मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने ऑपरेशन से लौटा दी निराश रश्मि की अंधी आंखों को रोशनी

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शिवपुरी। अभी तक शिवुपरी मेडिकल कॉलेज की निगेटिव न्यूज ही आपको पढने को मिली होगी। आज मेडिकल कॉलेज से रोशनी भरी खबर आ रही हैं कि मेडिकल कॉलेज टीम के डॉक्टरो ने ऐसी बच्ची की आंखो का सफल आपरेशन किया जो दिव्यांग पेंशन कार्ड बनवाने आई थी। बताया जा रहा है कि उसके परिजन यह मान चुके थे कि यह जीवन भर अब देख नही सकती।  

करंट लगने से रश्मि की चली गई थी आंखे 

तीन साल पहले खेत की रखवाली के समय हाईटेंशन लाइन का तार टूटने के बाद फैले करंट से झुलसी 15 वर्षीय रश्मि धाकड़ की आंखों की रोशनी चली गई थी। रश्मि के परिजनो ने कई बार जिला अस्पताल से लेकर ग्वालियर-झांसी के निजी अस्पतालों में चेकअप कराया लेकिन हर जगह उसे यही बताया गया कि अब आंखों की रोशनी वापस नहीं आ सकती।

कार्ड बनबाने गए थे रश्मि के पिता

दरअसल, रश्मि अपने पिता के साथ इसी माह 17 जनवरी को काेलारस में आयोजित शिविर में दिव्यांग पेंशन के लिए अपना कार्ड बनवाने आई थी। यहां पर डॉक्टरों ने चेकअप के समय उसकी रोशनी लौटाने की ठानी और आखिरकार सफलता हासिल की। 

खुश है रश्मि के पिता मुकेश

कोलारस तहसील के मकरारा गांव के मुकेश धाकड़ बताते हैं कि तीन साल पहले मेरी बेटी रश्मि 12 साल की थी। वह अपने खेत पर फसल की रखवाली के लिए गई थी। इसी समय हाईटेंशन लाइन का तार टूटने से फैले करंट ने न केवल उसका चेहरा और शरीर झुलसा दिया था बल्कि इस घटना ने उसकी आंखें भी छीन ली थीं। हम लोग इस घटना के बाद सदमे में आ गए। क्योंकि अब बेटी को पूरी जिंदगी घर बैठाने की चिंता भी थी। 

हम लोगों ने अपनी हैसियत के मुताबिक कई जगह इलाज भी कराया लेकिन आंखों की रोशनी नहीं लौट पाई। इसी माह 17 जनवरी को कोलारस में दिव्यांग पेंशन के कार्ड के लिए शिविर लगने की सूचना मिली तो मैं अपनी बेटी रश्मि के साथ कार्ड बनवाने आ गया। यहां पर डॉक्टरों ने चेकअप किया तो उन्होंने कहा कि इसकी रोशनी लौटाने के लिए प्रयास किया जाएगा। 

यह सुनकर हम लोगों ने कहा कि डॉक्टर साहब, अब कुछ नहीं होगा, हम लोग बहुत जगह दिखा चुके हैं। इस पर शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के डॉ गिरीश चतुर्वेदी ने कहा कि आप एक बार भरोसा और कीजिए। हमारी हताशा भरी बातें सुनने के बाद भी डॉक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी और डॉ गिरीश चतुर्वेदी, नेत्र सहायक एनके यादव, आरके श्रीवास्तव और हरिओम श्रीवास्तव ने 22 जनवरी को ऑपरेशन की तारीख दे दी। 

डॉक्टरों की सकारात्मक बातचीत सुनकर हम खुश तो थे लेकिन इस बात की उम्मीद कम ही थी कि ऐसा कुछ हो पाएगा। लेकिन डॉक्टरों ने मेरी बेटी की जिंदगी में उजाला कर दिया। अब मेरी बेटी दिव्यांग नहीं, सक्षम बन गई है। 

छह बीघा जमीन, 10 बेटियां, कैसे कराता इलाज 
कोलारस तहसील के मकरारा गांव में मुकेश धाकड़ की दस बेटियां हैं, जिसमें रश्मि दूसरे नंबर की है। बेटे की चाहत में इतनी बेटियां हो गईं। परिवार बड़ा है और आय कम हाेने से भरण पोषण भी ठीक से नहीं हो पाता। ऐसे में रश्मि का इलाज कराना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। 

मन को असीम संतुष्टि मिली 
जब मैंने भी चेकअप किया तो दोनों आंखों में मोतियाबिंद मिला। हालांकि यह सामान्य मोतियाबिंद नहीं था। परिजन को इसके लिए तैयार किया। रश्मि का एक आंख का ऑपरेशन करने के बाद उसे दिखाई देने लगा है। दूसरी आंख का ऑपरेशन एक माह बाद करेंगे। बच्ची को फिर से रोशनी मिलने पर मन को असीम संतुष्टि मिली है।
डॉ गिरीश चतुर्वेदी, नेत्र रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज, शिवपुरी 

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