प्रिय श्रीमंत, ये तुम्हारे पितामह का प्रिय शहर है, गुलामों की बस्ती नहीं

प्रिय श्रीमंत महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया, बहुत समय बाद ही सही लेकिन आपने पूछा तो, कि आखिर आपकी गलती क्या है। क्यों शिवपुरी विधानसभा से आप हर बार चुनाव हार रहे हैं। हालांकि इसका कारण बताने की जरूरत नहीं, आप बेहतर जानते हैं लेकिन फिर भी आपने पूछा है तो चलिए कुछ बिन्दुओं पर चर्चा कर लेते हैं। 

आपको याद दिला दें कि शिवपुरी शहर आपके पितामह श्रीमंत माधौ राव सिंधिया जिन्हे यहां के लोग प्यार से माधौ महाराज पुकारते हैं, का बसाया हुआ एक सुन्दर शहर था। 1915 में जब यह शहर बनकर तैयार हुआ तो भारत देश में इसके जैसा आधुनिक शहर नहीं था। सड़कें, सचिवालय, जल संरचनाएं, प्राकृतिक वातारण, अत्याधुनिक वाहन सबकुछ यहां हुआ करता था। बताने की जरूरत नहीं कि जिस जमाने में देश के लोग बैलगाड़ी से चलते थे, शिवपुरी शहर में रेल आया करती थी। कहानी बहुत लम्बी है, लेकिन सारांश सिर्फ यह कि शिवपुरी शहर एक ऐसा शहर था, जहां जो भी आया, यहीं का होकर रह गया। फिर वो कभी वापस नहीं गया। यही कारण था कि यहां की जनता राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर वर्षों तक बिना शर्त मतदान करती रही। 

याद दिलाना जरूरी नहीं कि सितम्बर 2001 को जब आप यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ने आए तब आपका ठीक से अभिवादन करना भी नहीं आता था। फिर भी आपको वोट दिए गए। आपसे एक उम्मीद थी। इस शहर ने आपके अंदर 'माधौ महाराज' की छवि देखी थी। वो 'माधौ महाराज' जिनका विकास आज भी आपको गौरवान्वित करता है। 2001 से 2019 तक इन 18 सालों में आपने क्या किया। जलसंकट तब भी था, आज भी है। खदानें बंद थीं, बंद हैं। रोजगार का विकल्प नहीं था, आज भी नहीं है। सड़कें तब भी नहीं थीं, अब भी नहीं हैं। रेलवे स्टेशन आपके पूज्य पिताजी दे गए थे। आपने रेल सुविधाओं में कोई उल्लेखनीय विस्तार नहीं किया। मेडीकल कॉलेज को यदि आप अपनी उपलब्धि कहते हैं तो शर्मनाक होगा, यह तो राज्य के दर्जन भर जिलों में बन गए हैं। कृपया सिर्फ 1 काम बताएं जो आपके पितामह के शिवपुरी शहर को मप्र में श्रेष्ठ प्रमाणित करता हो। कुछ ऐसा जो किसी को नहीं मिला लेकिन शिवपुरी को मिला। 

याद ​रखिए, आप सिर्फ सांसद नहीं हैं। आप श्रीमंत हैं, आप महाराज हैं, आप सिर्फ ज्योतिरादित्य नहीं हैं, आप सिंधिया हैं। 'सिंधिया' होने का अर्थ जानते होंगे आप, वो जो जनता की चिंता करे, वो जो अपनी जनता को सर्वश्रेष्ठ विकास दे, वो जो अपने शहर को सबसे सुन्दर बना दे, वो जो जनता की तकलीफ दूर कर दे। 'सिंधिया' का अर्थ वोट मांगने वाला नेता नहीं होता। 'सिंधिया' का अर्थ चापलूसों से घिरा रहने वाला 'राजा' नहीं होता। आपके वंश में जितने भी 'महान' हुए, वो सिर्फ इसीलिए 'महान' हुए क्योंकि उन्होंने देश, समाज और जनता के हित में काम किया। जरा खुद से पूछिए कि शिवपुरी शहर के लोग जो 94 साल बाद भी 'माधौ महाराज' अगाध प्रेम करते हैं, आपको वोट क्यों नहीं देते। (ललित मुदगल)