हे अन्नदाता तुझे कोटि-कोटि प्रणाम

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अन्नदाता/ किसान/ Indian farmer
त्वरित टिप्पणी 
ललित मुदगल
शिवपुरी-अन्नदाता के नाम पर हो रहे किसानों के शोषण को अब जिला प्रशासन भी नहीं रोक पा रहा है यही कारण है कि अपने हक की लड़ाई लडऩे वाले किसान को आज भी न्याय की गुहार लगाने के लिए लठ्ठ और धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ रही है अगर अन्नदाता किसान के साथ यह हाल है तो कहां है प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो किसानों को अपने कृषक हितैषी बताते है ऐसे में अब शिवराज सरकार की साख भी दांव पर है ऐसे में किसानों को पर्याप्त खाद व बिजली नहीं दी जा रही है और इसके बदले उन पर ही झूठे मुकदमे दर्ज हो रहे है।


फिर कैसे किसान अपने हक की लड़ाई लड़ेगा और उसे आत्मनिर्भर बनाने के सपने महज कागजों में ही नजर आऐंगे। प्रदेश सरकार की योजनाओं का धरातल पर होने वाले क्रियान्यवयन को इन दिनों खाद की किल्लत को लेकर मचने वाले उपद्रव ने आईना दिखा दिया है अब देखना यह है कि कब प्रदेश सरकार की नजीर इन पर पड़ेगी। ऐसे में अपने हक की लड़ाई लड़ रहे किसानों के लिए यह लाईनें ही शेष रह गई है हे अन्नदाता किसान तुझे कोटि-कोटि प्रणाम।
    खाद-बीज की किल्लत से जूझ रहे किसानों को इन दिनों काफी जद्दोजहद करना पड़ रही है यही कारण है कि करैरा-दिनारा में बीते पांच दिनों से किसान व प्रशासन आमने-सामने है लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकल रहा। ऐसे में किसानों को आवश्यकता के अनुरूप यदि खाद उपलब्ध नहीं हुई तो वह कैसे अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकेगा यह एक सोचनीय प्रश्र है। प्रदेश सरकार द्वारा जिले वार पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने के बाद भी शिवपुरी में ऐेसी परिस्थितियां कैसे बनी इसका आंकलन प्रशासन को करना है लेकिन उन्हें किसानों की समस्याओं से जैसे कोई सरोकार नहीं। बीते पांच दिनों से संघर्ष कर रहे किसानों को खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है जबकि स्वयं जिला कलेक्टर ने अन्नदाता की समस्याओं को गंभीरता से लिया और गत दिवस मौके पर पहुंचकर करैरा व दिनारा में अपने सामने खाद का वितरण सुनिश्चित किया इसके बाद भी जब अन्य नागरिकों द्वारा कई व्यापारियों के यहां खाद जमा होने की सूचना दी गई तो कलेक्टर ने स्वयं इन व्यवसाईयों के यहां छापे डाले और मौके से बरामद खाद को सभी किसान भाईयों में क्रमानुसार एक-एक बोरी का वितरण किया गया साथ ही करैरा प्रशासन को हिदायत दी कि वह अपनी निगरानी में किसानों को प्रतिदिन खाद वितरण सुनिश्चित करें लेकिन इस आदेश को भी हवा में उड़ा दिया गया और महज एक दिन लाईन में लगकर किसानों को खाद बांटी गई उसके बाद फिर से वही हालात उत्पन्न हो गए। ऐसे में करैरा प्रशासन भी किसानों को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है। जिसके चलते किसान अब रोड़ों पर आकर प्रदर्शन करने लगे है जिसमें करैरा में जहां ऑटो पलटाकर व रोड जाम कर किसानों ने अपना विरोध दर्ज कराया तो अब आगामी सोमवार तक का अल्टीमेटम देकर करैरा प्रशासन को चेतावनी दे दी कि अब भी खाद वितरण में कोई सुधार नहीं हुआ तो नेशनल हाईवे पर जाम होगा।

अन्नदाता पर हो रहे मामले दर्ज 
खाद व बिजली की मांग को लेकर जिले भर के किसान अपनी समस्या का निराकरण कराने पहले प्रशासन के पास पहुंचते है जब तक उन्हें समय दिया जाता है तब तक तो वह इंतजार करते है लेकिन जब पानी सिर के ऊपर उठ जाता है तो वह अपनी समस्या का निदान पाने के लिए संघर्ष की लड़ाई लडऩे पर उतारू हो जाते है। ऐसा ही किया था करैरा में किसान भाईयों ने जब करैरा प्रशासन द्वारा क्रमानुसार खाद वितरण पर कलेक्टर के आदेश को धता बताया जा रहा था तो किसानों ने इसका विरोध किया और खाद न मिलने पर आन्दोलन शुरू कर दिया। इस मामले को लेकर किसानों ने चक्काजाम कर दिया और रोड पर खड़े ऑटो को क्षतिग्रस्त कर पल्टा दिया इस घटना से पुलिस ने किसानों पर बर्बरता बरसाई और मारपीट करने से गुरेज नहीं किया। जब इससे भी मन नहीं भरा तो किसानों पर ही मामला पंजीबद्ध कर दिए गए। किसानों पर दर्ज हुए मामले को लेकर अब किसान और आक्रोशित रूख अख्त्यिार करेंगे। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है।

...तो क्यों नहीं देते पर्याप्त खाद 
अन्नदाता किसान की पीड़ा से पूरा जिला प्रशासन ही नहीं बल्कि स्वयं कृषक हितैषी कहलाने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी भलीभांति परिचित है फिर ऐसे हालातों क्यों निर्मित किए जा रहे है कि अन्नदाता के रूप में जाना जाने वाला किसान आज अपने हक के लिए संघर्ष की लड़ाई लड़ रहा है। जब केन्द्र से मिलने वाली पर्याप्त खाद की सूचना के अनुरूप ऑर्डर किए जाते है तो प्रदेश में खाद समस्या कैसे उत्पन्न हो सकती है? इस सवाल के जबाब में गत कुछ समय पहले विधायक के.पी. सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश सरकार पर किसानों को होने वाली खाद समस्या के बारे में अवगत कराया था और बताया कि केन्द्र से पर्याप्त मांग के अनुरूप खाद उपलब्ध कराई जाती है लेकिन इसके लिए प्रदेश सरकारों को अपने हिसाब से बजट के अनुरूप आवश्यकता के हिसाब से सूचित करना होता है लेकिन प्रदेश सरकार पहले तो अनुमानित बजट भेजती है और जब कमी हो जाती है तो प्रदेश सरकार केन्द्र पर ठीकरा फोड़ देती है। ऐसे में किसानों को होने वाली खाद समस्या के लिए दोषी प्रदेश सरकार है अगर ऐसा नहीं होता तो आज प्रदेश के किसानों को पर्याप्त खाद मिलती। जब प्रदेश में पर्याप्त खाद मिल रही है तो अन्नदाता को क्यों नहीं देते पर्याप्त खाद...। यह बात आम जनमानस व किसानों के बीच फैली हुई है कि आखिर शासन व प्रशासन क्यों इस बर्बरता पर मौन धारण किए है।
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