ग्राउण्ड जीरो से विशेष रिपोर्ट
ललित मुदगल/संजीव पुरोहित
शिवपुरी. म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के व्यक्तित्व एवं कार्यक्रम के अनुसार उनकी भाषा में प्रदेश में रहने वाले बच्चे उनके भांजे या भांजियां है। म.प्र.सरकार ने अभी हाल ही में ही प्रदेश भर की बच्चियों के पांव पूजे है और ये पांव पूजने का अभियान पांव पूजने से लेकर बड़े-बड़े होर्डिंग्स और बैनरों में भी बनाया गया है। इसके विपरीत प्रदेश के शिवपुरी जिले में यह पांव पूजने का अभियान एक धोखा निकला। भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं ने बच्चियों के साथ फोटो खिंचवाकर बड़े-बड़े होर्डिंग्स शहरों में लगवाए। भाजपा के नेता शायद कभी किसी गांव में किसी भी बच्ची को देखने के लिए नहीं गए। क्योंकि यहां की बच्चियों की स्थिति बड़ी दयनीय वह चीख-चीखकर अपने शिवराज मामा से कह रही है कि पांव मत पूजो शिवराज मामा केवल पेट भर खाना दे दो।
यह लिखने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि शहर के बड़े-बड़े होर्डिग्सों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में हमारी टीम ने जब बच्चियों की स्थिति देखी तो जो भ्रष्ट अफसरानों की करतूतों, नकारेपन को प्रदर्शित करता है। माननीय मुख्यमंत्री जी अपने भांजे-भांजियों की शक्ल देखिए और इन्हें भी अपने होर्डिग्स की शोभा बनाईये। यह बयां करते है शिवपुरी जिले के भुखमरी स्थल की वास्तविक तस्वीर।
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| शिवपुरी में कुपोषण |
सर्वप्रथम हमारी टीम बैराढ़ से 10 किमी दूर ग्राम पंचायत कैमई के पिपरई आदिवासी बस्ती में पहुंची। इस बस्ती में लगभग 50 आदिवासी परिवार निवास कर रहे है। हमें यहां कुपोषितों का वह मंजर देखने को मिला जो शब्दों में लिखना असंभव है। इस बस्ती में निवास करने वाले बच्चे राजसी उम्र 3 वर्ष माता का नाम लक्ष्मी, पिता का नाम उत्तम आदिवासी इसका वजन मात्र 4 किलोग्राम है। विभाग के ईडब्लयूसी पत्रक के अनुसार यह बच्ची अति कुपोषित है इसी बच्ची के यहां जीवन रक्षक कहे जाने वाले कोई भी टीके नहीं लगे है। इसी आदिवासी बस्ती में एक वर्ष का मासूम उसका नाम रामसिंह माता का नाम उमा पिता का नाम ददुआ आदिवासी है। इस 1 साल के मासूम का वजन हमारी टीम ने तौला तो देखने वालों तक की रूह कांप उठी इसी बच्चे का जन्म मात्र 250 ग्राम से भी कम था। इस महाकुपोषित बच्चे को देखकर हमारे मन में विचार आया कि नेताओं के साथ-साथ अधिकारियों की आत्मा भी मर चुकी है और क्या यही उज्जवल भारत का भविष्य है। ग्राम पंचायत कैमई से लगभग 5 किमी दूर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क पर ही बसा ग्राम धौरिया इस ग्राम पंचायत धौरिया गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर आदिवासी बस्ती है। इस बस्ती में हमारी गाड़ी रूकते ही पास में खेल रहे आदिवासी बच्चों ने हमें घेर लिया।
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| शिवपुरी में कुपोषण |
हमने इन आदिवासी बस्तीयों में निवासरत लोगों से पूछा कि यहां का आंगनबाड़ी केन्द्र खुलता है क्या, बच्चों को नाश्ता और मध्याह्न भोजन वितरित होता है क्या, तो हमें जबाब मिला कि कभी-कभार मिलता है। इस आदिवासी बस्ती में हमने एक बच्ची जिसका नाम मेंहदी उम्र 5 साल माता का नाम कला पिता का नाम सिल्लई आदिवासी इस बच्ची का जन्म 7 किलोग्राम ही था। इस बच्ची को देखकर हमारे कैमरामेन ने उसका फोटो लेने से मना कर दिया कि मेरी आंखों में इतनी शक्ति नहीं है कि मैं इस महाकुपोषित बच्ची का फोटो ले सकूं। इस बस्ती से लगभग 15 किमी दूर बैराढ़ रोड पर गोवर्धन पंचायत की आदिवासी बस्ती श्रीपुरा हमारी टीम पहुंची तो इस बस्ती में कुपोषण की काली छाया और अधिकारियों की लापरवाही देखने को मिली।
इस बस्ती में हमें एक बच्चा अति कुपोषित मिला इस बच्चे का नाम छोटू उम्र 1 वर्ष माता का नाम अंगूरी पिता का श्रीपत आदिवासी है। इस बच्चे का वजन 3 किलो 500 ग्राम था। इसी बस्ती में दूसरा बच्चा आशीष उम्र 5 वर्ष माता का नाम शीला पिता का नाम जसुआ आदिवासी इस बच्चे का जन्म 8 किलोग्राम था। यह बच्चा भी कुपोषण का शिकार है। इस आदिवासी दंपत्ति का दूसरा बच्चा जिसका नाम दीवान जिसका वजन 7 किलोग्राम था परन्तु इसका पेट कुपोषण की कहानी कह रहा था।
हमारी टीम पोहरी से मात्र 10 किमी दूर ग्राम पंचायत मडख़ेड़ा पहुंची। यहां भी वही हालात थे जो सब जगह देखने को मिले। इस आदिवासी बस्ती में एक बालिका मारन जिसकी उम्र 3 साल थी जिसके पिता का नाम केदार और माता का नाम काशी है। इस बच्ची का वजन जब हमारी टीम ने तौला तो मात्र 3 किलो 300 ग्राम निकला। इसे कुपोषण कहेंगे कि महाकुपोषण। इसी आदिवासी बस्ती में एक बच्ची स्मृति उम्र 3 साल पिता पप्पू माता कमलेश इस बच्ची का स्वास्थ्य चीख-चीखकर कह रहा है कि मेरा भोजन मत खाओ। मुझे मेरे पैरों पर चलना है। यह 3 साल की बच्ची कुपोषण के कारण अभी अपने पैरों पर भी खड़ी नहीं हो पा रही थी।
देवपुरा पंचायत में एक आदिवासी दंपत्ति जिसकी दो बच्चे एक रजनी, टिंकल यह दोनों बच्चियां 3 साल की है और इनका वजन केवल 3-3 किलो ही था। यह बच्चियां इतनी कमजोर थी कि यह बैठ भी नहीं पाती। जब हमें पांच ग्राम पंचायतों में निम्न बच्चे महाकुपोषित देखने को मिले तो आप अनुमान लगाए कि 600 ग्राम पंचायतों में कुपोषण की स्थिति क्या होगी।
ऐनकेन प्रकरण कुछ भी हो। इस महाकुपोषण को देखकर हमने अनुमान लगाया कि महिला बाल विकास विभाग पूरी तरह निन्द्रा में है और भ्रष्टाचार के दिव्य स्वप्न देख रहा है। इस आंखों देखे मंजर से हमारा दिल दहल गया। करोड़ों रूपया खर्च सैकड़ों योजनाऐं हमारे हजारों कर्मचारियों महिला बाल विकास विभाग के पास है फिर भी कुपोषण इन सब पर भारी है।
ऐनकेन प्रकरण कुछ भी हो। इस महाकुपोषण को देखकर हमने अनुमान लगाया कि महिला बाल विकास विभाग पूरी तरह निन्द्रा में है और भ्रष्टाचार के दिव्य स्वप्न देख रहा है। इस आंखों देखे मंजर से हमारा दिल दहल गया। करोड़ों रूपया खर्च सैकड़ों योजनाऐं हमारे हजारों कर्मचारियों महिला बाल विकास विभाग के पास है फिर भी कुपोषण इन सब पर भारी है।
इसका प्रमुख कारण विभाग का उदासीन रवैया और भ्रष्टाचार ही हो सकता है। इस विभाग में भ्रष्टाचार कुपोषण से ज्यादा जड़े जमा चुका है। इन सभी बच्चों को देखकर हमारे दिल से यही आह निकलती है। कि कैसे बयां करे ये जुबां कुपोषण कहानी तेरे जुर्म की....।
कुछ और रोंगटे खड़े कर देने वाले चित्र
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| शिवपुरी कलेक्टर जॉन किंग्सली |
कुपोषण पर क्या कहते है कलेक्टर
11 हजार बच्चे कुपोषण से पीडि़त है इनके लिए पोषण पुर्नवास केन्द्र स्थापित किए है। शिवपुरी, पोहरी के अलावा करैरा, पिछोर, नरवर में भी कुछ केन्द्र बनाए गए है यहां इन कुपोषित बच्चों के लिए केन्द्रों के माध्यम से कुपोषण खत्म करने के लिए सुविधाऐं दी जा रही है फिर भी हमारे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे वहीं शासन की महत्वाकांक्षी योजना अटल बाल मिशन के आधार पर इनको और अधिक सुविधाऐं दी जाऐंगगी साथ ही कुपोषण को खत्म करने के लिए योग्य प्रशिक्षण आंगनबाड़ी कार्यकार्ता, सहायिका व आशा को दिया जा रहा है। अगर कोई भी इसमें लापरवाही बरतते है तो उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।
जॉन किंग्सली
कलेक्टर शिवपुरी
कलेक्टर शिवपुरी










