अन्नी ने अध्यक्ष के खिलाफ खोल मोर्चा

शिवपुरी-गत दिवस नगर पालिका में 38 बिन्दुओं को लेकर मचे हो-हंगामे के बाद अब आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए है। इस क्रम में सांसद प्रतिनिधि अन्नी शर्मा ने कल हुए हंगामे को लेकर इसे भ्रष्टाचार रूपी एजेंडे का पर्दाफाश बताया है। नपाध्यक्ष की मनमानी के आरोप भी लगाए गए है साथ ही पूरी परिषद को भ्रष्टाचार रूपी एजेंडा का अंग निरूपित किया गया है।

श्री शर्मा ने नपा अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार के खुले आरोप लगाते हुए कहा है कि पूरी तरह से भ्रष्टाचार का केन्द्र बिन्दू बना परिषद का ऐजेंड़ा नपा अध्यक्ष ने अपना घर भरने के लिए अलोकतांत्रित तरीके से पक्ष-विपक्ष के पार्षदों के विरोध के बाबजूद ऐजेंड़ा सर्व सम्मति से पास की घोषणा करके यह साबित कर दिया है कि वह नगर पालिका में सिर्फ भ्रष्टाचार करने के लिए बैठी हैं। जनहित को दरकिनार कर जनता के गाड़े पसीने की कमाई को लूटने का कार्य नपा अध्यक्ष शिवराज सरकार के संरक्षण में कर रहीं है। नपा में भ्रष्टाचार के मामलों की पोल खोलते हुए सांसद प्रतिनिधि अन्नी शर्मा ने बताया कि नपा अध्यक्ष के लोग चोरी छुपे टेंडर लगाकर मनमानी रेटों पर निर्माण कार्य कर रहे हैं। 
 
अध्यक्ष की साइलेंट पार्टनर शिप में किए जा रहे इन निर्माण कार्यो में नौकरशाही 50 प्रतिशत का ऐडजेंस्टमेंट कर रही है। जल्द ही ऐसे बहुचर्चित मामलों की पोल नगर पालिका से एमबीयां हांसिल करके मुख्यमंत्री, नगरीय मंत्री और इन सबसे ऊपर जनता जनार्दन के सामने खोली जाएगी। निर्माण कार्यो में अध्यक्ष पर साईलेंट पार्टनशिप का आरोप जड़ कर उन्होंने कहा कि सप्लाई में अध्यक्ष खुद बेनामी तौर पर मलाई मार रहीं है।
 
यूं बताया बिन्दुओं पर होने वाले भ्रष्टाचार के कार्य  
सांसद प्रतिनिधि अन्नी शर्मा ने बताया कि
1.     परिषद के ऐंजेंड़े के बिन्दू क्रमांक 2,5,9 में जीआई सप्लाई में अध्यक्ष की संलिप्ता इस तथ्य से जाहिर हो जाती है कि इन तीनों बिन्दू क्रमांकों पर क्रमश: दस लाख, बीस लाख एवं दस लाख तक की अतिरिक्त स्वीकृति परिषद से चाही गई है। लाखों के टेंडर के बाबजूद 40 लाख की अतिरिक्त स्वीकृति परिषद से दिलाए जाने का कार्य कराकर पार्षदों को आर्थिक अपराध में फंसाने का षड्यंत्र अध्यक्ष ने रचा था। पार्षदों ने षड्यंत्र की खिलापत की तो अध्यक्ष विकास का रोना रो रहीं हैं। सच्चाई यह है कि वह मुद्दा तो जनता का विकास बना रहीं है, लेकिन असली पीढ़ा तो उन्हें भ्रष्टाचार में खुद का और विकास कांग्रेसियों के विरोध के कारण नहीं हो पाने की है।
2.     बिन्दू क्रमांक 4 एवं 8 में विद्युत सप्लाई के लिए 40 लाख के टेंडर मूल्य के अतिरिक्त क्रमश: 15 लाख और 10 लाख की अतिरिक्त स्वीकृति ऐजेंड़े में शामिल हैं। 40 लाख के टेंडर मूल्य के बाबजूद 25 लाख की अतिरिक्त स्वीकृति टेंडर बायलॉज का भी खुला उल्लघंन होने के साथ-साथ पूर्णत: आर्थिक अपराध है। इससे भी परहेज अध्यक्ष नहीं कर रहीं है। ऐजेंड़े के बिन्दू क्रमांक 10 से लेकर 21 तक सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार के मद (सप्लाई) लिए गए थे।
3.     वहीं बिन्दू क्रमांक 22 में माननीय उच्च न्यायालय खण्ड पीठ ग्वालियर की याचिका में खुद के भ्रष्टाचार को क्लीन चिट देने के लिए परिषद को गुमराह करके फंसाए जाने का षड्यंत्र था। इस मामले की कलई खोलते हुए अन्नी शर्मा ने बताया कि सिद्धेश्वर मेले में लाखों रूपए का चूना अध्यक्ष ने ठेकेदार से मिलकर नगर पालिका को लगाने का कार्य किया है। मामला कोट में होने के कारण परिषद की ढाल लेकर अध्यक्ष स्वयं को बचाने का आपराधिक उपाय कर रहीं है। नामांतरण प्रकरणों में खुलेआम पैसा बसूला जा रहा है। पैसा बसूलने में रोकटोक न हो इसलिए परिषद के अधिकार को पीआईसी में स्थानांतरिक किए जाने का बिन्दू ऐजेंड़े में 24 नम्बर पर रखा गया है।
4.     बिन्दू क्रमांक 28 में दुकान निर्माण की प्राप्त न्यूनतम दर की स्वीकृति चाही गई है। इस मामले की सच्चाई सामने लाते हुए अन्नी भैया ने बताया कि अध्यक्ष की साईलेंट पार्टनरशिप में 35 लाख का यह टेंडर एक बहुत कम प्रसार बाले अखबार में विज्ञप्ति प्रकाशित कराकर मैनेज टेंडर कराए गए हैं। नेट पर दस लाख से अधिक मूल्य का टेंडर डालने का नियम है। जिसे अध्यक्ष ने अपने भ्रष्टाचार के लिए लील लिया है। प्रादेशिक स्तर पर भी समाचार पत्र में  विज्ञप्ति प्रकाशित नहीं कराई गई है।
 
सांसद प्रतिनिधि अन्नी शर्मा ने दी चेतावनी 
उन्होंने अध्यक्ष को दो टूक अंदाज में चेतावनी देते हुए कहा कि परिषद तुम्हारे भ्रष्टाचार पर शिष्टाचार की मोहर लगाने के लिए नहीं है। यहां जनता के गाड़े पसीने की कमाई का हिसाब आज हमें कल तुम्हें भी देना पड़ेगा। सांसद प्रतिनिधि ने कहा कि मैं क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का सांसद प्रतिनिधि हूं जो क्षेत्र के विकास के लिए जनता की समस्याओं के समाधान के लिए अपना खून पसीना बहाने के लिए भी पीढियों से तैयार रहते हैं आज तक उनके दामन पर भ्रष्टाचार का कोई दाग उनका दुश्मन भी नहीं लगापाया और नपा अध्यक्ष के दामन का एक भी हिस्सा ऐसा नहीं जो भ्रष्टाचार से बूरी तरह रंगा हुआ न हो। आज जो भाजपाई अध्यक्ष के सुर में सुर मिला रहे हैं। वह कल तक खुद खुलकर अध्यक्ष को भ्रष्ट कहने से परहेज नहीं कर थे और आज भी दबी जुबान में शिवपुरी नगर पालिका प्रदेश की सबसे भ्रष्ट नगर पालिका तमगा देने से भी यही लोग चूक नहीं रहे हैं। 
 
खुद पर लगे आरोपों को बताया निराधार 
भ्रष्टाचार के ऐजेंड़े और सिंध पेयजल परियोजना के क्रियानवयन में कमीशन लेकर किए गए बड़े गड़बड़ झाले को मुद्दा बनाकर परिषद में अध्यक्ष और सत्ताधारी पार्षदों को लोकतांत्रिक तरीके से अपने विरोध के निशाने पर लेने वाले अन्नी भैया ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि विकास के मसीहा और अंचल के परिवारिक मुखिया पर टिप्पणी करने की हैसियत नगर पालिका अध्यक्ष की नहीं है। उन्होंने तो परिषद में भी सिर उठाने की नैतिक हक नगर पालिका की कमीशन खोरी 35 प्रतिशत तक बढ़ाकर खो दिया है। उन्होंने भ्रष्टाचार के प्रमाणित मामले जनता जनार्दन के सामने रखते हुए कहा है कि अध्यक्ष के भ्रष्ट आचरण की खुली हकीकत जनता के सामने आ चुकी है और कई प्रमाणित मामले जनता के सामने आज और आने वाले कल में रखकर यह साबित कर देंगे नगर पालिका में जनता के हितों और उनकी गाड़े पसीने की कमाई को लूटने वाला लूटेरा कौन है? उन्होंने नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा खुद को गुण्डा कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पूरा शहर जिसे भ्रष्ट और नपा की नौकरशाही जिसे दबी जुबान में लुटेरा कह रही हो उसकी भ्रष्टाचार में मेरे बाधक बनने पर मुझ पर की गई टिप्पणी खिसयानी बिल्ली खम्बा नौंचे की लोकोक्ति में समझी जा सकती है। नसीहत के तौर पर यह समझ लें की जिसके दामन में दाग हो वह कीचड़ उछालने का खेल न ही खेले तो अच्छा है। 
 
नपा में रहा सन्नाटा 
नगर पालिका परिषद शिवपुरी की वार्षिक साधारण सम्मेलन बीते रोज नगर पालिका के सभागार में सुबह 11 बजे शुरू हुआ लेकिन परिषद की इस बैठक की शुरूआत से ही कांग्रेस पार्षद उत्पात के मूड में नजर आए और उन्होंने परिषद के इस सम्मेलन के पहले चरण में ही हंगामा खड़ा कर परिषद की बैठक को निरस्त करा दिया। इसके बाद आज दूसरे दिन नगर पालिका में सुबह 11 बजे तक सन्नाटा पसरा रहा। जबकि सीएमओ साहब नपा से नदारद दिखे वहीं नपा कर्मचारी आपस में कल घटी घटना के बारे में चर्चा करते हुए देखे गए और दबी जुबान से कह रहे थे, आखिरकार सीएमओ साहब के साथ इतना सब कुछ होने के बाद भी एफआईआर क्यों दर्ज नहीं कराई। जबकि परिषद की इस बैठक में जमकर गाली गलोंच और अभद्रता हुई जिसकी वजह से अंत में अध्यक्ष व सीएमओ को समय से पूर्व ही बैठक निरस्त करनी पड़ी।