शिवपुरी। मकर संक्राति का पर्व शिवपुरी में धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। इस बार मकर संक्राति एक दिन के स्थान पर दो दिन मनाई जा रही है। मकर संक्राति वैसे 14 जनवरी को मनाई जाती है।
लेकिन इस बार 14 के साथ-साथ 15 जनवरी को भी मकर संक्राति मनाई जाएगी। मकर संक्राति के अवसर पर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बाणगंगा पर दर्शनार्थियों का मेला लगा। बाणगंगा के पवित्र कुंड में सुबह से ही स्नान करने वालों का तांता लगा रहा। कल भी बाणगंगा के कुण्ड में धर्माबलम्बी स्नान कर पुण्य अर्जित करेंगे।
मकर संक्राति पर्व पर नदियों में स्नान की परम्परा है। शिवपुरी में बाणगंगा के कुण्ड में आस पास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग स्नान कर पुण्य लाभ लेते हैं। कहा जाता है कि जो जातियां वर्षभर स्नान नहीं करती वह भी मकर संक्राति के अवसर पर बाणगंगा के कुण्ड में स्नान करने का अवसर नहीं छोड़तीं। सुबह से ही स्नान करने वालों का तांता लग जाता है, जो कि देर शाम तक जारी रहता है।
ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बेलगाडिय़ों में बैठकर लोकगीत गाते हुए बाणगंगा पहुंचते हैं और पवित्र कुण्ड में स्नान करते हैं। कहा जाता है कि बाणगंगा के 52 कुण्डों का निर्माण पाण्डवों ने अपने अज्ञात वास के समय किया था। उस समय यहां घनघोर जंगल था और बड़े भाई युद्धिष्ठर को प्यास लगने पर अर्जुन ने गांडीव से जमीन मेें प्रहार कर जल धारा निकालकर अपने भाई की प्यास को बुझाया था।
बाद में इस स्थान पर पांडवों ने 52 कुण्डों का निर्माण किया। बाणों से गंगा निकलने के कारण ही इस स्थान को बाणगंगा कहा जाता है। मकर संक्राति पर बाणगंगा में स्नान का अदभुत महत्व है। बाणगंगा पर श्रृद्धालुओं के जुटने के कारण यहां छोटा मोटा मेला लग जाता है। जिसमें खाने पीने की वस्तुओं से लेकर झूले, फुंकने, खेल तमाशे आदि लगते हैं। मकर संक्राति पर दान की भी अदभुत महिमा है। इस कारण बाणगंगा पर भिखारियों का भी जमावड़ा लगता है और धर्माबलम्बी उन्हें तिल के लड्डू गुड और रूपए पैसे आदि का दान करते हैं।
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