राजू(ग्वाल)यादव
शिवपुरी-यातायात सुरक्षा जान की रक्षा कुछ इसी तरह के नारे और दिशा निर्देशन का कार्य कागजों में करता नजर आ रहा है यातायात विभाग शिवपुरी। यह इसलिए क्योंकि 01 जनवरी से 07 जनवरी 2012 तक प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी यातायात विभाग द्वारा यातायात सप्ताह मनाया जा रहा है वैसे तो इस सप्ताह के अंतर्गत यातायात विभाग को अपने अधीनस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों को जिम्मेदारी देकर यातायात संबंधी जानकारी देना चाहिए लेकिन शिवपुरी में तो केवल एक माईक माधवचौक चौराहे स्थित पुलिस सहायता केन्द्र पर लगाकर यातायात विभाग ने यातायात विभाग को समाप्त करने जैसे कार्य को अंजाम दिया है। इससे तो ऐसा ही लगता है कि अब शिवपुरी में तो यातायात विभाग की आवश्यकता ही नहीं क्योंकि विभाग ने माईक से सुबह-शाम-रात भर यातायात संबंधी दिशा निर्देश नगरवासियों व वाहन चालकों के लिए प्रसारित कर रखा है जो प्रतिदिन यातायात संबंधी जानकारी देकर विभाग की कार्यप्रणाली को बता रहा है।
जी हां! शिवपुरी नगर में यातायात विभाग ने जिस प्रकार से यातायात को सुव्यवस्थित करने के लिए एक नीति बनाई जिसके तहत माधवचौक स्थित पुलिस सहायता केन्द्र पर माईक लगाकर यातायात के नियमों को एक भौंपू के माध्यम से बताया जा रहा है। यदि इसी प्रकार से नियमों का पालन करने संबंधी जानकारी देना है तो फिर क्यों न यातायात विभाग को ही समाप्त कर दिया जाए। यह हम नहीं कह रहे बल्कि इसकी जीता जागता उदाहरण माधवचौक पर जारी माईक के द्वारा संबोधन किया जा रहा है। जहां यातायात के लिए नागरिकों को जागरूक किया जा रहा है कई दिशा निर्देश जो वाकई में यातायातकर्मी नहीं जानते उन्हें यह माईक बता रहा है। इससे तो अब नागरिक स्वयं ही कहने को आतुर हो गए है कि अगर विभाग का कार्यभार ऐसे ही माईकों पर संचालित रहा तो फिर यातायातकर्मियों की क्या आवश्यकता? आए दिन होने वाली यातायात के नाम पर चल रही वसूली को लेकर भी आमजन काफी परेशान रहते है।
क्योंकि बीच चौराहे पर यातायात विभाग के आलाधिकारियों ने एक वसूली नाम से दो यातायातकर्मियों को खड़ा कर वसूली का आदेश दिया है। इससे आए दिन विवाद की स्थिति भी बनती रहती है। कई बार यह यातायातकर्मी ऐसे वाहन चालकों को भी पकड़ लेते है जिन पर अपने वाहनों के सभी कागजात तो होते ही है साथ ही यातायात के नियम निर्देशों का भी वह पालन करते है। लेकिन विभाग के जो वसूलीकर्ता माधवचौके पर बैठे हुए है वह सबकुछ छोड़ वसूली को ही प्रमुखता देते है यही कारण है कि किसी न किसी बहाने से शहर के संभ्रांत परिवार के लोगों को पकड़ लिया जाए तो उन्हें बिना दान-दक्षिणा के नहीं छोड़ा जाता। अब यदि माईक से संचालित यातायात सप्ताह विभाग मना रहा है तो फिर आने वाले समय में तो यही मान लिया जाए कि यातायात विभाग को समाप्त कर माईक से ही यातायात के नियम निर्देशों का पालन संबंधी जानकारी दी जाए। इससे विभाग के अधिकारी कर्मचारियों पर खर्च की जाने वाली वेतन से जो बचत होगी उसे नागरिकों के हित में लगाई जाए तो विभाग भी सेवाभावी कार्यो में आ जाएगा और नागरिक स्वत: ही यातायत नियमों का पालन करने लगेंगे।
कानफोडू है यातायात संचालित करता भोंपूं !
शहर में इन दिनों यातायात नियम निर्देशों का पालन सिखा रहे यातायात भोंपू कानफोडू साबित हो रहा है क्योंकि प्रतिदिन सुबह-शाम-रात भर माईक के संचालन से वहां आसपास दुकान संचालित करने वाले दुकानदार तो परेशान हो ही रहे हैसाथ ही आने-जाने वाले नागरिको को भी इस कानफोडू की असुविधा से दो-चार होना पड़ रहा है। प्रात: मजदूरी करने आए मजदूरों को भी इस समस्या के चलते काम लेने आने वाले मालिकों से बात करने भी में असुविधा होती है। कई लोग तो अब इससे ऊब चुके है और उन्होनें खुले में पुलिस विभाग की इस योजना से सबक लेने की नसीहत तक दे डाली कि यदि यातायात विभाग को संचालित करना है तो इसका प्रशिक्षण भी इस भोंपू के द्वारा लिया जा सकता है यह तो एक प्रशिक्षणार्थी के समान होता है। क्योंकि विभाग को जो नियम-कानून की जानकारी नहीं है वह ये कानफोडू यातायात संचालित करता भोंपूं बता सकता है। नागरिकों को यातायात के नियमों का हवाला देता यह भोंपूं अब कानफोडू के समान हो चुका है।
व्यवसाई कर रहे यातायात सप्ताह का प्रचार
व्यवसाई कर रहे यातायात सप्ताह का प्रचार
शिवपुरी में यूं तो यातायात सप्ताह संचालित है लेकिन इस यातायात सप्ताह के तहत आयोजित किए जाने वाले शिविरों के बारे में लोग अंजान बने हुए है। यातायात नियमों की पहचान दिलाने के लिए शहर के व्यसाईयों ने बैनर होर्डिंग्स से यातयात सप्ताह का प्रचार कर यह दर्शा दिया है कि यातायात विभाग को भी सहायता की आवश्यकता है। विभाग को मिलने वाले बजट की राशि को खुर्दबुर्द कर अपने रूतबे के तहत शहर के व्यवसाईयों से यातायात सप्ताह का प्रचार करना विभाग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करता है। ऐसे में कैसे कहा जाए कि पुलिस अपना कर्तव्य ठीक ढंग से निभा रही है। यहां तो यही सामने आता है कि विभाग भी अपने कार्यप्रणाली को दूसरों के द्वारा संचालित करता है तभी तो वसूली के नाम पर चौराहे पर पुलिसकर्मी यातायात का बहाना बनाकर लोगों के साथ लूटखसोट करते है। इससे न केवल विभाग की भद्द पिटती है बल्कि उन यातायातकर्मीयों को भी लापरवाही नजर आती है। जो ड्यूटी पर शपथ लेते समय ईमानदारी से कार्य करने की कसम खाते है। वहीं विभाग की उदासीनता भी एक तरह से विभाग को खुली छूट देने का कार्य कर रही है। चाहे तो पुलिस अधीक्षक अपने अधीनस्थ अमले को चुस्त दुरूस्त कर सकते है लेकिन विभाग में महज एक दो दिन औचक निरीक्षण कर महज खानापूर्ति की जा रही है।