सफलता की कहानी: फलफूल रहा है आभा का कारोबार

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शिवपुरी-शिवपुरी जिले की मध्यम परिवार की श्रीमती आभा अग्रवाल ने शासन की योजना का लाभ लेकर साबुन उद्योग के माध्यम से सफल महिला उद्यमी बनकर अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल बनी हैं।  शिवपुरी नगर के विवेकानंद कॉलोनी निवासी श्रीमती आभा अग्रवाल पत्नि आनंद अग्रवाल ने जिला उद्योग केन्द्र के माध्यम से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 8 लाख रूपये की ऋण राशि से कपड़े धोने का साबुन बनाने का कुटीर उद्योग सफलता पूर्वक संचालित कर रहीं है। इस उद्योग हेतु उन्हें इस योजना के तहत 2 लाख 10 हजार रूपये की मार्जिन मनी राशि का भी लाभ मिला है।

श्रीमती आभा अग्रवाल इस कुटीर उद्योग के माध्यम से परिवार के तीन सदस्यों के साथ-साथ अन्य तीन श्रमिकों को भी रोजगार प्रदाय कर रहीं है। इनके द्वारा निर्मित साबुन प्रतिमाह लगभग डेढ़ से दो लाख रूपये का विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में विक्रय किया जा रहा है। इनके साबुन की खास विशेषता यह है कि ग्रामीण ''अशोक भाई एवं ''अमृतसर ब्राण्ड का इनका साबुन हाथोंहाथ खरीद लेते हैं।

वनस्पति शास्त्र में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त श्रीमती आभा अग्रवाल के मन में शुरू से ही कुटीर उद्योगों के माध्यम से स्वरोजगार स्थापित कर, अन्य लोगों को भी रोजगार देने की ललक थी। उन्होंने इस कार्य के लिए उद्योग विभाग से 15 दिन का स्वरोजगार का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। प्रशिक्षण उपरांत उन्होंने कपड़े धोने का साबुन बनाने का उद्योग स्थापित करने हेतु जिला उद्योग केन्द्र में आवेदन दिया, जहां उनके आवेदन-पत्र पर आठ लाख रूपये की राशि का ऋण स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, माधवचौक शिवपुरी ब्रांच द्वारा स्वीकृत किया गया।

श्रीमती अग्रवाल का कहना है कि कोई भी काम बड़ा एवं छोटा नहीं होता है समय पर सही मार्गदर्शन एवं आर्थिक सहायता उपलब्ध होने पर और मेहनत एवं लगन होने पर किसी भी क्षेत्र में लघु उद्योग शुरू कर स्वरोजगार प्राप्त किया जा सकता है और अन्य लोगों को भी रोजगार दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके इस कुटीर उद्योग से लगभग 25 हजार की मासिक आय भी हो रही है। धीरे-धीरे उनके द्वारा निर्मित साबुन पड़ौसी जिले श्योपुर तक विक्रय हेतु जा रहा है। श्रीमती अग्रवाल ने बताया कि उनके इस कार्य में उनके पति तथा परिजनों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्हें अपने परिवार के संचालन में भी किसी प्रकार की कठिनाई नहीं आ रही है। उन्होंने युवाओं से कहा कि कुटीर उधोगों में भी रोजगार की अपार संभावना हैं। अत: युवा वर्ग शासकीय नौकरी की अपेक्षा अपना स्वंय का व्यवसाय स्थापित करने हेतु भी आगे आऐं। जहां स्वंय को रोजगार मिलेगा वहीं अन्य बेरोजगारों को भी रोजगार मिले।
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