प्रायवेट फाइनेंस कंपनीयां कर रही है डण्डा बैंक की तर्ज पर वसूली | kolaras, Shivpuri News

0

कोलारस। जिले के कोलारस नगर से लेकर ग्रामीण अंचलों में अपना मकडज़ल फैलाने का काम प्राईवेट कंपनी कर रही हैं यहां भोले भाले ग्रामीणों को अपने जाल में फंसाकर उनसे डंडा बैंक की तर्ज पर बसूली करती हैं और फिर दिन से लेकर महीने की किस्त बना कर रुपया अधिक ब्याज के साथ वसूलते हैं अनेक बार धोखाधड़ी के ऐसे मामले आए परंतु इन डंडा बैंक के संचालकों और कर्मचारियों पर आज तक प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की जिसके चलते इनके हौसले बुलंद बने हुए हैं।

जबकि की कोलारस शहर से ही अनेक प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां लोगों के खून पसीने की कमाई को लेकर भाग गई इसके बावजूद भी कोलारस नगर में जगह-जगह से आई प्राइवेट कंपनियों के कार्यालय खुले हुए हैं और वह जमकर अपना व्यवसाय कर रही हैं और अधिक ब्याज ले कर लोगों को पैसा दे रही हैं और वसूल रही है लोगों के महत्वपूर्ण कागजात तक इनके पास रखे रहते हैं उनके महत्वपूर्ण कागजातों के साथ क्या करें क्या नहीं करें इससे पैसा लेने वाले भोले भाले लोगों को कोई पता ही नहीं रहता है।

कोलारस नगर में ही पुरानी बीयर बार के पास सहित कॉलेज रोड एपोचरोड जगतपुर चौराहे सहित अनेक स्थानों पर किराए की दुकान, मकान लेकर यह व्यवसाय किया जा रहा है आधार फाइनेंस के नाम से भी यहां पर एक प्राइवेट कंपनी संचालित हो रही है जबकि कोलारस नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों मैं रहने वाले अनेक लोगों के रु पल्स ग्रीन फाइनेंस कंपनी ने अभी तक वापस नहीं किए इसी तरह सदर बाजार से भीएक प्राइवेट कंपनी लोगों कापेसा लेकर फरार हो गई थी इसके बावजूद भी भोलेभाले लोग इन कंपनियों के मकडज़ाल में आखिर क्यों फसरहे हैं लोग यह एक सोचनीय बात है।

अनेक प्राइवेट फाइनेंस कंपनियां हजम कर चुकी है गरीब लोगों का रुपया कोलारस नगर से लेकर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों मैं स्थित दुकानों अधिकांश लोगों की खून पसीने की कमाई एक ही रात में कोलारस नगर के सदर बाजार से ही एक प्राइवेट कंपनी बटोर कर ले गई थी इसी तरह पल्स ग्रीन फॉरेस्ट ना मा प्राइवेट कंपनी में भी कोलारस के अधिकांश लोगों द्वारा लाखों रुपया जमा किया गया परंतु इन का रुपया आज तक नहीं मिल सका है इन प्राइवेट कंपनियों के द्वारा कोलारस के बेरोजगार युवकों को अपनी बातों में लेकर उनको अधिक पैसा कमीशन के तौर पर देने की बातों में उलझा कर एजेंट बना दिया जाता है और उनके ही द्वारा रुपया कोलारस नगर की दुकानों सहित लोगों से लिया जाता है।

दुकानदार यह सोचकर खाता खोल लेते हैं कि पेसा एकत्र हो जाएगा लोगों की इसी मजबूरी का फायदा उठाकर यह फाइनेंस कंपनी के कर्ता-धर्ता उनको अपने चंगुल में फंसा लेते हैं और आधार कार्ड से लेकर अन्य जरूरी कागजात लेकर इनको रुपया दे देते हैं जबकि यह तक पता नहीं है कि क्या इन कंपनियों के रजिस्ट्रेशन भी हैं कि नहीं यह फर्जी है या असली कंपनी है यह तक लोगों को पता नहीं रहता है प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इन फाइनेंस कंपनियों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता और प्रशासन को पता भी नहीं होता कि  कोलारस में कौन सी फाइनेंस कंपनी का कार्यालय खुल रहा है जिसका लाभ यह प्राइवेट कंपनियों के लोग भरपूर उठा रहे हैं और कोलारस नगर में इन फाइनेंस कंपनियों की संख्या कम नहीं हो रही और दिन प्रतिदिन बढ़ रही है. 


पुलिस प्रशासन आए दिन इनके चंगुल में नहीं फंसने की करता है लोगों से अपील

कितनी सोचनीय बात है कि प्रतिदिन समाचार पत्रों से लेकर टीवी के जरिऐ पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ आला अधिकारी लोगों से अपील विज्ञापन के माध्यम से करते हैं इसके बावजूद भी लोग इन प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के चंगुल में फंस जाता है इस मेदोषलोगों का नहीं बल्कि मजबूरी है उनकी क्योंकि बीते 4 वर्षों से अच्छी बारिश नहीं होने के चलते खेती नहीं हुई जिसके चलते बाजार भी नहीं चल रहे और लोग इन कंपनियों डंडा बैंकों से रुपया ले लेते हैं और भोले वाले लोगों की इन्हीं मजबूरियों का फायदा डंडा बैंक के कर्मचारी भरपूर उठा रहे हैं और उनको अपने जाल में फंसा कर रातो रात गायब हो जाते हैं।

यदि प्रशासन कोलारस नगर में जगह-जगह संचालित हो रही फाइनेंस कंपनियों के कार्यालय पर जाकर बारीकी से जांच करें तो अनेक फाइनेंस कंपनियां जांच में फर्जी निकल सकती हैं और दूध का दूध और पानी का पानी मौके पर ही हो जाएगा क्योंकि कोलारस शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक लोग इनके चंगुल में फसने के बाद ठगे गए हैं ऐसे अनेक मामले भी आए दिन हमारे सामने आते हैं इन फाइनेंस कंपनियों में बाहर के कर्मचारी भी काम करते हैं बाहर के कर्मचारियों से लेकर कोलारस नगर के कई बेरोजगार युवककाम कर रहे हैं और इनके रिकॉर्ड का तक पता नहीं है किसी को जबकि पुलिस प्रशासन के पास इनकी पूरी जानकारी होना आवश्यक है क्योंकि यदि यह कंपनियां भी रातों-रात भाग गईतो फिरफिर इन कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों का पता कैसे चलेगा।

Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!