शहर के साथ धोखा: मेडिकल कॉलेज को मान्यता नही मिली, 3 डॉक्टरों ने छोड़ी नौकरी | Shivpuri News

शिवपुरी। सांसद सिंधिया के प्रयास से शिवपुरी में 198 करोड की लागत से मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हुआ था। सन 2014 के लोक सभा के चुनावो में इस कॉलेज को कागज के टूकडे पर स्बीकृत होने वाले कॉलेज के नाम से निरूपित किया था। इस कॉलेज को लेकर हमेशा मप्र सरकार ने शहर को धोखे में रखा है। अब इस कॉलेज को लेकर धोखे का फूलडोज लेकर एक खबर आ रही है कि शिवपुरी मेडिकल कॉलेज को मान्यता नही मिली हैं,इस कारण इसमे भर्ती सभी स्टाफ की नौकरी खतरे में आ गई हैं,इस खतरे को भापकर 3 डॉक्टरो ने नौकरी छोडने का आवेदन दे दिया है।

सन 2014 में स्वीकृत शिवपुरी का मेडिकल कॉलेज, लेकिन अब तक यह कॉलेज बनकर तैयार नहीं हुआ है और न ही यहां एमसीआई द्वारा मान्यता दी गई है। इस कॉलेज में बीते साल स्टाफ की भर्ती कर दी गई थी। अभी कुछ समय पहले भी एमसीआई की टीम ने यहां निरीक्षण किया था। 

लेकिन अभी तक मान्यता नहीं दी गई है, जिससे यहां पदस्थ किए गए प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक डॉक्टरों को नौकरी पर रखा गया था, लेकिन अब यहां तैनात डॉक्टर मान्यता न मिलने के चलते नौकरी छोड़ने को मजबूर हैं। नौकरी छोड़ने वाले डॉक्टरों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। उनकी याचिका भी मंजूर हो गई और हाईकोर्ट ने डॉक्टरों को राहत दे दी है।

मेडिकल कॉलेज में इन डॉक्टरों ने सहायक प्राध्यापक के पद पर नौकरी तो कर ली, लेकिन एमसीआई द्वारा मान्यता न मिलने के चलते यह डॉक्टर बेकार बैठे हैं। इनका एक साल खराब हो गया है और यह अवधि उनके अनुभव में नहीं जुड़ेगी। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी नौकरी का यह एक साल का अनुभव काउंट नहीं किया जाएगा, क्योंकि अभी तक शिवपुरी कॉलेज को मान्यता नहीं दी गई है, जिसके चलते उनके अनुभव का यह एक साल उनकी नई नौकरी में काउंट नहीं किया जाएगा।

बॉण्ड भरकर फंस गए डॉक्टर
चुनावी साल होने के चलते एमसीआई से मान्यता न मिलने के बाद भी इन कॉलेजों में भर्ती तो कर दी गई, लेकिन सरकार ने इन डॉक्टरों से बॉण्ड भरवाया कि वह यहां तीन साल तक अपनी सेवाएं देंगे और यदि वह इस बीच में नौकरी छोड़कर जाते हैं तो एक साल की सैलरी सरकार के खजाने में उन्हें जमा करानी होगी। बॉण्ड भरकर यह डॉक्टर अब पेंच में फंस गए हैं।