शिवपुरी में पाकिस्तान विभाजन के बाद से ही पंजाबी समाज करता है सिद्धेश्वर पर रावण का दहन

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शिवपुरी। आज पूरे देश में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माने जाने रावण का दहन पूरे धूमधाम से किया जाता है। यह दहन की प्रक्रिया आज से नहीं अपितु बीते लंबे समय से चली आ रही है। शहर के आकर्षण का केन्द्र रहने बाले सिद्धेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में रावण की विशाल प्रतिमा का दहन किया जाता है। बताया गया है कि रावण दहन की परंपरा लगभग 65 वर्ष पुरानी है। बताया गया है कि विभाजन के बाद पाकिस्तान और सिंध प्रात को छोड़कर शिवपुरी आया पंजाबी समाज ने इसे सिद्वेश्वर मेला ग्राउंड में रावण दहन की परंपरा शुरू की।

पंजाबी परिषद ने बताया कि विभाजन के बाद पाकिस्तान और सिंध प्रांत से अपना सब कुछ छोड़कर शिवपुरी में बतौर रिफ्यूजी आए पंजाबी परिषद के लोगों ने जब शिवपुरी को अपना घर बनाया तो उन्होंने देखा कि यहां दशहरे पर रावण दहन का कोई बड़ा प्रोग्राम नहीं होता है। 

इसी के बाद पंजाब प्रांत से आए इन लोगों ने सिद्धेश्वर मैदान को रावण दहन के लिए चुना। इसके बाद रावण दहन हर दशहरे पर बड़े प्रोग्राम के रूप में चालू हो गया। रावण दहन के कार्यक्रम से पहले पंजाबी परिषद के लोग रामरथ निकालते हैं जिसमें भगवान राम के अलावा सीता, हनुमान और लक्ष्मण बतौर स्वरूप शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए रावण दहन स्थल पर जाकर कार्यक्रम में सम्मिलित होते हैं। 

केवल पंजाबी परिषद स्वयं अपने खर्चे पर करती है यह कार्यक्रम
पंजाबी परिषद इस आयोजन के लिए आपस में ही समाज के सभी लोगों से राशि एकत्रित करने का काम करती है। इस साल 45 फीट के रावण दहन के लिए एक लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च की जा रही है। जिसमें पंजाबी परिषद के सभी सदस्यगण अपनी इच्छानुसार राशि देते हैं। परिषद के पदाधिकारियों ने बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा शुरू किए गए इस कार्यक्रम में आज भी नौजवान पीढ़ी की अच्छी-खासी दिलचस्पी है। 

भाईचारा बना रहे यही रहा उद्देश्य 
पंजाबी परिषद के लोगों का मानना है कि शिवपुरी में कई साल से चली आ रही इस परंपरा में इसी तरह सभी वर्गों का भाईचारा और सौहार्द इसी तरह बना रहे यही समाज के लोगों का उद्देश्य है। 

इस बार सीवर खुदाई बनेगी मुख्य रोडा 
शहर के सिद्धेश्वर मेला प्रागण में आज होने बाले रावण दहन में शहर में चल रही सीवर खुदाई मुख्य रोडा बनकर सामने आएगी। इस खुदाई से पूरा रास्ता बंद है। हांलाकि प्रशासन ने यहां जाने के लिए गुरूगोरखनाथ मंदिर के पास से रास्ता बनाया है। हांलाकि इस मामले का प्रचार प्रसार नहीं हो पाने से यहां भीड हर वर्ष की भांति नहीं जुट पाएगी।

हजारों लोग जुटते हैं।
हमारे बुजुर्ग भारत-पाक विभाजन के बाद जब शिवपुरी आए तो उन्होंने देखा कि शिवपुरी में रावण दहन का कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं होता है। इसके बाद यह प्रोग्राम शुरू हुआ। आज भी सौहार्द पूर्ण माहौल में यह कार्यक्रम होता है। इसमें हजारों लोग जुटते हैं। परंतु सीवर खुदाई के चलते बंद पडी इस रास्ते का ओपचारिक विकल्प प्रशासन ने तैयार किया है। परंतु यह भी भीड जुटाने में सार्थक साबित नहीं होगा। 
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