राजू (ग्वाल) यादव
शिवपुरी- यह सही है कि अभी वर्ष 2013 आने में एक वर्ष है लेकिन शिवपुरी में आए दिन होने वाले आन्दोलनों और कार्यक्रमों से ऐसा प्रतीत होता है कि राजनीति दलों में विधानसभा मिशन 2013 को फतह करने की शुरूआत हो चुकी है। इसकी सुगबुगाहट की नजीर तो आए दिन भाजपा व कांगे्रस सहित अन्य दलों के मैदान में कूदने से भी नजर आ रही है। क्योंकि जिले की राजनीति एक नई करवट ले रही है।
भले ही इसे कोई चुनाव से संबंधित नाम दे या ना दे लेकिन आए दिन होने वाले आन्दोलनों और एक-दूसरे पर पटाक्षेप से ऐसा ही प्रतीत होता है कि शिवपुरी में विधानसभा 2013 की सुगबुगाहट को नकारा नहीं जा सकता। इसके कई मायने न केवल जनप्रतिनिधि बल्कि आमजनता भी देख रही है और वह भी ताल से ताल मिलाकर अपने मत को इन प्रतिनिधियों को देने के लिए तैयारी में साथ दे रहे है। यहां गौर करने वाली एक बात और भी है कि प्रभारी मंत्री का पदभार बदला जाना भी इसके लिए चर्चा का माहौल बना रहा है। खैर यह तो रही भविष्य की बात वर्तमान परिवेश में जो हो रहा है हम उस पर चर्चा करते है। वैसे इसके लिए तैयारियां का क्रम शुरू हो चुका है।
शिवपुरी के परिवेश में यूं तो जनसेवा के नाम पर कई जनप्रतिनिधि आज भी अपनी रोटियां सेंकने में लगे हुए है और मजाल है कि आज तक इनके आंचल पर कोई दाग भी लगा हो भले ही वह किसी भी पार्टी से संबंधित हो। हम यह इसलिए कह रहे है क्योंकि भोली-भाली जनता को अभी से बेवकूफ बनाने का कार्य भी श्ुारू हो चुका है। बीते कुछ रोज पूर्व की बात की जाए तो यहां बताना लाजिमी होगा कि कांग्रेस पार्टी ने अपने इस अभियान की शुरूआत करने से पहले भाजपा ने ही विधानसभा 2013 के मिशन की शुरूआत की है। शिवपुरी जिले में प्रभारी मंत्री के रूप में पदभार संभाले नारायण सिंह कुशवाह की दूरी को न केवल स्थानीय प्रतिनिधि बर्दाश्त कर पा रहे थे बल्कि प्रदेश तक प्रभारी मंत्री श्री कुशवाह को बदलने के लिए भी एडी चोटी का जोर लगाया गया।
इसके लिए प्रदेश सरकार ने अपने कुनबे के सामान्य प्रशासन मंत्री का नाम उस सूची में दर्ज करा दिया जब प्रदेश में कई प्रभारी मंत्रियों को इधर-उधर किया गया। इसमें के.एल.अग्रवाल को शिवपुरी जिले के प्रभारी मंत्री की कमान सौंपी गई। वहीं इस घोषणा के बाद कांग्रेस ने भाजपा को घेरने के लिए प्रदेश से एक नीति बनाई और जनता के सामने अपने संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए जेल भरो आन्दोलन की घोषणा की। इस आन्दोलन से न केवल भाजपा व बल्कि स्वयं कांग्रेस भी सनाके में था क्योंकि जेल भरो आन्दोलन का परिणाम प्रदेश की राजनीति को अपना आईना दिखाने के समान था। शिवपुरी की बात की जाए तो यहां इस आन्दोलन ने अपना असर फीका छोड़ा क्योंकि एक ओर जहां प्रदेश प्रभारी व इंदौर विधायक तुलसी सिलावट ने प्रेसवार्ता के माध्यम से जेल भरो आन्दोलन में 5 से 10 हजार कांग्रेसियों के गिरफ्तार होने की बात कही थी लेकिन महज 1500 कांग्रेसियों की गिरफ्तारी ने न केवल इस आन्दोलन की हवा निकाल दी बल्कि आने वाले भविष्य में भाजपा की साख को भी अपने नजरिए से दर्शा दिया है।
इस अभियान की विफलता पर भाजपा ने जहां खुशी व्यक्त की तो इसके बाद ही कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलने की रणनीति बनाई गई जिसमें समाजसेवी अन्ना हजारे का समर्थन भाजपाईयों ने किया। जहां प्रदेश सरकार के आह्वान पर स्थानीय भाजपा के प्रदेश मंत्री ओमप्रकाश खटीक, जिलाध्यक्ष रणवीर रावत, जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू आदि ने प्रेसवार्ता के माध्यम से भाजपा की नीति और योजनाओं को विस्तार से बताया और इसमें नई योजनाओं को भी शामिल करने की बात कही। इस प्रेसवार्ता से भाजपा और कांगेस दोनों ही दलों की नीतियां सामने आई। वहीं लोकपाल बिल को भी हथियार बनाकर एकदिवसीय धरना देकर खुले मंच से कांग्रेसियों को जमकर कोसा। दोनों ही दल एक दूसरे को कोसने का कोई अवसर नहीं छोडऩा चाहते है इससे यह परिदृश्य सामने आता है कि अभी 2013 मिशन तो दूर है लेकिन इसकी सुगबुगाहट शिवपुरी में शुरू हो चुकी है। इन आन्दोलनों से शिवपुरी के साथ-साथ प्रदेश के सभी जिलों में विधानसभा चुनाव चहल कदमी को भी एक नजरिए से देखा जा सकता है। खैर यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि क्या दोनों दल अपनी-अपनी नीतियों से जनता को रिझा पाऐंगे अथवा यू.पी. में होने वाले चुनावों से भी सबक लेने के लिए दोनों दल तैयार रहेंगे। क्योंकि तीसरे मोर्चे के रूप में बसपा भी मौजूद है जो अपने यूपी प्रदेश के साथ-साथ एमपी में भी प्रवेश करना चाहती है।
चल रहे कटाक्षबाण से आरोप-प्रत्यारोप के दौर
चल रहे कटाक्षबाण से आरोप-प्रत्यारोप के दौर
शिवपुरी की राजनीति में आए दिन होने वाले आन्दोलन, धरना प्रदर्शन अथवा अन्य कोई ऐसा आयोजन जिससे आम जनता के बीच अपनी पकड़ बनाई जा सके या स्वयं को सभी के सामने प्रदर्शित किया जा सके। ऐसे आन्दोलनों में अब होड़ा-होड़ी का दौर भी शुरू हो चुका है। जहां कांग्रेस के जेल भरो आन्दोलन में विधायक के.पी. सिंह के आने से पहले मंच पर जो दृश्य देखने को मिले उससे हर कांग्रेसी उत्साहित नजर आया और वह अपनी आवाज से जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने केलिए अनाप-शनाप कहने लगा। जहां भाजपाईयों को व्यापारियों के नाम पर बताशे वाले, नारियल वाले, रस्सी वाले, पत्ते वाले आदि जैसे शब्दों से संबोधित कर व्यंग्य बाण किए तो वहीं विधायक पिछोर श्री सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चोरों का सरदार कहने से भी गुरेज नहीं किया।
वहीं बड़े बुजुर्ग जनप्रतिनिधि भी अपनी वाणी अन्य दलों पर कटाक्ष करते नजर आए। दूसरी ओर भाजपाईयों ने भी प्रेसवार्ता हो या लोकपाल बिल पास न होने को लेकर आयोजित किया गया धरना प्रदर्शन इस प्रदर्शन में भी भाजपाईयों ने विरोधी दल को न केवल कोसा बल्कि राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के मुर्दाबाद के नारे भी खुले रूप से लगाए गए। ऐसे आन्दोलनों में एक-दूसरे पर किए जाने वाले तीक्ष्ण बाण न केवल जनता को असमंजस में डाल रहे है बल्कि अभद्र व असंयमपूर्ण भाषा के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाई गई तो किसी दिन विवाद की स्थिति से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
