पोहरी चुनाव: धाकड नही अन्य समाज है इस चुनाव में किंगमेकर की भूमिका में, ब्राह्मण मतदाता पर सबकी नजर | Shivpuri News

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एक्सरे @ ललित मुदगल,शिवुपरी। बॉलीवुड की मशहूर फिल्म बाजीगर का प्रसिद्ध् डॉयलाग जीत कर हारने वाले को बाजीगर कहते है,कुछ ऐसा ही पोहरी की विधानसभा में हो रहा है पर इस डॉयलाग उल्टा करना पडेगा, हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते है। पोहरी विधानसभा में हमेशा की तरह भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला है,लेकिन बलशाली हाथी हो रहा है और इस चुनाव में धाकड नही अन्य समाज किगमेकर की भूमिका में आ गया है,और ब्राह्मण मतदाता की पर सबकी नजर है आईए इस चुनाव में जातिगत समीकरणो का एक्सरे करते हैं।

जैसा कि विदित है कि पोहरी विधानासभा का चनुाव शुद्ध् रूप से जातिगत होता है,यह कोई मुददा कोई लहर काम नही करती हैं अधिकांश: यह मुकाबला धाकडो और ब्राह्मणो के बीच होता है। भाजपा अगर किसी धाकड को उम्मीदवार घोषित करती है,तो कांग्रेस किसी ब्राह्मण उम्मीदवार को अपना प्रत्याशी बनाती है। कुल मिलाकर दोनो मुख्य दल धाकड और ब्राह्मण प्रत्याशी को ही टिकिट देती हैं। 

पिछले 2 बार से यहां धाकड अजेय है और इन्ही धाकडो की मतशक्ति के कारण प्रहलाद भारती पिछली 2 बार से यहां चुनाव जीतते आए है। तीसरी बार भी भाजपा ने धाकड जाति से प्रहलाद भारती को ही अपना उम्मीदवार बनाया हैं, उम्मीद थी कि कांग्रेस किसी ब्राह्मण को अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती हैं लेकिन ऐसा नही हुआ धाकडो को अजेय मानकर कांग्रेस ने भी अपना प्रत्याशी धाकड सुरेश राठखेडा को अपना प्रत्याशी  बनाया हैं।
 
इस कारण पोहरी विधानसभा के पूरे जातिगत समीकरण हिल गए। इसके बाद पोहरी से भाजपा से टिकिट की मांग कर रहे विवेक पालीवाल ने भी अपना नामाकंन निर्दलीय के रूप में भर दिया, सर्वे हुआ और ब्राह्मण समाज की बैठक हुई ओर यह निर्णय लिया गया कि निर्दलीय चुनाव लडना खतरे से खाली नही है। इस कारण विवेक पालीवाल ने अपना नामांकन वापस ले लिया।अब पोहरी से भाजपा कांग्रेस के अतिरिक्त बसपा के कैलाश कुशवाह मैदान में है। 
 
पोहरी विधानसभा से जातिगत वोटो की बात करे तो एक आकंडे के अनुसार लगभग 35 हजार मतदाता धाकड समाज,20 हजार ब्राह्मण समाज, 25 हजार कुशवाह, 40 हजार आदिवासी, 20 हजार जाटव, 8 हजार गुर्जर, 7 हजार बघेल, 7 हजार परिहार, 6 हजार वैश्य, 12 हजार यादव और 2 हजार मुस्लिम मतदाता है। सबसे ज्यादा मतदाता आदिवासी है,लेकिन उनका यहां कोई नेता न होने के कारण उक्त संख्या बल चुनावी प्रत्याशी प्रक्रिया में शून्य हो जाती हैं।

भाजपा के प्रहलाद भारती, कांग्रेस के सुरेश राठखेडा दोनो ही धाकड समाज के होने के कारण अब समाज के वोट दोनेा ओर जाने का अनुमान हैं, पिछली बार के चुनावो में धाकड समाज के मतदाता अपने ही समाज के प्रत्याशी को वोट कर रहे थे। इसलिए प्रहलाद भारती 2 बार से चुनाव जीत रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने इस जातिगत समीकरण को ध्वस्त कर दिया,कांग्रेस प्रत्याशी भी धाकड समुदाय से है इस कारण इस बार धाकडो को वोट दोनो पार्टियो की ओर जाने का अनुमान लगाया जा रहा हैं 

पोहरी के चुनाव में अक्सर देखा गया है कि धाकड प्रत्याशी के खिलाफ ब्राहम्मण प्रत्याशी मैदान में होता है,लेकिन अब नही है। अब बात करते है अन्य समाजो की तो अक्सर देखा जाता है कि जाटव मतदाता बसपा की ओर जाता है,आदिवासी मतदाता दोनेा ओर बटता है,ओर इसके अतिरिक्त अन्य समाज वहां जाता है जहां ब्राहम्मण समाज जाता हैंं। इस चुनाव में तीसरी जाति का उदय कुशवाह समाज के रूप में हुआ है। अपनी समाज के वोटो की संख्या बल पर ही कैलाश कुशवाह बसपा के हाथी पर सवार होकर मैदान में है।

कुल मिलाकर पिछले 2 चुनावों की तरह धाकड समाज इस चुनाव का किंगमेकर नही है। इस पुरे जातिगत समीकरण में यह बात तय है कि ब्राह्मण वोटर धाकड प्रत्याशी को और धाकड समाज ब्राह्मण प्रत्याशी को वोट नही करता है। ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में नही है अब ब्राहम्मण समाज धाकड प्रत्याशी को वोट नही करेगा तो किस ओर जा सकता है हाथी को अपना साथी बना सकता हैं तो भाजपा और कांग्रेस के लिए संकट आ सकता है। क्यो कि ब्राहम्मण समाज का अनुशरण कई समाज करते है,इससे यह तो तय हो गया कि इस बार धाकड समाज पोहरी का किगमेंकर नही है।
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