शिवपुरी। भावांतर योजना में शिवपुरी मंडी द्वारा 9.31 करोड़ के भुगतान से ठीक पहले धांधली पकड़ी गई है। प्रशासनिक सतर्कता से योजना काे पलीता लगने से बचा है। पूरे फर्जीवाड़े में शामिल मंडी सचिव सहित अन्य लोगों पर सिटी कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराना मंडी बोर्ड अफसरों को नागवार गुजर रहा है। मंडी बोर्ड भोपाल के एसडी वर्मा के नेतृत्व में जांच दल अब अलग स्तर से जांच कर रहा है। प्रशासनिक जांच को ही आधार बनाकर मंडी बोर्ड नई जांच कर रहा है। प्रशासनिक दल के जांच प्रतिवेदन में जिन किसानों के पंजीयन पर प्याज खरीदी की है, उन पंजीयन को गलत बताया है। किसानों के जिन पंजीयनों पर धांधली हुई है, उन्हीं को आधार बनाकर राजस्व विभाग के पटवारी तहसीलदारों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया में मंडी बोर्ड लगा है।
मंडी बोर्ड संभाग ग्वालियर के संयुक्त संचालक आरपी चतुर्वेदी का कहना है कि हम अपना जांच प्रतिवेदन बनाकर मंडी बोर्ड एमडी को भेजेंगे और एमडी यह प्रतिवेदन शासन को भेजा। उसके बाद शासन द्वारा ही कार्रवाई कर सकेगा। मंडी बोर्ड का मानना है कि इस धांधली की शुरूआत मंडी में आकर नहीं हुई है। बल्कि पंजीयन प्रक्रिया के दौरान ही काफी गड़बड़ियां रहीं।
यदि मंडी बोर्ड के जांच प्रतिवेदन पर शासन कार्रवाई करता है तो संबंधित तहसीलदार और पटवारियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। तौल पर्ची पर तुलावटी के हस्ताक्षर होते हैं। जो प्याज कागजों में खरीदी है, उसमें हम्माल-तुलावटियों की भूमिका भी संदिग्ध है। वहीं गेट पास जारी करने वाले मंडी निरीक्षक और खरीदी प्रक्रिया के नोडल अधिकारी भी कार्रवाई की गाज गिरना तय है।
प्रारंभिक प्रक्रिया में गड़बड़ी, पटवारी-तहसीलदार जिम्मेदार
प्रशासन के जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट लिखा है कि कुछ किसानों ने लहसुन-प्याज की फसल नहीं बोई है। मंडी में फिर भी खरीदी हो गई। लेकिन पंजीयन प्रक्रिया के दौरान वेरीफिकेशन पटवारी व तहसीलदार करते हैं। प्रारंभिक दौर में ही गड़बड़ी रही। पूरी जांच बनाकर एमडी को भेजेंगे, जो शासन को सौंपेंगे।
आरपी चतुर्वेदी, संयुक्त संचालक, मंडी बोर्ड संभाग ग्वालियर
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