आरक्षक परीक्षा में चयन न होने से डिप्रेशन में युवक ने खुद को गोली मारकर की आत्महत्या | Shivpuri News

0
शिवपुरी। खबर जिले के तेंदुआ थाना क्षेत्र के पाटखेडा गांव के फार्म हाउस की है। शांतिनगर में निवास करने वाले एक युवक ने अपने फार्म हाउस पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। उक्त युवक आरक्षक की परीक्षा में चयन न होने से डिप्रेशन से गुजर रहा था। इस युवक का परिजन ग्वालियर में भी इलाज करा चुके थे। लेकिन युवक सदमें से बाहर ही नहीं आ पा रहा था। युवक को सदमा इस बात का था कि उसके नंबर अपने साथी से महज 0.4 कम थे लेकिन साथी का सिलेक्शन हो गया और युवक रह गया। इस डिप्रेशन से निकालने म्रतक के पिता रिटायर हेडमास्टर ने युवक के लिए गांव में 53 बीघा जमींन भी खरीद ली थी परंतु वह सदमें से बाहर नहीं आया। 

जानकारी के अनुसार प्रभाकर पांडेय पुत्र जुगल किशोर पांडेय उम्र 25 साल निवासी शांतिनगर कॉलोनी शिवपुरी ने शनिवार की सुबह 11 बजे पाटखेड़ा गांव में फार्म हाउस पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली। फार्म हाउस के अंदर कमरे में गोली चलने की आवाज सुनकर मां अंदर पहुंची। खेत पर काम कर रहे मजदूर व पिता जुगलकिशोर पहुंचे तो प्रभाकर खटिया पर मृत पड़ा था। प्रभाकर ने बायीं कनपटी पर कट्‌टा रखकर ट्रेगर दवा दिया। 

गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना पर सुरवाया थाना पुलिस मौके पर पहुंची। शव को जिला अस्पताल शिवपुरी लाया और पीएम कराया। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामला विवेचना में ले लिया है। 

मजदूरों को पीने के लिए पानी देने गया 
रिटायर्ड हेडमास्टर पिता जुगलकिशोर ने बताया कि प्रभाकर ने नहाने के बाद खाना खाया। मजदूरों को पानी पिलाने की कहने पर पानी रखकर आया। खेत में दूसरी जगह थ्रेसर चल रहा था, बाइक लेकर पहुंचा। उसके बाद चिल्लाने की आवाज आई तो दौड़ता हुआ फार्म हाउस में पहुंचा। प्रभाकर ने खुद को गोली मार ली थी। जुगल किशोर ने बताया कि बड़ा बेटा बूढीबरोद स्कूल में अतिथि शिक्षक है और बेटी पटवारी है। रिटायर होने के बाद पाटखेड़ा में 75 बीघा जमीन खरीद ली थी। 

प्रभाकर के डिप्रेशन में जाने का दो महीने बाद पता 
पिता जुगलकिशोर के अनुसार आरक्षक परीक्षा में पास नहीं होने से उसे गहरा सदमा लगा। उसी दिन से गुमशुम रहने लगा। दो महीने बाद पता चला तो ग्वालियर में मनोचिकित्सक डॉ मुकेश चुंगलानी के यहां इलाज करा रहे थे। एक-दो दिन बाद फिर से प्रभाकर को ग्वालियर ले जाने वाले थे। साथ ही जमीन खरीदने के बाद प्रभाकर को समझाते थे कि नौकरी करने की जरूरत नहीं है। दोबारा प्रयास करने को भी कहा। प्रभाकर भी नौकरी की मना करने लगा। उसे नौकरी न करने की भी सलाह देते थे। इसलिए जमीन खरीद ली थी। 

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!