जिस शहर में रेल नहीं है, वहां हो गया किराए का विरोध

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सेंट्रल डेस्क
इस शहर मे रेल नाम की चीज नहीं है, लोग बरसों से तरस रहे हैं। (बेटाइम चलने वाली दो-चार रेलों को रेल ना ही कहें तो बेहतर है) स्टेशन रेलों के इंतजार में दो बाद दरक कर गिरता गिरता बचा, फिर भी रेल नहीं आई। उस शहर शिवपुरी में रेल किराए में हुई बढ़ोत्तरी का जबर्दस्त विरोध देखा गया। शिवपुरी के प्रेसनोटी नेता तत्काल घरों से निकले और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंप डाला। जिस विदिशा कारखाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने रेलमंत्री को थेंक्यू कहा, इन शिवपुरी के नेताओं ने उसे नाकाफी बताया। यहां याद दिलाना होगा कि शिवपुरी जिले का पूरा का पूरा टे्रेफिक प्रायवेट बसों पर निर्भर है और प्रायवेट बस ऑपरेटर्स की मनमानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, परंतु मजाल है प्रायवेट बस आपरेटर्स के खिलाफ यहां कभी आंदोलन हुआ हो। केबल टीवी पर मनोरंजन कर, बिजली और शक्कर पर वेट टेक्स के समर्थन में तालियां बजाने वाले आज अचानक आमजनता के लिए बड़े संवेदनशील दिखे।देखिए शिवपुरी से आ रही ये रिपोर्ट :-


भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने रेल बजट 2012 में यात्री किराया बढ़ाने एवं मध्य प्रदेश की उपेक्षा किए जाने के विरोध में आज एक ज्ञापन प्रधानमंत्री के नाम जिलाधीश कार्यालय में पहुंचकर सौंपा। ज्ञापन में बताया है कि रेल आम आदमी की लाईफ-लाईन मानी जाती है परन्तु केन्द्र की यूपीए सरकार ने रेल बजट 2012 में रेल के यात्री किराए में 10-15 प्रतिशत  की वृद्धि कर आम आदमी की कमर तोडऩे का कार्य किया है। यूपीए के कार्यकाल में वैसे ही हर तरफ मंहगाई की मार से गरीब जनता त्रस्त है। ऐसे में रेल का किराया भी बढऩे से गरीबों पर एक ओर बोझ बढ़ेगा और साधरण किराए में 2 पैसे प्रति किलोमीटर, पैसेंजर ट्रेनों में प्रति किलोमीटर तीन पैसे, स्लीपर श्रेणी में प्रति किलोमीटर पांच पैसे, एसी 3 और एसी चेयरकार में 10 पैसे, एसी 2 में 15 पैसे और एसी-1 में प्रति किलोमीटर 30 पैसे की वृद्धि रेलमंत्री ने की है। बजट में प्लेटफार्म टिकट तीन रूपए से बढ़ाकर पांच रूपए कर दिया गया है। माल-भाड़ा बजट से ठीक पहले ही 22 प्रतिशत बढ़ा दिया गया था। भाजयुमो ने प्रधानमंत्री से कहा है कि रेल भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। भारतीय रेल 64000 किमी. मार्ग के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसे नेटवर्क पर प्रतिदिन 12000 यात्री रेलगाडिय़ां एवं 7.000 मालगाडिय़ां क्रमश: 230 लाख यात्रियों एवं 26.5 लाख टन सामान की ढुलाई करती हैं और साथ ही भारत का रेलवे आम आदमी की धड़कन भी है परन्तु यात्री किराए में वृद्धि से आज आम आदमी की धड़कनें बढ़ गई है। भाजपा का मामनना है कि महंगाई की ऐसी विषय आर्थिक परिस्थितियों में रेलवे के किराए में बढ़ोत्तरी से आम आदमी का जीना दूभर हो जाएगा। 


मध्य प्रदेश की दृष्टि से तो केन्द्र की यूपीए सरकार का यह रेल बजट पूरी तरह से दिशाहीन एवं निराशाजनक सिद्ध हुआ है। मध्य प्रदेश की जनता को रेल बजट से काफी उम्मीदें और अपेक्षाएं थी परन्तु रेल बजट में विदिाशा में रेल इंजन के कारखाने के अलावा मध्य प्रदेश को कुछ भी उल्लेखनीय हांसिल नहीं हुआ है। यह मध्य प्रदेश की सात करोड़ जनता के साथ अन्याय है। रेल बजट में रेलमंत्री ने देश के लोगों को केवल भविष्य के सुनहरे सब्जबाग दिखाए हैं। जबकि हकीकत यह है कि पिछले रेल बजट की कई घोषणाओं पर आज तक भी अमल शुरू नहीं हुआ है। रेल मंत्री से प्रदेश की और देश की जनता की अपेक्षा थी कि वे वर्तमान के लिए कुछ करेंगें पर बजट के दौरान वो केवल भविष्य के अंतहीन सागर में गोते लगाते ही नजर आए रेल बजट में सुरक्षा और बेहतर सफाई एवं यात्री सुविधाओं की जो बात कही गई है वह भी कब तक व्यावहारिक रूप से वास्तव में अमल में आएगी इसका कोई स्पष्ट संकेत रेल बजट में नहीं दिया गया है। इस ज्ञापन के माध्य से भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि महंगाई के आज के इन विषय हालातों को देखते हुए आम गरीब आदमी के हित में इस यात्री किराए की वृद्धि को तत्काल वापस लिए जाने की मांग की है। मांग करने वालों में प्रदेश मंत्री ओमप्रकाश खटीक, ओमप्रकाश शर्मा गुरू, भाजयुमो जिलाध्यक्ष मनीष अग्रवाल, गगन खटीक, अनुराग अष्ठाना, गणेश गुप्ता, धर्मेन्द्र पाराशर, विजय खन्ना, राकेश पाराशर, नरेश विशोटिया, नामनिवास लोधी, राकेश राठौर, सहित सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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