स्व.सहायता समूहों की महिलाओं की लगन, मेहनत एवं म.प्र.डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सही मार्गदर्शन का परिणाम है कि समूहों की महिलाओं की मेहनत के कारण गांव में परिवर्तन की बयार शुरू हुई।
म.प्र.डे राज्य ग्रामीण आजविका मिशन से जुड़ने के बाद गांव की महिलाओं ने स्वसहायता समूह बनाए। आज गांव में 23 स्वसहायता समूहों की 319 महिलाओं ने समूहों के माध्यम से ऋण राशि लेकर गरीब से निजात पाने हेतु अनेको गतिविधियां संचालित हो रही है।
जिसमें मुख्य रूप से मनिहारी की दुकान, टेंट हाउस, बकरी पालन, सिलाई कड़ाई, किराना दुकान, आटा चक्की, व्यवसायिक सब्जी उत्पादन, पशुपालन, 10 टेक्टर क्रय, 02 चार पहिया वाहन एवं 242 परिवार कृषि व्यवसाय से जुड़कर बेहतर तरीके से अपनी आजीविका चला रही है।
स्वसहायता समूहों की महिलाओं की लगन, मेहनत एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से गांव में नदी पर पुल का निर्माण, तीन स्टॉपडेम व 25 कुँओं का निर्माण एवं 25 कुओं का गहरीकरण कर पुर्नजीवित कर जल स्तर बढ़ाया है।
सिंचाई की सुविधा बढ़ने से गांव में लगभग 600 बीघा जमीन में सिंचाई की सुविधा मिलने से किसान दो फसलें ले रहे है। गांव में 2 ट्रांसफार्मर के माध्यम 19 गांवों को विद्युत आपूर्ति की जा रही है। साथ ही गांव में आतंरिक सड़कों के रूप में सी.सी.रोड, ग्राम संगठन भवन निर्माण, मेढ़ बंधान जैसे कार्य भी समूह की महिला सदस्यों ने हाथ में लिए है।
स्वसहायता समूहों की गतिविधियों के कारण सामाजिक चेतना भी गांव में जागृत होने के साथ, नशामुक्ति एवं धूम्रपान जैसी कुप्रथाओं पर अकुंश लगा है। गांव के किसी भी पुरूष द्वारा मद्यपान करने पर 1100 रूपए का अर्थदण्ड लिया जाता है। इस प्रकार अभी तक 25 हजार रूपए की अर्थदण्ड की राशि एकत्रित हो चुकी है।
गांव में गठित 23 समूहों के माध्यम से रिवाल्विग फण्ड से 3 लाख 45 हजार की राशि, सीआईएफ से 27 लाख 88 हजार की राशि और बैंक लिंकेज के माध्यम से 5 लाख 89 हजार की राशि प्राप्त की है। इसी प्रकार 90 लाख 32 हजार की राशि समूह सदस्य विभिन्न आजीविका समूहों के लेन-देन का कार्य कर रहे है। गांव के 266 परिवार ऐसे है, जिनकी वार्षिक आय 1 लाख से अधिक है, जो स्वयं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हुए है।
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