कोलारस उपस्वास्थ्य केन्द्र बना वसूली का अड्डा, अस्पताल जाने से कतराते है लोग | SHIVPURI NEWS

कोलारस। मध्यप्रदेश में भले ही सीएम शिवराज सिंह चौहान सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर करोडों का बजट ठिकाने लगा रही है। परंतु निचले स्तर के कर्मचारी और अधिकारी शासन की इस योजना की धज्जियां उडाने से बाज नहीं आ रहे है। सरकार जहां लाखों रुपए का बजट शासकीय अस्पतालों की व्यवस्था को सुधारने के लिए भेज रही है, परंतु कोलारस में वर्षों से जमे कर्मचारी, अकाउंटेंट, सहित चिकित्सकों द्वारा जनता के साथ भेदभाव करते हुए बजट को फर्जी तरीके से कागजी कार्यवाही कर ठिकाने लगाया जा रहा है, कोलारस अस्पताल में ग्रामीण-अंचलों से आने वाले ग्रामीण जनों को ना तो समय पर इलाज मिलता है, और ना ही समय पर चिकित्सक मौजूद मिलते हैं। 

जिसके चलते ग्रामीण लोग अस्पताल की जगह झोलाछाप चिकित्सकों के यहां इलाज कराने को विवश दिखाई दे रहे हैं, यहां पर चिकित्सकों द्वारा मरीजों को नहीं देखा जाता है, रात के समय तो यहां पर ढूंढने के बाद भी चिकित्सक नहीं मिलते हैं, इसके चलते मरीज रात के समय परेशान होते हैं, यहां पर डिलीवरी के नाम पर गर्भवती माताओं के परिजनों को जमकर लूटा जाता है लडक़ा होने पर 500, से लेकर 1000, तक वसूले जाते हैं, और नहीं देने पर उनको समय पर इलाज नहीं देने की बात यहां पर पदस्थ महिला नर्सों द्वारा कही जाती है, कोलारस अस्पताल की हालत बद से बदतर हो चुकी है, परंतु ध्यान देने वाला कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है, आए दिन शिकायतें निकल कर आती है, परंतु इन शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती, जिसके चलते कोलारस अस्पताल में आने से अब ग्रामीण मरीज कतराते हैं, और वह प्राइवेट अस्पतालों में जाकर अपना इलाज कराने को विवश दिखाई दे रहे हैं।

महिला चिकित्सक पर है बीएमओ का चार्ज
यहां पर महिला चिकित्सक पर बीएमओ का चार्ज है, इसके बावजूद भी महिला चिकित्सक कहने को तो यहां परनिवास कर रही है, परंतु यह सिर्फ दिखाने के लिए लिए यहां पर रहती है, अधिकांश समय इनके निवास पर ताला लगा रहता है और यह महीने में 15 दिन गायब रहती है महिला बीएमओ चिकित्सक द्वारा ना तो समय पर अस्पताल में आती हैं, और ना ही मरीजों को देखती हैं, और ठीक ढंग से अपनी जिम्मेदारी भी नहीं निवा रही हैं ,इनके द्वारा अभी तक जब से इन्होंने चार्ज ग्रहण किया है, तब से लेकर आज तक देखा जाए तो, कोलारस अस्पताल के अंतर्गत आने वाले उप स्वास्थ्य केंद्रों, पर जाकर ना तो इन्होंने निरीक्षण किया, और ना ही अपना ध्यान कोलारस अस्पताल की ओर दिया है, जिसके चलते कोलारस अस्पताल के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्रों, की हालत बद से बदतर होती जा रही है।

यहां पर पदस्थ अकाउंटेंट द्वारा फर्जी तरीके से बिल
कागजों में बनाकर पास किए जा रहे हैं बीएमओ जिन पर पूरे अस्पताल से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों के ,उप स्वास्थ्य केंद्रों की जिम्मेदारी है ,वही अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से नहीं निभा पा रही है ,जिसके चलते कोलारस अस्पताल पूरी तरह से आव्यवस्थाओं के घेरे में आ गया है कोलारस अस्पताल में आने से मरीज घबराता है यहां परपदस्थ अकाउंट द्वारा बड़े-बड़े घोटाले को अंजाम दिया गया यदि बारीकी  से यहां  पर पदस्थ अकाउंटेंट द्वारा लगाए गए बिल  बाउचरों की जांच की जाए तो बहुत बड़ा घोटाला निकल के सबके सामने आ सकता है यहां पर मौजूद गाडिय़ों मैं फर्जी बिल लगा कर शासन को चपत लगाई जा रही है यहां परपूर्व में पदस्थ अकाउंटेंट द्वारा भी बड़े पैमाने पर मनमानी करभ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है और बहुत बड़ा घोटाला किया गया है यहां पर घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं परंतु जिला सीएमएचओ द्वारा भी ध्यान नहीं दिया जाता जिसके चलते यहां पर चौपट राजा अंधेर नगरी वाली कहावत सटीक साबित हो रही है रात्रि के समय मरीजों को बिना देखे ही शिवपुरी के लिए रेफर कर दिया जाता है।

कोलारस अस्पताल में रात के समय जो भी चिकित्सक ड्यूटी पर रहते हैं वह मरीजों को आते ही बिना देखे ही शिवपुरी के लिए रेफर कर देते हैं यदि मरीज को थोड़ी भी बीमारी होगी तो उसको रे पर करने की प्रथा यहां पर बहुत समय पहले से चल रही है जिसके चलते मरीज के परिजन और मरीज शिवपुरी जाते हैं और रात भर परेशान होते हैं उनको जाने के लिए वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया जाता इसके चलते परेशान होते हैं कुल मिलाकर कोलारस अस्पताल में आने वाला मरीज या तो किसी मजबूरी बस यहां पर आता है या फिर अधिक हालत खराब होने पर ही अस्पताल में कदम रखता है।

जबकि वह इधर उधर जाकर अपना इलाज करा लेते है, अस्पताल में मरीजों को दवाइयां, और ना ही मरीजों को देखते हैं, और उनसे फीस लेते हैं, चुनाव के चलते यहां पर स्वास्थ्य विभाग के मंत्री, और जिले के प्रभारी मंत्री रहे रुस्तम सिंह मौजूद थे, परंतु उन्होंने भी अस्पताल में जाकर निरीक्षण एक भी दिन नहीं किया, कोलारस के लोगों ने उनको शिकायतें भी की परंतु शिकायतों मिलने के बावजूद भी वे अस्पताल में एक भी दिन निरीक्षण करने नहीं पहुंचे, जिसके चलते यहां पर पदस्थ चिकित्सकों से लेकर लापरवाह कर्मचारियों के हौसले बुलंद बने हुए हैं, और वह अपनी मनमानी पूरी दम के साथ करने में जुटे हुए हैं।