केपी सिंह ने विधानसभा में क्यों उठाया भाजपा नेता के अपमान का मामला

नेशनल न्यूज ब्यूरो
नईदिल्ली। पिछोर में प्रभात झा के हल्लाबोल के प्रसंग में शिवपुरी.दभास्कर.कॉम ने प्रकाशित किया था कि पिछोर में न तो भाजपा है और न ही कांग्रेस। वहां यदि कोई है तो केवल और केवल केपी सिंह। यह आरोप आज एक बार फिर सिद्ध हो गया जब मध्यप्रदेश की विधानसभा में पिछोर विधायक के तौर पर केपी सिंह ने गांजे की अवैध खेती के आरोप में गिरफ्तार किए गए एक भाजपा नेता के साथ पुलिस द्वारा की गई कथित अभद्रता का मामला पूरी ताकत से उठाया और अंतत: गृहमंत्री को उस टीआई को लाइनहाजिर करना पड़ा जिसने न केवल गांजे के खेतों को तलाशा बल्कि गांजे के कारोबारियों को गिरफ्तार भी किया। यह मामला कुछ महत्वपूर्ण संदेश देकर जाता है, इसका जिक्र बाद में होगा पहले देखिए भोपाल ब्यूरो से आई यह रिपोर्ट :-
भोपाल। गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने अवैध गांजा जब्ती मामले में आरोपी के भाई पिछोर के ब्लॉक अंत्योदय समिति अध्यक्ष को अर्धनग्न हालात में थाने लाने पर टीआई को लाइन अटैच करने का एलान किया है। मामले की जांच एडिशनल एसपी से कराई जा रही है। दोषी पाए जाने वाले पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी। गृह मंत्री को मंगलवार को विधानसभा में यह घोषणा कांग्रेस विधायक केपी सिंह की ध्यानाकर्षण सूचना, पूरक प्रश्नों और विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप के बाद करना पड़ी।

इससे पहले गृह मंत्री ने लिखित उत्तर में बताया कि पुलिस ने 9 मार्च को आनंद उर्फ राजू भट्ट के घर से अवैध गांजा जब्त किया था। उसके भाई हरिगोपाल भट्ट के अलावा भाभी, मां और पत्नी ने पुलिस कार्रवाई में बाधा डाली। राजू भाग गया। अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस के काम में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया। अगले दिन फिर पुलिस गिरफ्तारी के लिए पहुंची। राजू नहीं मिला जबकि हरिगोपाल भट्ट ने भागने की कोशिश की।

पुलिस उसे गिरफ्तार कर लाई और घर से कपड़े मंगावर पहनवाए और कोर्ट में पेश किया। विधायक केपी सिंह ने कहा कि हरिगोपाल प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, इसके पहले उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं था। दस साल तक भाजयुमो के मंडल अध्यक्ष रहे, वर्तमान में ब्लॉक अंत्योदय समिति के अध्यक्ष हैं, जिसके सचिव एसडीएम होते हैं। ऐसे प्रतिष्ठित व्यक्ति को पुलिस तौलिया बनियान पहने हुए हालत में थाने ले गई। सिंह ने सदन में फोटो भी दिखाए।


विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी ने कहा कि पुलिस ने मामला अतिरंजित किया, प्रतिष्ठित व्यक्ति को थाने ले जाने में कपड़े तो पहनने दिए होते। गृह मंत्री ने टीआई को लाइन अटैच और एडिशनल एसपी से जांच की घोषणा कर दी।

गौर से पढि़ए इस रिपोर्ट को क्या इसके बाद कुछ सवाल नहीं कौंधते आपके दिलों में :-

 1. ठीक है पिछोर का विधायक होने के नाते श्री केपी सिंह ने यह मामला विधानसभा में उठाया, लेकिन क्या पिछोर के भाजपा मंडल अध्यक्ष, शिवपुरी के भाजपा जिलाध्यक्ष के हाथों में मेंहदी लगी थी जो उन्होंने संगठन स्तर पर कोई रिपोर्ट नहीं भेजी, और शिवपुरी के तमाम भाजपा विधायकों के मुंंह में क्या दही जमा था जो उन्होंने अपने तथाकथित प्रतिष्ठित नेता के पक्ष में यह मामला नहीं उठाया।
क्या ये इस बात का प्रमाण नहीं कि पिछोर में कांग्रेस के हाईकमान भी केपी सिंह ही हैं और भाजपा के संगठनमंत्री भी।  
2. जिस पिछोर में लोग दिनरात तौलिया बनियान मैं अधनंगे घूमा करते हैं उस शहर में यदि गांजे के अवैध कारोबार के आरोपी को पुलिस घर से थाने ले आई तो ऐसा क्या बड़ा गुनाह हो गया जो विधानसभा तक मामला उठाना पड़ा। क्या इससे पहले एसपी, आईजी या डीजीपी को शिकायत की गई थी।
क्या ये इस बात का प्रमाण नहीं कि काला कारोबार करने वालों को पिछोर में संरक्षण दिया जा रहा है। विधानसभा में उनके सम्मान को सुरक्षित रखने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है, जबकि शातिर अपराधियों की धरपकड़ करने वाले टीआई को केवल इसलिए लाइनहाजिर कर दिया गया क्योंकि वो पिछोर में चल रहे कालेकारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा था।

3. क्या यह मामला तमाम सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को यह संदेश नहीं देता कि पिछोर में यदि रहना है तो कानून को गिरवी रखना होगा। 

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