शिवपुरी। राष्ट्र संत के नाम से जाने वाले जैन मुनि पदम सागर सुरिश्वर महाराज अपने गुरूकुल की धरा पर कदम रखते ही अपने छात्र जीवन में पहुंच गए और उन्होने इस अपने गुरूकुल अब व्हीटीपी स्कूल के छात्र जीवन के स्मरण सुनाना शुरू कर दिए है। उन्होने कहा कि यह वही पावन धरा है जहां उनके मन में वैराग्य पनपा।
84 वर्षीय संत पदम सागर महाराज तब सन 1949-50 में इस विद्यालय में अध्ययन को आए थे जब उनकी उम्र 16 साल की रही होगी। उनका कहना है कि दो साल तक इसी वीटीपी स्कूल में शिक्षा ग्रहण की जिसे तब गुरुकुल कहा जाता था और छात्रों को विशेष रूप से संस्कार दिए जाते थे।
यहीं से जीवन में जो संस्कार मिले, वह इतने प्रबल रहे कि इन संस्कारों की वजह से ही मैं आध्यात्मिक मार्ग की ओर बढ़ा और जैनेश्वरी दीक्षा धारण कर आत्मकल्याणक मार्ग वह प्रशस्त कर रहे हैं। इस दौरान कई संस्मरण भी उन्होंने सुनाए और स्वयं को पढ़ाने वाले गुरुओं को भी उन्होंने स्मरण किया।
आयोजन के दौरान स्कूल संचालन कमेटी के डॉ. नीना जैन, प्रवीण कुमार, जसवंत, सुनील नाहटा, नवीन भंसाली, यशवंत जैन आदि ने गुरुपूजन किया। अंत में आभार प्रदर्शन आरके जैन ने किया।
इन संतों की रही मौजूदगी
आयोजन के दौरान राष्ट्रसंत आचार्य पदम सागर सुरिश्वर महाराज के साथ हेमचंद सागर जी, प्रशान्त सागर जी, पुनीत सागर जी, भुवन सागर जी, ज्ञानपदम सागर जी द्वारा भी छात्र छात्राओं को आशीष प्रदान करने के साथ पुरस्कार दिए गए। यह पुरस्कार समाजसेवी तेजमल सांखला ने बंटवाए।