खाडेराव रासो: एक ही बार में खाडेराव की तलवार ने सद्दी खां के सर के दो टूकडे कर दिए | SHIVPURI NEWS

0
कंचन सोनी शिवुपरी। दोनो सेनाऐ आमने सामने थी। खाडेराव रासो में कवि ने लिखा की इस दृश्य का शब्दो में वर्णन नही किया जा सकता। एक ओर विशाल सेना लेकर सद्दी खां खडा था और सामने खाडेराव अपने मुठ्ठी भर सैनिक लेकर खडे थे। संख्या बल के आधार पर कोई भी किसकी जीत होगी और किसकी हार बता सकता था।

खाडेराव ने युद्ध् करने से पूर्व अपने वीर सैनिको से कहा कि हमे लक्ष्य पर ध्यान रखना है। हमारा लक्ष्य आमने वाली सेना के सैनिक नही बल्कि उसका सरदार हैं। हम एक लम्बी लाईन बनाकर समाने वाले की सेना में प्रवेश करते हुए निरतंर युद्ध् करते हुए आगे बढाना है और सद्दी खां तक पहुचना हैं।

खाडेराव ने इस युद् के लिए अपनी विषेश रणनीति तैयार की। किसी भी तहर सद्दी खां तक पहुचना हैं। युद्ध् के विगुल फूका गया। खाडेराव अपने सैनिको को लेकर सद्दी खांन की विशाल सेना में प्रवेश कर गए कुल साठ सवारो ने 3 पक्ति बनाई बीच की पक्ति में खाडेराव चल रहे थे।

खाडेराव के सैनिको की तलवार बिजली की गति से खांन सेना के सैनिको पर चल रही थी। वीरवर खाडेरव के सैनिको की रणनीति काम कर गई। व्यूह रचना ऐसी थी कि एक सैनिक से एक ही सैनिक युद्ध् कर सकता था। 

खाडेराव की तलवार दुशमन सेना को सांस भी नही लेने दे रही थी। तलवार की गति इतनी थी कि सैनिक उसके वारो को रोक नही पा रहे थे। रणनीति के हिसाब से युद्ध् में खाडेराव की सेना की लगतार पठान सेना के सेना नायक तक पहुंचने का मार्ग बना रही थी। 

हाथी पर बैठा सद्दी खांन खाडेराव की रणनीति जब समझ में आई जब खाडेराव की सेना सद्दी खांन तक पहुंच गई। खाडेराव के लडाके पक्ति तोडकर निकले और सद्दी खांन के अंगरक्षको से युद्ध् करने लगे। खाडेराव बिजली की गति से भी तेज गति से सद्दी खांन के पास पहुंच गए। खाडेराव ने पूरी ताकत से हाथी की सूड पर वार कर दिया। रणनीति के हिसाब से खाडेराव के वीर सैनिको ने हाथी में भाले मारने शुरू कर दिए।

हाथी संभल नही सका और अनियत्रित होकर उसने सद्दी खां को जमीन पर पटक दिया। खाडेराव यही चाहते थे। दोनो में भयकर युद्ध् होने लगा। खाडेराव के तलवार के वार सद्दी खांन की तलवार सहन नही कर पा रही थी। खाडेराव की तलवार ने सद्दी खान की तलवार को काट दिया। इसके बाद खाडेराव ने बिना मौका गवाए अंतिम वार करते हुए उसके सर पर वार कर दिया। 

सद्दी खां का सर खाडेराव की तलवार का बार सहन नही कर सका उसके सर में से खून बहने लगा। दूसरे वार से खाडेराव ने सद्दी खां के सीने पर कर दिया। इस बार से सद्दी खां के कदम उखडने लगे और वह घायल होकर जमीन पर गिर पडा।

सद्दी खां के जमीन पर गिरते ही खान सेना में हडकम्प मच गया। सद्दी खां मारा गया। हजारो की संख्या में पठान सेना पर खाडेराव के 60 लडाके काल बनकर टूट पडे थे,वे जान बचाकर भागने लगे। खाडेराव के नाम के जयकारे लगने लगे। इस युद्ध् में खाडेराव की विजय हुई। खाडेराव ने देखा की पठान सेना भाग रही हैं, और सद्दी खां के प्राण भी उसके देह को छेड चुके थें।

इस युद्ध् में पठान सेना के सैकडो सैनिक उसके मारे गए। खाडेराव का सिर्फ एक अंगरक्षक माधौसिंह घायल हुआ था। खाडेराव ने अपने अंगरक्षक को ओदश दिया कि सद्दी खां ने भरे दरबार में महाराज का अपमान किया इसका सर काट कर ले चलो महाराज को भेट करेंगें। अगरक्षक अपनी तलवार को लेकर मृत पडे सद्दी खां की ओर चल दिया। कहानी गंताक से आगे रहेगी। 

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!