विरोध प्रदर्शन: प्राइवेट मेडीकल प्रेक्टिशनर्स ने बंद रखे क्लीनिक

शिवपुरी। केन्द्र सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध स्वरूप प्रायवेट चिकित्सक मेडीकल ऐसोसियेशन संघ ने आज सांकेतिक रूप से अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर विरोध दर्ज कराया। मेडीकल ऐसोसियेशन संघ के अध्यक्ष एसके वर्मा ने बताया कि मेडीकल कांउसिल ऑफ इंडिया को भंग करने के बाद तीन वर्ष बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा संस्था को संचालित करना, जबकि बोर्ड के सदस्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से चुने गए हैं। अभी 130 सदस्यों वाली मेडीकल काउंसिल आफ इंडिया को केवल सरकार द्वारा चुने गए 3 बोर्ड ऑफ गवर्नर्स संचालित कर रहे हैं।
वहीं नेशनल काउंसिल फाँर रिसोर्सेज इन हैल्थ विधेयक 2011 का प्रस्ताव जिसका उद्देश्य मेडीकल कांउसिल ऑफ इंडिया तथा पैरामेडीकल कांउसिल के ऊपर एक निरंकुश संस्था की स्थापना करना है, जिसके परिणाम स्वरूप मेडीकल शिक्षा के समस्त जिम्मेदारी केन्द्र सरकार गिने-चुने प्रतिनिधियों के हाथों में होगी। वहीं चिकित्सा व्यवसाय हेतु पंजीयन के लिए परीक्षा का प्रस्ताव जिसमें सरकार से मान्यता प्राप्त मेडीकल कॉलेेजों से उत्तीर्ण होने के बाद भी छात्रों को प्रजीयन हेतु पुन: परीक्षा का सामना करना पड़ेगा।

 यह अत्यंत अव्यवहारिक एवं अपमानजनक होगा। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत चिकित्सकों को शामिल करने के कारण सभी चिकित्सक अपने मरीजों को न्यूनतम आवश्यक उपचार देने के बजाय अनावश्यक और मंहगी सेवायें देने पर मजबूर है। विश्वास पर आधारित चिकित्सा व्यवसाय को व्यापार की श्रेणी में रखने से मरीजों पर अनावश्यक बोझ पड़ा है। इन्हीं सभी मांगों को लेकर आज जिलाधीश को चिकित्सकों ने एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में मांग की है कि हमारी समस्याओं का समाधान करने की मांग की है।