शिवपुरी। जिले में इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कोई फायदा नुकसान नही हुआ हैं। पिछली बार 3 सीटे जीती थी और इस बार भी,लेकिन कोलारस सीट हार गई और पोहरी जीत गई,बताया जा रहा है कि कोलारस सीट कांग्रेस के गददारो के कारण हारी है। कोलारस के कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व विधायक महेन्द्र यादव ने कांग्रेस के नेताओ की शिकायत की हैं,जिन्होने इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में काम किया था।
सूत्र बता रहे है कि यह शिकायत महेन्द्र सिंह ने सासंद सिंधिया को की है। उन्होंने सिंधिया से कहा कि यदि भितरघाती उनका प्रचार भी नहीं करते और घर बैठ जाते तो वह आसानी से चुनाव जीत जाते। लेकिन उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ खुलकर काम किया। जिसकी वजह से उनकी पराजय हुई। सूत्र बताते हैं कि श्री सिंधिया ने भितरघातियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के संकेत दिए हैं।
कांग्रेस की तुलना में भाजपा में भितरघात कम नहीं था। लेकिन भाजपा सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव को ध्यान मेें रखते हुए भितरघातियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। क्योंकि अभी लोकसभा चुनाव में भी कार्यकर्ताओं से काम लिया जाना है।
शिवपुरी जिले की पांचों सीटों में से कोई भी सीट ऐसी नहीं है जो भितरघात से अछूती है। शिवपुरी में भी भाजपा का एक प्रभावशाली वर्ग सुनियोजित ढंग से पार्टी प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया को हराने मेें जुटा हुआ था। यह बात अलग थी कि यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने प्रभावी व्यक्तित्व के कारण भितरघात को बौना कर दिया। कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ लढ़ा के प्रचार से अधिसंख्यक सिंधिया खैमे के कार्यकर्ताओं ने दूरी बनाए रखी अथवा खुलकर भाजपा प्रत्याशी का साथ दिया।
सिद्धार्थ लढ़ा के विरोध में कांग्रेसी युवा अधिक सक्रिय रहे। उनमें वे युवा कार्यकर्ता शामिल थे जो शहर कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहते थे। चूकि चुनाव में यशोधरा राजे सिंधिया जीत गई इसलिए न तो वह भितरघतियों की शिकायत करने के मूड में हैं और न ही कांग्रेस प्रत्याशी हारने के बाद भी भितरघातियों की शिकायत करने की मन: स्थिति में है।
पोहरी में भी कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राठखेडा को हराने में इलाके के बडे-बड़े कांग्रेसी जुटे और उन्होंने खुलकर बसपा प्रत्याशी कैलाश कुशवाह का प्रचार किया। मजे की बात तो यह है कि पोहरी मेें भाजपा के भितरघातियों ने भी बसपा प्रत्याशी का प्रचार किया । दोनों दलों के भितरघाती कैलाश कुशवाह को जिताने के लिए जुटे लेकिन इसके बाद भी वह चुनाव नहीं जीत सके। सूत्र बताते हैं कि सुरेश राठखेड़ा ने अपने दल के भितरघातियों की शिकायत चुनाव परिणाम आने के पूर्व ही सांसद सिंधिया से की थी।
लेकिन अब चूकि पोहरी से कांग्रेस प्रत्याशी जीत गए हैं। इसलिए न तो पार्टी भितरघातियों के खिलाफ कार्रवाई की इच्छुक है और न ही विधायक सुरेश राठखेड़ा कार्रवाई करने की इच्छा रखते हैं। उनसे जुडे सूत्र बताते हैं कि चुनाव परिणामों ने बता दिया है कि भितरघातियों की औकात क्या है। जहां तक भाजपा प्रत्याशी प्रहलाद भारती का सवाल है तो उनकी हार इतने अधिक मतों से हुई कि वह भितरघात के कारण चुनाव हारे।
यह कहने की स्थिति में नहीं है। करैरा मेें भाजपा प्रत्याशी राजकुमार खटीक की पराजय में अहम भूमिका पार्टी के बागी प्रत्याशी रमेश खटीक की है। चूकि रमेश खटीक भाजपा में नहीं है। इस कारण करैरा में न तो भितरघातियों की शिकायत हुई और न ही पार्टी यहां लोकसभा चुनाव को देखते हुए कार्रवाई करना चाहती है। कांग्रेस प्रत्याशी जसवंत जाटव ने जीत के बाद भितरघातियों को माफ कर दिया है। पिछोर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी प्रीतम लोधी महज 2200 मतों से पराजित हुए और उनकी हार मेें भितरघात की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
लेकिन सूत्र बताते हैं कि भितरघातियों की पहचान होने के बाद भी उन्होंने पार्टी पर भितरघातियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोई दबाव नहीं बनाया। ऐसे में सिर्फ कोलारस में ही कांग्रेस के भितरघातियों के खिलाफ लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस प्रत्याशी के दबाव के कारण कार्रवाई हो सकती है।
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