शिवपुरी. दो साल पहले शिवपुरी में चातुर्मास कर भगवान महावीर के संदेशों को जन-जन तक प्रसारित करने वाली साध्वी रमणीक कुंवर जी म.सा. ठाणा चार सतियों का आज शिवपुरी आगमन पर जैन और अजैन समाज द्वारा जोरदार स्वागत किया गया।
शिवपुरीवासियों ने साध्वियों की अगवानी एबी रोड पर होटल लक्ष्मीनिवास के पास स्थित पंकज गूगलिया के निवास स्थान पर की और इसके बाद नगर के प्रमुख मार्गों से जैन साध्वियों की शोभायात्रा पूर्ण भक्तिभाव और श्रद्धा के साथ निकालकर उन्हें ओसवाल गली स्थित पोषद भवन ले जाया गया। जहां धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी रमणीक कुंवर जी और साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने शिवपुरीवासियों को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि उन्हें संतों का सानिध्य निरंतर प्राप्त होता है। पंन्यास प्रवर संत चिदानंद विजयजी म.सा. वर्षावास बिताकर कल ही शिवपुरी से उनका विहार हुआ है और आज हमारा आगमन हो गया है। धर्मसभा में साध्वी रमणीक कुंवर जी ने शिवपुरी में चातुर्मास करने वाले संत चिदानंद विजयजी महाराज की सराहना करते हुए कहा कि उनकी प्रेरणा से शिवपुरी में धर्म की अद्भुत प्रभावना हुई है, लेकिन उन्होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया गया कि 24 घंटे के विलम्ब के कारण उन्हें पंन्यास प्रवर चिदानंद विजयजी महाराज के दर्शन का लाभ नहीं मिल सका। इस अवसर पर जैन समाज ने जैन साध्वियों से अगला चातुर्मास शिवपुरी में करने की विनती की। जिस पर गुरुणी मैया ने जवाब देते हुए कहा कि आपकी विनती मेरी झोली में है और समय पर इसके बारे में निर्णय लिया जाएगा।
विदित हो कि गुडग़ांव में चातुर्मास करने के बाद गुरुणी मैया साध्वी शांतिकुुंवर जी म.सा. की सुशिष्याएं साध्वी रमणीक कुंवर जी, प्रवचन प्रभाविका साध्वी नूतनप्रभाश्री जी, घोर तपस्वी साध्वी पूनमश्री जी और साध्वी वंदना श्रीजी म.सा. पदविहार करतीं हुईं शिवपुरी आईं। आज सुबह उन्होंने सतनवाड़ा से विहार किया और सुबह नौ बजे वह लक्ष्मीनिवास पहुंचीं जहां शिवपुरीवासी उनके स्वागत के लिए मौजूद थे। जैन साध्वियों की अगवानी करने वालों में संत चिदानंद विजयजी म.सा. के सांसारिक पिता खजांचीलाल जी जैन, श्वेताम्बर मूर्ति पूजक समाज के अध्यक्ष दशरथमल सांखला, सचिव धर्मेन्द्र गूगलिया, स्थानकवासी समाज के सचिव हर्ष कोचेटा, चातुर्मास कमेटी के संयोजक तेजमल सांखला, अशोक गूगलिया, अशोक मुनानी, कीमतीलाल जैन, प्रवीण जैन, वीरेन्द्र सांड, जीतमल सांखला, संतोषचंद नाहर, नरेन्द्र कोचेटा, प्रदीप सांखला, विजय पारख, प्रदीप काष्टया, ज्ञानचंद जैन, अभय कोचेटा, अशोक कोचेटा, मुकेश भांडावत, मुकेश जैन, मोहन राठौर, रुपकिशोर वशिष्ठ एडवोकेट, राजेश गूगलिया, श्री भंसाली, महेन्द्र सखलेचा सहित अनेकों लोग थे। यहां से जैन साध्वियों की भव्य अगवानी की गई और इसके पश्चात विशाल जुलूस के साथ साध्वियों के स्वागत का काफिला आगे बढ़ा जहां धर्मप्रेमियों ने साध्वी रमणीक कुंवर जी म.सा. के जय-जयकार के नारों से आकाश गुंजायमान कर दिया। इसके बाद पोषद भवन में भजन गायिका साध्वी वंदनाश्रीजी ने गुरु की महिमा को रेखांकित करते हुए सुंदर भजन का गायन किया और साध्वी नूतनप्रभाश्री ने कहा कि शिवपुरी में हमारा अल्प प्रवास है अत: कम से कम समय में आप अधिक से अधिक हमारा उपयोग कर धर्म की प्रभावना बढ़ाएं। कार्यक्रम का संचालन अशोक कोचेटा ने करते हुए बताया कि साध्वी रमणीक कुंवर जी म.सा. ठाणा चार के प्रवचन कल 13 दिसम्बर 2011 मंगलवार को सुबह नौ से दस बजे तक ओसवाल गली स्थित पोषद भवन में होंगे जिसका धर्मप्रेमी लाभ उठाएं। साध्वी जी के 14 दिसम्बर को प्रवचन श्रीराम कॉलोनी में अशोक मुनानी के निवास स्थान पर तथा 15 दिसम्बर को समाजसेवी वीरेन्द्र सांड के प्रायवेट बस स्टेण्ड के आगे स्थित निवास स्थान पर सुबह नौ से दस बजे तक होंगे। उन्होंने धर्मपे्रेमियों से जैन साध्वियों के प्रवचन का लाभ उठाने की अपील की है।
साध्वी पूनमश्री जी और साध्वी वंदनाश्री जी भी आईं
इस बार साध्वी रमणीक कुंवर जी के साथ तपस्वी साध्वी पूनमश्री जी और मधुर गायिका साध्वी वंदनाश्री जी भी आईं हैं। इन दोनों साध्वियों का सानिध्य शिवपुरीवासियों को साध्वी रमणीक कुंवर जी के दो वर्ष पूर्व हुए चातुर्मास में नहीं मिला था। इस पर प्रवचन देते हुए साध्वी नूतनप्रभाश्री जी ने कहा कि इसी कारण शिवपुरीवासियों को चार दिन का लाभ मिल रहा है ताकि उक्त दोनों साध्वियों से आप भली प्रकार से परिचित हो सकें। साध्वी नूतनप्रभाश्री जी ने कहा कि साध्वी पूनमश्री जी विदेश में विहार कर चुकी हैं और दो साल से वर्षीतप की कठोर तपस्या कर रही हैं। इस तपस्या में एक दिन उपवास और अगले दिन वह भोजन ग्रहण करती हैं। इसके अलावा साध्वी पूनमश्री जी धार्मिक प्रतियोगिताएं कराने में भी प्रवीण हैं। अपने इसी गुण का इजहार करते हुए साध्वी पूनमश्री जी ने आज पोषदभवन में महिलाओं के लिए प्रतियोगिताएं संपन्न कराईं जिसमें प्रथम पुरुस्कार शकुन्तला कोचेटा और द्वितीय पुरुस्कार मंजु कोचेटा ने जीता। साध्वी नूतनप्रभाश्री जी ने बताया कि दूसरी साध्वी वंदनाश्री जी पर भी सरस्वती की अटूट कृपा है और वे मधुर स्वर में भजन गायन करती हैं।
