुआ करते थे। सुना है सागर जिले के सुर्खी विधानसभा से चुने गए विधायक गोविंद सिंह शिवपुरी में हैं, यहां गद्दार गोष्ठी का आयोजन किया गया है, जिसमें उन सभी नेताओं को आमंत्रित किया गया है जो दिग्विजय सिंह के नजदीक चले गए हैं। इस गद्दार गोष्ठी में उन्हें वापस बफादार बनाने की कोशिशें की जाएंगी।

सिंधिया समर्थक विधायक गोविन्द सिंह 23 जुलाई को को शिवपुरी आ रहे हैं। उनके समर्थक अजय गुप्ता के अनुसार श्री सिंह यहां काग्रेस कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने आ रहें हैं। लेकिन सूत्र बताते हैं कि उनका शिवपुरी दौरा राजनैतिक है और वह श्री सिंधिया के निर्देश पर असंतुष्टों को सुनने एवं उनका पक्ष जानने के लिए आ रहे हैं।

सुर्खी विधायक गोविन्द सिंह समय-समय पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्देश पर शिवपुरी आते रहे हैं। उनकी सिफारिश पर ही नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए उनके समर्थक अजय गुप्ता की धर्मपत्नि आशा गुप्ता को कांग्रेस का टिकिट दिया गया था। यह बात अलग है कि वह चुनाव नहीं जीत सकीं। इसके पश्चात भी श्री सिंधिया का उन पर भरोसा कायम रहा और श्री सिंह शिवपुरी जिले में सिंधिया के समन्वयक की भूमिका निभाते रहें हैं।

शायद इसी कारण गोविन्द सिंह 23 जुलाई को शिवपुरी आ रहें हैं। वह यहां टूरिस्ट विलेज में रात्रि विश्राम कर 24 जुलाई को कांग्रेस कार्यकर्ताओं से चर्चा करेंगे। पिछले दिनों शहर कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, पूर्व सांसद प्रतिनिधि विजय शर्मा, पूर्व नपाध्यक्ष गण्ेाशीलाल जैन, जिला कांंग्रेस के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण धाकड़, रामजीलाल कुशवाह, इब्राहिम खान, श्रीमति पूनम कुलश्रेष्ठ, रवि कुलश्रेष्ठ, श्रृवणलाल धाकड़, अमृतलाल जाटव आदि कांग्रेस नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आगमन पर स्वागत में पलक पांवड़े विछा दिए थे। उनके स्वागत को सिंधिया खेमे से दिग्गी खेमें में शामिल होने के रूप में देखा जा रहा था।

बाद में जितिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया के  शिवपुरी आगमन के अवसर पर गणेशीलाल जैन और रामजीलाल कुशवाह तो पहुंच गए थे, लेकिन अन्य दिग्गी का स्वागत करने वाले नेताओं ने दूरी बनाकर रखी थी। उनकी नाराजी भी खुलकर सामने आ गई थी। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद मेल मुलाकात का दौर भी चला और श्री सिंधिया के सिपेहसालारों ने असंतुष्ट नेताओं से चर्चा भी की और इसी कड़ी में बताया जाता है कि श्री गोविन्द शिवपुरी आ रहें हैं।

क्या सिंधिया समर्थकों ही सकेगी वापिसी?

सिंधिया खेमें से अपनी नाराजी के चलते क्या दिग्गी खेमें में आमद दर्ज कराने वाले नेता अपने कदम वापिस खींचेगे? इस सवाल के जवाब में सूत्रों का कथन है कि इनमें से एक वर्ग सम्मानपूर्ण ढंग से सिंधिया खेमे में वापिस जाने का पक्षधर है, जबकि दूसरे खेमें का रूख कुछ कड़ा बना हुआ है। नरमपंथियों का तर्क है कि वह सैद्धांतिक आधार पर दिग्गी खेमें में शामिल नहीं हुए थे। उन्हें तो सिर्फ अपनी नाराजी को दिखाना था और यदि सम्मानपूर्वक उनकी बात सुनी जाती है और उसका निराकरण किया जाता है तो वापिसी में दिक्कत क्या है। जबकि कट्टरपंथियों का तर्क है कि वापिस जाने और न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन एक बार दरार पड़ गई तो वह हमेशा दिखेगी। देखना यह है कि इस खींच तान के चलते गोविन्द सिंह की कवायद क्या रंग खिलाती है।
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