ईश्वर को जानना ही हमारा ध्येय :साध्वी विश्वेश्वरी

0

शिवपुरी. गांधी पार्क मैदान में पांचवे दिन कथा का श्रवण कराते हुए साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने उपस्थित धर्मप्रेमी बन्धुओं को प्रेम का भाव अर्थ बताते हुए कहा कि प्रेम एक है लेकिन उसकी अभिव्यक्ति के तरीके अलग-अलग है,इसी का परिणाम है कि आप लोग जो कथा का श्रवण कर रहे हैं इसका मात्र एक ही तात्पर्य है ईश्वर को जानना इसी के साथ आज रामविवाह के प्रसंग का विस्तार पूर्वक वर्णन किया। मानस मर्मज्ञ साध्वी विश्वेश्वरी ने कथा के माध्यम से विवाह संस्कार का महत्व समझाया। इस अवसर पर आज कथा का लाभ लेने के लिए शिवपुरी विधायक माखन लाल राठौर, सहित रामकथा आयोजन समिति के सदस्यगण व सैकड़ों धर्म प्रेमी बन्धुओं नेे साध्वी विश्वेश्वरी देवी से आर्शीवाद प्राप्त कर कथा का श्रवण किया।  

साध्वी रामकथा के दौरान बताया कि मिथिला नरेश राजा जनक ने सीता का ब्याह रचाने के लिए स्वयंवर रचाया। इसमें सभी क्षेत्रों के राजाओं के साथ लंकापति रावण भी शामिल हुआ। शर्त थी कि जो राजा भगवान शिव का धनुष तोड़ेगा। उसी के साथ सीता का ब्याह रचाया जाएगा। धनुष तोड़कर सीता को पाने के लिए सभी ने मशक्कत की लेकिन सभी राजा थक हार कर बैठ गए। इस पर राजा जनक निराश हो गए फिर भगवान श्रीराम आगे बढ़े और उन्होंने शिव का धनुष तोड़ दिया। इसके बाद उनका सीता संग ब्याह रचाया गया। साध्वी विश्ववेश्वरी जी ने गांधी पार्क में श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि श्रीराम और सीता विवाह का रोचक वर्णन किया। अवध की मर्यादा को देखते हुए श्रीराम ने सिर झुकाना नहीं चाहते थे। 

ऐसे में लक्ष्मण ने युक्ति निकाली और बड़े भाई का पैर छुआ तो श्रीराम ने आशीर्वाद देने के लिए सिर झुकाया और सीता ने गले में वरमाला डाल दी। संगीतमयी रामकथा में राम सीता ब्याह का श्रद्धालु प्रभु श्रीराम के जयकारे लगाते हुए भजनों पर नृत्य करने लगे। इसके बाद गांधी पार्क मैदान रामके जयकारों से गूंज उठा। रामकथा दोपहर 2 बजे शाम 5 बजे तक कथा का श्रवण कराया जा रहा है। वहीं श्रद्घालुओं की संख्या में दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है और प्रभु भक्ति का मार्गदर्शन पाने श्रद्घालुजन उमड़ रहे हैं।
Tags

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!