निकले थे लंका में आग लगाने, अपनी ही पूंछ जला बैठे

विशेष टिप्पणी
ललित मुदगल


शिवपुरी-भारतीय जनता पार्टी लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सत्ता की हैट्रिक मनाने की कोशिश में जी जान से जुटी हुई है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री तमाम जनहितैषी योजनाऐं बनाकर प्रदेश के आवाम का दिल जीतने में लगे हुए है तो दूसरी ओर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा आजकल अजेयगढ़ समझे जाने वाली विधानसभाओं में लगातार दौरे कर रहे है और प्रदेश सरकार की जनहितैषी योजनाऐं उन क्षेत्र के निवासियों को बताने में लगे है या यूं कह लें कि लहार, पिछोर और चुरहट जैसे अजेय समझे जाने वाले कांग्रेसी गढ़ों में मृत पड़ी भाजपा को संजीवनी देने के लिए हनुमान का रूप धारण कर चुके है। 

कांग्रेस का अजेय गढ़ पिछोर विधानसभा क्षेत्र जहां पिछले 4 विधानसभा चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है तो सन् 2003 में भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के नेतृत्व में चुनाव लड़ी थी। सुश्री उमा भारती की लहर में दिग्विजय सिंह की सरकार ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। उमा भारती की इस प्रचंड लहर में भी वह पिछोर विधानसभा सीट से अपने बड़े भ्राता स्वामी लोधी को भी नहीं जिता पाई और कांग्रेस का अपराजेय समझा जाने वाला गढ़ मुस्कुराता रहा। पिछले विधानसभा चुनाव में जहां शिवराज सिंह ने अपनी मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी पारी का आगाज किया लेकिन पिछोर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की जमानत जब्त हो गई। कुल मिलाकर यह क्षेत्र कांग्रेस का अपराजय के रूप में विख्यात है।

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा आजकल कांग्रेस के अजेयगढ़ों में सेंध लगाने के लिए भाजपा की जनहितैषी विकास यात्राऐं निकाली जा रही है। इन यात्राओं की तैयारी उन चुनाव क्षेत्रों में ज्यादा की जा रही है। जहां भाजपा ने मात खाई है या यूं कह लें कि कांग्रेस के अपराजेय गढ़ों में आग लगाने के लिए प्रभात झा ने अब हनुमान का रूप धारण कर लिया है। पिछले दिनों जहां पिछोर में पहुंचकर विकास यात्राओं में भाजपा को स्थायित्व दिलाने के लिए प्रभात झा ने हुंकार भरी और प्रदेश की येाजनाओं को जन-जन को बताकर इस गढ़ में अपने विजयी अभियान के शुरूआत की नींव रखी। 

यहां आयोजित एक कार्यक्रम में जनसभा को संबोधित करते हुए पिछोर की संस्कृति से छेड़छाड़ करते हुए प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा ने  उल-जलूल बयान देकर स्वयं को कठघरे में खड़ा कर दिया। यहंा प्रभात झा ने कक्काजू को औरत के बालों के जूं की संज्ञा दे दी। इस तरह इस गढ़ में भेद करने के लिए श्री झा को यह इतना महंगा पड़ा कि इनके जाने के बाद पिछोर में ना केवल भाजपाईयों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है वरन् क्षत्रिय समाज ने श्री झा की इस टिप्पणी को लेकर मुखर विरोध भी शुरू कर दिया और इस संदर्भ में एक ज्ञापन देकर प्रभात झा से क्षमा याचना की मांग की साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि 21 फरवरी तक श्री झा ने अपने दिए शब्दों को वापस लेकर क्षमा याचना नहीं की तो इसके बाद क्षत्रिय लामबंद्ध होकर धरना प्रदर्शन करने को बाध्य हों। 


इस विरोध के स्वर के साथ अन्य कांग्रेसी भी सनाके में है। जिन्होंने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष झा की बयानबाजी की निंदा करते हुए समाज विशेष के अपमान पर अपना विरोध दर्ज कराया। यहां कांग्रेसियों का विरोध क्षत्रिय समाज के साथ-साथ कांग्रेस के एक वरिष्ठ एवं कद्दावर नेता के.पी.सिंह के विरूद्ध की गई अपमानजनक टिप्पणी को लेकर भी था। यही कारण रहा युवक कांग्रेस ने प्रभात झा के इस व्यंग्य बाण को गंभीरता से लेकर खुले मैदान में पुलिस के सामने पुतला जला दिया। अब चूंकि पूरे मामले में हर जगह इन भाजपा के वरिष्ठ नेता की गाहे-बगाहे बुराईयों का दौर शुरू हो गया है तो हर कोई बहती नदी में हाथ धोने को तैयार है। 


इस पूरे मामले में अपने राम का तो यही कहना है कि पिछोर में मृत पड़ी भाजपा को संजीवनी देने गए भाजपा के हुनमान प्रभात झा ने अपने इस बयान को देकर क्षत्रिय समाज को भड़का दिया है। इतने बड़े नेता को कहीं भी जनसभा में जाने से पहले वहां की संस्कृति  और सभ्यता को बारीकी से पहचान कर लेना चाहिए। प्रभात झा के इस बयान से प्रदेश में शांत बैठी कांग्रेस को एक नया मुद्दा मिल गया है इस बयान के कारण क्षत्रिय समाज ने भी प्रभात झा को 21 फरवरी तक के लिए माफी मांगने की चेतावनी दी है अगर प्रभात झा क्षत्रिय समाज से माफी मांग लेते है तो भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष यह लाईनें सटीक बैठेंगी कि -भाजपा के हनुमान गए थे कांगे्रस के गढ़ में आग लगाने, गढ़ तो जला नहीं, परन्तु स्वयं की पूंछ में आग लगा बैठे.......