पार्क का पचडा: खूबत घाटी पर ओवर ब्रिज बनाने की अनुमति नहीं मिली | Shivpuri News

शिवपुरी। शिवपुरी नगर की सीमाओ को छूता नेशनल पार्क ने पूर्व में सिंध परियोजना को झटका दिया था,अब शहर में आने वाली फोरलेन का भी झटका दे दिया हैं। पार्क के पचडे में उलझी फोरलन सडक का खूबत घाटी पर प्रस्तावित आॅबरव्रिज नही बन सकता है। इस व्रिज को बनाने के लिए नेशनल पार्क और वाइल्ड लाईन की अनुमति चाहिए थी,जो अभी तक नही मिली है।

इसी के चलते ग्वालियर-शिवपुरी फोरलेन प्रोजेक्ट अभी तक पूरा नहीं हो सका। प्रोजेक्ट को पूरा करने अब पार्क सीमा में उलझे 6.50 किमी सड़क को अलग कर दिया है। एनएचएआई ने सड़क बना रही एसर प्रालि कंपनी के प्रोजेक्ट में शामिल 6.50 किमी सड़क को अलग कर दिया है। पार्क सीमा की इस सड़क के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अब अलग टेंडर जारी करेगा। पार्क प्रबंधन की आपत्ति पर एनएचएआई प्रपोजल तैयार कर रहा है। 

पार्क सीमा में फोरलेन सड़क के साथ 17 छोटे-बड़े पुल बनाए जाएंगे। जिसमें नौ बड़े और आठ छोटे पुल हैं। पार्क सीमा में रहने वाले वन्य प्राणी सड़क के इन पुलों के नीचे होकर आसानी से आते-जाते रहेंगे। एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि प्रस्ताव बनाकर पहले नेशनल पार्क को भेजा जाएगा। 

स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाएगी। बता दें कि पार्क सीमा में फोरलेन के साथ सत्रह पुल-पुलिया बनाने में लागत 300 करोड़ के पार पहुंच जाएगी। वाइल्ड लाइफ और नेशनल पार्क यदि जल्द ही स्वीकृति जारी कर देगा तो आने वाले नए साल में शेष हिस्सा भी फोरलेन सड़क में तब्दील हो जाएगा। 

ओवरब्रिज व अंडरब्रिज बनाने की नहीं दी अनुमति 
सतनवाड़ा से शिवपुरी आते वक्त नेशनल पार्क सीमा से लगे खूबत खाटी पर पहाड़ी है। वर्तमान में टू-लेन मार्ग पहाड़ी के किनारे से गुजरा है। जिससे सड़क घुमावदार है। प्रोजेक्ट लेने के बाद कंपनी ने सड़क सीधी रखने ओवर ब्रिज या पहाड़ी काटकर अंडरब्रिज बनाने का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन नेशनल पार्क ने इसके लिए अनुमति नहीं दी। वर्तमान रोड को ही चौड़ी कर फोरलेन सड़क बनाई जाएगी। 

प्रोजेक्ट में कम हो जाएंगे 6.50 किमी 
ग्वालियर-शिवपुरी फोरलेन सड़क प्रोजेक्ट 125 किमी का है। जिसमें से पार्क सीमा का 6.50 किमी कम हो जाएंगे। जिससे प्रोजेक्ट 118.50 किमी का रह जाएगा। प्रोजेक्ट मई 2017 में पूरा होना था। लेकिन देरी की वजह से इसे 30 सितंबर 2017 तक बढ़ा दिया। पार्क सीमा की सड़क अलग हो जाने के बाद अब प्रोजेक्ट पूरा होने जा रहा है। 

बता दें कि प्रोजेक्ट की लागत 1055 करोड़ थी। लेकिन बाद में रिवाइज करने के बाद लागत 1500 करोड़ रुपए पहुंच गई है। यानी 445 करोड़ रुपए लागत बढ़ गई है। एसर प्रालि कंपनी साल 8 जनवरी 2041 तक वाहनों से दो स्थानों पर टोल वसूलेगी। जिसमें से हर साल 66.50 करोड़ रुपए प्रीमियम एनएचएआई को देना है जिसमें हर साल 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी।