शिवपुरी। राष्ट्रीय मीजल्स-रूबेला वैक्सीन टीकाकरण अभियान के तहत जिले के नौ माह से 15 वर्ष तक के 5 लाख 50 हजार बच्चों को 15 जनवरी से 28 फरवरी 2019 के बीच टीकाकरण किया जायेगा। उक्ताशय की जानकारी कलेक्टर श्रीमती शिल्पा गुप्ता की अध्यक्षता में जनवरी एवं फरवरी माह 2019 में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय मीजल्स-रूबेला वैक्सीन टीकाकरण अभियान के लिये आज आयोजित टास्कफोर्स की बैठक में दी गई।
जिलाधीश कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित बैठक में अपर कलेक्टर अशोक कुमार चौहान, जिला पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी राजेश जैन, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ए.एल. शर्मा, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. संजय ऋषिश्वर जिले के सभी अनुविभागीय दण्डाधिकारी, जिला अधिकारी एवं विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
कलेक्टर श्रीमती शिल्पा गुप्ता ने टास्क फोर्स की बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि राष्ट्रीय मीजल्स-रूबेला वैक्सीन टीकाकरण अभियान शासन का महत्वपूर्ण अभियान है। इस अभियान के माध्यम से हमें जिले के नौ माह से लेकर 15 वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण करना है। हमें ऐसी रणनीति तैयार करना है कि इस आयु वर्ग का एक भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रहे। उन्होंने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिये कि यह अभियान बच्चों के जीवन से जुड़ा होने के कारण टीकाकरण का कार्य बेहतर हो। इस अभियान से संबंधित जिले की जो कार्य योजना बनाई गई है, उसका एक बार अपर कलेक्टर से परीक्षण अवश्य करा लें।
श्रीमती गुप्ता ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि इस अभियान के सफल क्रियान्वयन में अपना पूर्ण योगदान दे, जिसका लाभ जिले के बच्चों को मिल सके। कलेक्टर ने कहा कि विभिन्न माध्यम से खसरा-रूबेला अभियान के संबंध में लोगों को जागरूक करें जिससे अभिभावक अपने बच्चों को यह टीका लगवा सके।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ए.एल. शर्मा ने अभियान की जानकारी से अवगत कराते हुये बताया कि इस अभियान के क्रियान्वयन में शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, नगरीय प्रशासन, रेलवे, पंचायत राज सहित विभिन्न स्वयं सेवी संस्थाओं का विशेष योगदान रहेगा। उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित एवं प्रभावशील है। जो बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करेगी।
डॉ. संजय ऋषिश्वर ने बताया कि 15 जनवरी से फरवरी 2019 तक चलने वाले इस टीकाकरण अभियान के तहत जिले के नौ माह से लेकर 15 वर्ष तक लगभग 5 लाख 50 हजार बच्चे कवर होंगे। जिसमें 3 हजार 131 स्कूलों के 03 लाख 60 हजार बच्चे और 02 हजार 408 आगनवाडी केन्द्रों के लगभग 01 लाख 98 हजार 316 बच्चे शामिल हैं।
ज्ञातव्य है कि भारत सरकार द्वारा लिये गये निर्णय के तहत वर्ष 2020 तक खसरा रोग निर्मूलन एवं रूबेला रोग नियंत्रण किया जाना है। देश में प्रतिवर्ष खसरा रोग से 49 हजार बच्चों की मृत्यु हो जाती है और 30 हजार बच्चे कन्जेनाइटल-रूबेला सिन्ड्रोम के साथ पैदा होते हैं, जो हमेशा के लिये परिवार व समाज के लिये परेशानी पैदा करते है। इसकी रोकथाम हेतु भारत शासन द्वारा वर्ष 2017 में 21 राज्यों में खसरा-रूबेला अभियान सफलतापूर्वक संचालित किया गया था। प्रदेश में यह अभियान 15 जनवरी 2019 से फरवरी 2019 तक चलाया जायेगा, जिसमें नौ माह से 15 वर्ष तक के समस्त बच्चों को खसरा-रूबेला (एम.आर वैक्सीन) लगाया जायेगा।
रूबेला के लक्षण
रुबेला के लक्षणों में कम बुखार, मिचली और प्रमुख रूप से गुलाबी या लाल चकत्तों के निशान शामिल हैं, जो लगभग 50-80 प्रतिशत मामलों में उत्पन्न होते हैं। चकत्ते प्रायः चेहरे पर निकलते हैं, नीचे की ओर फैलते हैं और 1-3 दिनों तक रहते हैं। वायरस के संपर्क में आने के 2-3 दिनों के बाद चकत्ते निकलते हैं। चकत्ते निकलने के 1-5 दिनों तक की सर्वाधिक संक्रामक अवधि होती है। रुबेला विशिष्ट रूप से विकसित हो रहे भ्रूण के लिए खतरनाक होता है।
वायरस वायुजनित श्वसन के छींटों द्वारा फैलता है। संक्रमित व्यक्ति रुबेला के चकत्तों के निकलने के एक हफ्ते पहले भी, और इसके पहली बार चकत्ते निकलने के एक हफ्ते बाद तक संक्रामक हो सकते हैं। (यह बहुत ही संक्रामक होता है जब चकत्ता पहली बार निकलता है।) सीआरएस के साथ जन्मे बच्चे एक वर्ष से अधिक समय तक दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। रुबेला के मामले जाड़े के अंत में या बसंत के शुरुआत में अपने चरम पर होते हैं।
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