शिवपुरी-नगर में धर्मरस की गंगा आज 2 जनवरी से प्रारंभ हो गई। इसके लिए मॉं राज राजेश्वरी दरबार से रामकथा उत्सव समिति शिवपुरी द्वारा विशाल 108 कलश यात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से निकाली गई और महिलाऐं व बालिकाऐं सिर पर कलश लेकर चल रही थी जो विभिन्न मार्गों के द्वारा कथा स्थल गांधी पार्क पहुंची इस कलश यात्रा में पीछे-पीछे बग्गी में सवार रामकथा वाचक मॉं विश्वेश्वरी देवी विराजमान होकर नगरवासियों को शुभाशीष प्रदान कर रही थी।
इस कलश यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया एवं फूल वर्षा भी की गई। इस अवसर पर शिवपुरी जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन एवं समिति के सभी पदाधिकारी व सदस्यगणों ने इस कलश यात्रा में भाग लेकर कथा स्थल पर साध्वी विश्वेश्वरी देवी व श्रीरामकथा का पूजा अर्चन कर आर्शीवाद लिया।
रामकथा समिति के तत्वाधान में 2 जनवरी से 10 जनवरी 2012 तक गाँधी पार्क मैदान में आयोजित श्रीरामकथा की आज कलश यात्रा निकालने के उपरांत कथा स्थल पर विधि-विधान से पूजा अर्चना की गई। तत्पश्चात कथा का वाचन मॉं विश्वेश्वरी देवी ने किया जिसमें आज उपस्थित धर्मप्रेमी बंधुओं को प्रभु की प्रथम भक्ति के बारे में बताया और कहा कि संतों का का समागम ही प्रथम भक्ति है जिसे व्यक्ति से संत का साथ देकर उसे श्रवण कर लिया। वही प्रभु की प्रथम भक्ति है। इस भक्ति को गोस्वामी महाराज ने रामचरित मानस में श्रीराम व हनुमान के भाव से समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार से हनुमान जी ने सबकी सुनी और उसे श्रवण कर वह माता जानकी को सुनाया तो इस भक्ति के द्वारा हुए संवाद को प्रथम भक्ति कहा गया। साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने धर्मप्रेमी बन्धुओं को एक कथा के माध्यम से बताते हुए कहा कि एक बार संत एकनाथ अपने मार्ग से चले जा रहे थे। कि तभी उन्हें रास्ते में एक व्यक्ति मिला और उन्हें भला बुरा कहने लगा। कहते-कहते वह एक, दो, तीन, चार गांव आगे निकल गए और वह व्यक्ति उन्हें सुबह से लेकर शाम तक कई गालियां देता रहा। उन्हें ढोंगी, पापी, दुष्टिï कहा और जब उसका मन नहीं भरा तो उसने संत एकनाथ को रोककर पूछ ही लिया कि मंै आपको सुबह से इतनी गालियां दे रहा हॅंू आप कोई जबाब ही नहीं दे रहे। तो संत एकनाथ ने कहा कि इस संसार में सब कहते है लेकिन क्या सभी का कहकर सुनन अपने आचरण में लाना चाहिए। नहीं तुमने जो कहा मैंने उसे नहीं सुना लेकिन मैंने जो सुना वह तुम नहीं सुन सकोगे। क्योंकि इसके लिए समुद्र जैसा श्रवण चाहिए। इतना सुन वह व्यक्ति संत से क्षमा याचना करने लगा। साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने आज कथा के प्रसंग में प्रभु की भक्ति को बड़े ही सारगर्भित शब्दों में सुनाया और कहा कि रामचरित सुनबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया अर्थात् रामचरित सुनना है तो उसके लिए ध्यान लगाकर कथा का श्रवण करना चाहिए और भगवान राम, लक्ष्मण और सीता का मन में भाव लेकर कथा को अपने आचरण में लाना चाहिए। यदि आपने ऐसा कर लिया तो आपका जीवन सफल हो जाएगा। कथा के प्रथम दिन साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने प्रभु भक्ति का मार्ग भी बताया और जन मानस को सुनाया। कथा समापन के अवसर पर पूजन कर आरती की गई।
कथा के आज पहले दिन ही श्रद्घालुजनों का आगमन शुरू हो गया जहां सैकड़ों की संख्या में महिला व पुरूष श्रीरामकथा का श्रवण करने आए। मॉं राज राजेश्वरी समिति के अध्यक्ष रामशरण अग्रवाल व सचिव गोविन्द सेंगर व संयोजक कपिल सहगल, मुन्ना बाबू गोयल, कृष्णदेव गुप्ता, दिलीप जैन आदि ने सभी धर्मप्रेमी बन्धुओं से आग्रह किया है कि वह प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक गांधी पार्क मैदान में आयोजित श्रीरामकथा का श्रवण कर भक्ति भाव अपनाकर अपना जीवन सफल बनाऐं। कार्यक्रम में नारायण सेवा संस्थान के फील्ड कोर्डिनेटर प्रफुल्ल व्यास व विनोद कुमार चौबिसया ने बताया कि 4 जनवरी से आस्था भजन चैनल पर श्रीरामकथा का सीधा प्रसारण नारायण सेवा संस्थान उदयपुर की ओर से किया जाएगा।