शिवपुरी। जिला मुख्यालय से लगभग 30 कि.मी. की दूरी पर घने जंगलों की बीच स्थित प्राचीन बलारी मैया का मंदिर क्षेत्र की जनता का आस्था का केन्द्र बना हुआ है। जहां पर हजारों कि.मी. दूर से भक्तजन मैया के दर्शन एवं मनौती मनाने के लिए वर्ष भर आते रहते हैं, लेकिन वन विभाग के मनमाने रवैये के चलते भक्त जनों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है। जिससे दूर दराज एवं अन्य शहरों से आने वाले भक्तजन मायूस होकर वापिस लौट जाते हैं।
वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बलारपुर मैया के दर्शन करने जाने बाले भक्तजनों को महज माह की तिथि सप्तमी के दिन ही प्रवेश दिया जाता है लेकिन बाहर से आने बाले भक्त जन उक्त तथ्य से नावाकिफ होते हैं। वन विभाग द्वारा पर्यावरण एवं वन संरक्षण के नाम पर भक्तजनों के आवागमन पर वन क्षेत्र में प्रवेश पर रोक लगा दी गई हैं। गौर तलब तथ्य है कि बलारपुर मैया के दर्शनों के लिए जाने बाले भक्तजनों से वनों को किस प्रकार का खतरा हैं। जबकि इसके विपरीत देखा जाए तो वन माफियाओं पर अंकुश लगाने में वन विभाग का अमला विफल ही रहा हैं।
जिनके द्वारा सैकड़ों बीघा भूमि पर लगे वृक्षों को काटकर जमीदोज कर दिया वहीं सैकड़ों बीघा वनभूमि पर कब्जा कर लिया गया हैं। जिन्हें रोक पाने में वन विभाग असफल ही रहा हैं। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि सनरक्षित वन क्षेत्र में से पत्थर एवं रेत का उत्खनन निर्वाध रूप से जारी हैं। जिनके विरूद्ध कार्यवाही करने में वन विभाग असफल ही रहा है। बलारी मैया के दर्शन करने जाने वाले भक्तजनों ने आक्रोश का माहौल बना हुआ है। भक्तजनों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि वन विभाग द्वारा लगाई गई रोक को हटाने की मांग की है।
चैत्र के नवरात्रि में लगता हैं भव्य मेला
संरक्षित वन क्षेत्र में स्थित बलारी मैया का मंदिर क्षेत्र में नागरिकों की आस्था का केन्द्र हैं जहां पर चैत्र के नवरात्रि में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ प्राचीन मंदिर राज-राजेश्वरी दरबार सहित अनेक दूरस्थ स्थानों से माँ के चरणों में चूनरी यात्रा एवं नेजा चढ़ाए जाते हैं। साथ ही शहरी जनता के साथ ग्रामीण एवं दूर दराज से अन्य क्षेत्रों से भी लाखों की संख्या में भक्तजन चैत्र के नवरात्रे में मैया के दर्शनों के लिए आते हैं। वन विभाग द्वारा आवागमन पर लगाई गई रोक की बजह से भक्तजनों में शंसय की स्थिति बनी हुई है।
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