घटयात्रा के साथ ध्वजारोहण और पात्रों का हुआ चयन


शिवपुरी- सिद्घ प्रभु का गुणानुवाद सिद्घत्व को प्रदान करता है। अत: हमें जब भी भगवान की भक्ति करने का अवसर मिले उसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए। जैन दर्शन में सिद्घ परमेष्ठी अष्टïगुणों से सहित माने जाते हैं अत: उनकी आराधना कर हम भी अपने जीवन को सिद्घत्व की ओर ले जा सकते हैं। यह विचार छत्री जैन मंदिर पर श्री सिद्घचक्र महामंडल विधान की घटयात्रा अवसर के उपरांत धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैन दर्शन के मूर्धन्य विद्वान ब्रं. प्रदीप पीयूष जबलपुर द्वारा व्यक्त किए गए।
जैन दर्शन में जो अनादि निधन महामंत्र णमोकार का वर्णन किया गया है उसमें भले ही पहले णमोअरिहंताणम का पद दिया गया हो, लेकिन ज्येष्ठ तो सिद्घ परमेष्ठी ही है और इसीलिए सिद्घ बनने की कामना के साथ आठ दिनों तक लगातार हमें उनका गुणानुवाद करना है। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुरैना से पधारे ब्रं. संजय भैया ने कहा कि अनेक भवों का पुण्य जब संचय किया जाता है तब भगवान की भक्ति का अवसर आता है। शिवपुरी में भी पाठशाला परिवार की बहिनों द्वारा जो अनूठा आयोजन सिद्घचक्र महामंडल विधान के माध्यम से किया गया है इसमें संपूर्ण समाज की भागीदारी हो इसके लिए सतत प्रयास करते रहना चाहिए। 

कार्यक्रम के प्रारंभ में ध्वजारोहण जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू द्वारा किया गया तथा अतिथियों का सम्मान छत्री जैन मंदिर ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष बच्चनलाल जैन, उपाध्यक्ष राजकुमार जैन जड़ीबूटी, कोषाध्यक्ष ख्यालीचंद जैन, रामदयाल जैन मावा वाले, सुभाष जैन, मनीष जैन, माणिक जैन, जिनेश जैन द्वारा संयुक्त रूपसे किया गया। इस अवसर पर मंगलाचरण श्रीमती आभा जैन द्वारा किया गया जबकि ध्वज वंदन गीत की प्रस्तुति महिला मंडल द्वारा दी गई। आयोजन में ब्रं. पहलवानसिंह जी पीरोंठ और पं. सुगनचंद जी की विशिष्टï भागीदारी रही।
 

इन पात्रों का हुआ चयन

7 मई से 14 मई तक आयोजित होने जा रहे श्री सिद्घचक्र मंडल विधान में मुख्य पात्रों का चयन भी बोली लगाकर किया गया जिसमें सौधर्म इंद्र बनने का सुअवसर श्रीचंद जिनेश कुमार को मिला। जबकि महायज्ञ नायक रामदयाल मनीष कुमार जैन, कुबेर इंद्र कैलाशचंद माणिक जैन, ईशान इंद्र कन्हैयालाल ऋषभ कुमार जैन, सनद कुमार इंद्र बालचंद, विमल कुमार जैन तथा माहेन्द्र इंद्र बनने का सुअवसर गोपीलाल वीरेन्द्र कुमार जैन को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में मैना श्रीपाल बनने की बोली श्रीमती सुलोचना, विनोद कुमार जैन द्वारा ली गई।
 

नगर के प्रमुख मार्गों से निकली घटयात्रा

आठ दिन तक चलने वाले सिद्घचक्र महामंडल विधान की शुरुआत घटयात्रा से हुई। छत्री जैन मंदिर से प्रारंभ होकर घटयात्रा माधव चौक, सदर बाजार होती हुई चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर पहुंची जहां कलशो में जल भरकर वापस घट यात्रा छत्री मंदिर आई। यहां प्रतिष्ठाचार्य द्वारा विधि-विधान पूर्वक वेदी शुद्घी के साथ-साथ अन्य क्रियाएं महिलाओं से कराईं गईं।