शिवपुरी। सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ. गोविन्द सिंह के खिलाफ कोतवाली शिवपुरी में विद्वेष फैलाने का मामला दर्ज किया गया है। डॉ. सिंह के खिलाफ यह कायमी महिला बाल विकास विभाग के निम्र श्रेणी लिपिक दिग्विजय सिंह चंदेल के आवेदन पर हुआ है। श्री चंदेल ने आवेदन के साथ एक सीडी भी प्रस्तुत की। डॉ. सिंह के खिलाफ भादवि की धारा 294, 153ए और 180 के तहत मामला कायम किया गया है। बताया जाता है कि पुलिस ने इनके खिलाफ आधी रात के बाद मामला दर्ज किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार फरियादी द्वारा प्रस्तुत सीडी को लैपटॉप चलाकर देखा गया तो उसमें डॉ. सिंह अपने कार्यालय में संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार आयुष्मान भारत योजना के शुभारंभ समारोह के दिन उक्त रिकॉर्डिंग डॉ. गोविन्द सिंह के खिलाफ की गई थी। उस दिन वह एप्रेन पहने हुए थे।
गैर जमानती धारा में दर्ज हुआ मामला
डॉ. गोविन्द सिंह के खिलाफ भादवि की धारा 153ए के तहत कायमी की गई है। यह धारा उस व्यक्ति के खिलाफ इस्तेमाल होती है जो जाति, धर्म और भाषा के आधार पर विद्वेष फैलाने का कार्य करता है। इसमें दोषी सिद्ध होने पर आरोपी को तीन साल तक की सजा और अर्थदण्ड अथवा दोनों की सजा काटनी होती है। यह गैर जमानती संज्ञेय अपराध है और इसमें राजीनामा नहीं होता।
निर्वाचन आयोग से शिकायत के बाद हुई कायमी
सूत्र बताते हैं कि इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. गोविन्द सिंह के खिलाफ एफआईआर निर्वाचन आयोग से की गई शिकायत के बाद हुई है। बताया जाता है कि निर्वाचन आयोग से शिकायत की कॉपी और सीडी कलेक्टर तथा जिला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती शिल्पा गुप्ता को भेजी गई थी और जिला निर्वाचन अधिकारी ने अपने स्तर पर इस मामले की जांच कराई तब पुलिस ने आधी रात के बाद सिविल सर्जन के विरूद्ध मामला दर्ज किया।
सूत्र बताते हैं कि एफआईआर दर्ज होने के बाद सिविल सर्जन डॉ. सिंह का अपने पद पर बने रहना मुश्किल है और एक-दो दिन के भीतर उन्हें पद से हटाया जा सकता है।
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