सोचिए क्या फील हुआ होगा शपथ लेते हुए |
यूं तो महिला दिवस के अवसर पर देश भर में कई कार्यक्रम हुए आयोजक और प्रायोजकों की चर्चा भी हुई लेकिन शिवपुरी में जो हुआ वह कम से कम चर्चा के योग्य तो है ही। आप खुद देखिए
- शहर का नाम: शिवपुरी
- आयोजन: महिला दिवस पर कार्यशाला
- कार्यक्रम स्थल: गल्र्स कॉलेज
- आयोजक: कॉलेज प्रबंधन
- प्रायोजक: जिला एड्स नियंत्रण समिति
- मुख्यबिन्दु: छात्राओं को बताया कि असुरक्षित यौन संबंध से बचें
सवाल यह नहीं हैं कि एड्स के बारे में क्यों बताया, सवाल यह है कि महिला दिवस के अवसर पर गर्ल्स कॉलेज में एड्स को केन्द्र में रखते हुए आयोजन करना क्या प्रासंगिक है..?
- क्या अर्थ निकाला जाए इस आयोजन का..?
- क्या गर्ल्स कॉलेज की लड़कियों में सबसे ज्यादा एड्स पाया गया है।
- वे जागरुक नहीं हैं।
- वे विवाह से पूर्व असुरक्षित एवं अनैतिक यौन संबंधों में संलिप्त हैं।
जहां तक पूरे देश भर में हुए आयोजनों का सवाल है तो महिला दिवस पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के केन्द्र में था कि 21वीं सदी में तेजी से आगे बढ़ रही वर्किंग वुमन्स के सामने आने वाली समस्याओं से कैसे निपटा जाए। निर्धन महिलाओं के बीच स्वाबलंबन विषय का केन्द्र बिन्दु था, घरेलू हिंसा के प्रति जागरुकता भी समझ आती है, लेकिन यह समझ नहीं आता कि कन्या महाविद्यालय में जाकर महिला दिवस के दिन एड्स की बात की जाए। यदि गल्र्स कॉलेज में जागरुकता इतनी ही जरूरी है तो एड्स दिवस के दिन करें। महिला दिवस के दिन...।
अब तो शिवपुरी की अवाम से ही निवेदन किया जा सकता है कि जाकर बताइए इस कार्यक्रम के आयोजक प्रायोजकों को, गल्र्स कॉलेज शिक्षा का मंदिर है, सभ्य परिवारों की सबसे जागरुक बेटियां वहां पढ़तीं हैं। कोई रेडलाइट एरिया नहीं, जो चले आए तामतमूरे उठाकर अपना गीत सुनाने।
समाजसेवी संस्थाओं को चाहिए कि वे अपना विरोध दर्ज कराएं और आयोजकों को चाहिए कि क्षमायाचना करें एवं आगे से ध्यान रखें कि उनके किसी भी कदम पर समाज में क्या संदेश जाएगा।
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