चिंतन करने का माध्यम है जेल : साध्वी विश्वेश्वरी देवी

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शिवपुरी- मानव जीवन बड़े ही दुर्लभ संयोग से मिलता है फिर भी मानव इसकी महत्वता को नहीं समझता और अपने क्रोध व आवेश  में  आकर ऐसे कार्य को अंजाम दे देता है कि उसे जेल के द्वार आना पड़ता है लेकिन यह मानव के लिए एक सुखद संयोग ही कहा जाएगा क्योंकि प्रभु भक्ति हो अथवा स्वयं के कल्याण की सोच इसके लिए चिंतन करने का सबसे सरल माध्यम है जेल। कैदियों की दशा बदलने के लिए अपने ओजस्वी वाणी में प्रवचन दे रही थी प्रसिद्ध श्रीरामकथा वाचक साध्वी विश्वेश्वरी देवी जो स्थानीय उपजेल में कैदियों के जीवन को बदलने के लिए उन्हें मानवता का पाठ पढ़ाकर ईश्वरी भक्ति के माध्यम से चिंतन करने पर जोर दे रही थी। इस अवसर पर उपजेल अधीक्षक व्ही.एस.मौर्य ने श्रीरामकथा आयोजन समिति व जेल पहुंची साध्वी के प्रति आभार व्यक्त किया। उपजेल में प्रवचनों के दौरान सद्मार्ग व ईमानदारी से पूर्ण भक्ति गीत साध्वी द्वारा कैदियों को सिखाए गए। 

शिवपुरी शहर की नगरी को अपने ओजस्वी श्रीरामकथा की वाणी से जन-जन का कल्याण कर रही प्रसिद्ध साध्वी विश्वेश्वरी देवी  से धर्मलाभ के अनुमोदन के लिए उपजेल शिवपुरी के उपजेल अधीक्षक व्ही.एस.मौर्य ने श्रीरामकथा आयोजन समिति के रामशरण अग्रवाल, संयोजक कपिल सहगल, मुन्ना बाबू गोयल, कृष्णदेव गुप्ता सहित स्वयं साध्वी विश्वेश्वरी देवी से विशेष आग्रह किया था कि वह जेल में बंद कैदियों की सद्बुद्धि व कल्याण के लिए अपने आशीर्वचन उपजेल में दें। इसके लिए तहत स्वीकृति मिलते ही रविवार के दिन कैदियों के बीच साध्वी विश्वेश्वेरी देवी उपजेल शिवपुरी पहुंची और कैदियों के जीवन बदलने के लिए आशीष प्रवचन दिए। साध्वी ने कैदियों को सीख देते हुए कहा कि जेल में आना एक ऐसा अवसर होता है जब हम सारे संसार की खबरों से बेखबर होकर केवल प्रभु भक्ति के बारे में सोचते है लेकिन कैदी यहां भी चिंतन न करते हुए स्वयं के किए कार्यों को लेकर पछतावा करते है यह अच्छी बात है फिर भी इस पछतावे में यदि ईश्वर का ध्यान मन लगाकर किया जाए तो जीवन को नया रूप दिया जा सकता है। 

साध्वी ने कहा कि आज मानव की मानवता समाप्त हो चुकी है क्योंकि मानव ही इस शरीर को नहीं समझ पा रहा है। जिस मानव शरीर के अंदर विद्या, ज्ञान, तप, संस्कार और दूसरों के दु:ख को देकर स्वयं उस पीड़ा को महसूस न कर सके वह मानव नहीं हो सकता है। ईश्वर ने मानव रूपी शरीर दिया है तो उसके पहचानने के लिए स्वयं को पहचानना होगा तब हम शरीर की सार्थकता को समझ पाऐंगे। साध्वी विश्वेश्वरी देवी ने रावण के वध के बारे में संक्षिप्त रूप से बताया कि बुद्धि और बल की शक्ति से पूर्ण रावण  ने भी अपनी मृत्यु के लिए वानर और मानव को चुना था और उसने मानवों को अपना संरक्षण देकर दानव बना लिया था तब भगवान श्रीराम ने मानव का रूप लेकर उसका वध किया था क्योंकि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम ऐसे ही रावणों का वध करने के लिए बार-बार मानव के रूप में जन्म लेते है। इसलिए कैदी भी अपने शरीर के अंदर मौजूद मानव को पहचानें तो उन्हें कभी जेल के द्वार नहीं आना पड़ेगा। 

साध्वी के प्रवचनों को सुन सभी कैदियों ने अपनी बुरी आदतों से मुक्त रहने का संकल्प लिया। इस अवसर पर आयोजन समिति व साध्वी के जेल में पधारने पर जेल अधीक्षक व्ही.एस.मौर्य ने आभार माना। 
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