शिवपुरी। जिले के 5 विधानसभा सीटो में कोलारस विधानसभा पर प्रत्याशियों की सबसे ज्यादा घामासान हैं, खासकर भाजपा में, प्रत्येक दिन कोलारस विधानसभा के समीकरण बदल रहे हैं, कांग्रेेस विधायक महेन्द्र सिंह यादव लगभग फायनल हैं लेकिन भाजपा से उम्मीदवारों की एक लम्बी लिस्ट हैं। कोलारस से 2 पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन और वीरेन्द्र रघुवंशी भाजपा से टिकिट की मांग कर रहे है। इनके अतिरिक्त भाजपा के जिलाध्यक्ष सुशील रघुवंशी, पारंपरिक दावेदार आलोक बिंदल, बदरवास के कल्याण यादव, मढ़वासा के सुरेन्द्र शर्मा भी भाजपा से टिकिट की मांग कर रहे हैं।
कोलारस विधानसभा से 2 बार चुनाव हार चुके देवेन्द्र जैन खुद को सबसे सशक्त दावेदार बता रहे हैं। उनके छोटे भाई जितेन्द्र जैन गोटू भी अपने लिए टिकट मांग रहे हैं। भोपाल के गलियारों से खबर आई कि कोलारस से भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी का टिकट फायनल हो गया, इस खबर को सुन देवेन्द्र जैन एंड कंपनी ने सीएम हाउस पर डेरा डाल दिया था, लेकिन सीएम से मुलाकात नही हो सकी। इसके बाद वीरेन्द्र रघुवंशी ने भी भोपाल डेरा डाल दिया। खबर है कि सुशील रघुवंशी भी अपनी टीम के साथ भोपाल पहुंच गए हैं।
कुल मिलाकर भाजपा में अंतकर्लह खुल कर सामने आ रही हैं। इन दोनों में से किसी को टिकिट फायनल होता है तो भितरघात की अपार संभावना हो सकती है। अब राजनीति के गलियारों में एक नया नाम सामने आ रहा है। कल्याण यादव बदरवास मूल की रहने वाले हैं। भाजपा के सक्रिय नेता हैं। सन 2004 में युवा मोर्चे के अध्यक्ष, पिछले 10 साल से जनपद सदस्य, पत्नि अभी बदरवास नगर परिषद में पार्षद और छोटा भाई कृषि उपज मंडी में डारेक्टर है। कुल मिलाकर पूरा परिवार जनप्रतिनिधि है।
राजनीति की हवाएं कह रही है कि कल्याण यादव का नाम इस कारण भी चर्चा में आ गया है कि विधानसभा में यादव अजेय है। फिर चाहे वो रामसिंह यादव हो, बैजनाराथ यादव, लाल साहब यादव या उनके परिवार और रिश्तेदार। उपचुनाव में पूरी की पूरी मप्र सरकार यादवों की एकता को नही तोड सकी। इस विधानसभा में यादवों की 32 हजार संख्या है। अगर विधायक महेन्द्र सिंह यादव से पहले भाजपा किसी यादव नेता की टिकिट फायनल कर देते हैं, तो भाजपा पहली मानसिक बढत ले सकती हैं।
देवन्द्र और वीरेन्द्र के टिकट के टटें में आलोक बिंदल के नाम पर भी पार्टी विचार कर सकती हैं। आलोक बिंदल को कोलारस में मूल भाजपा के नाम से जाना जाता हैं। आलोक बिदंल का परिवार जनसंघ के समय से भाजपा से जुडा हैं। आलोक बिदंल पार्टी के पैरामीटर पर खरे उतरते हैं। वैसे एक बात और भी है कि बिंदल का नाम हर चुनाव में चलता ही है। कभी किसी ने गंभीरता से लिया नहीं।
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