शिवपुरी। मप्र के आम चुनावो की घोषणा हो चुकी हैं, आज से आदर्श आचार संहिता प्राभावी हो चुके हैं। इस चुनाव में भाजपा को अपनी कुर्सी बचानी है ओर कांग्रेस को कुर्सी हथियानी हैं। इस बार कांग्रेस कोई गलती नही करना चाहती हैंं। इसलिए टिकिट चयन के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं। राजनीतिक गलियारो से ऐसी हवा आ रही है कि पहली लिस्ट में 2013 के चुनाव में जीते कुछ कांग्रेस विधायक और उस चुनाव में 3 हजार मतों तक पराजित हुए उम्मीद्वार तथा इसके बाद 3 से 6 हजार मतों से पराजित हुए उम्मीदवार शामिल होंगे।
सूत्रों की खबर है कि पहली लिस्ट में शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक पिछोर विधानसभा क्षेत्र से केपी सिंह की उम्मीद्वारी घोषित होगी जबकि कोलारस विधायक महेन्द्र यादव और करैरा विधायक शकुन्तला खटीक का नाम पैनल में फंसा हुआ है।
स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में रखने के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों की सर्वे रिपोर्ट तैयार है और इसके बाद प्रत्याशी चयन किया जाएगा। चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि इस बार टिकट का फैसला किसी की सिफारिश से नहीं, बल्कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर होगा।
कांग्रेस प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जीतने योग्य उम्मीद्वारों को टिकट देगी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 230 सीटों में से 58 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। इनमें से आधे से अधिक विधायकों को कांग्रेस पुन: चुनाव मैदान में उतार रही है। जिन विधायकों का टिकट पक्का है उनमें पिछोर विधायक केपी सिंह हैं जो कि अपने निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांच बार से जीत रहे हैं।
करैरा विधायक शकुन्तला खटीक पिछले चुनाव में 12 हजार मतों से जीती थीं, लेकिन इसके बाद भी सर्वे रिपोर्ट और विधायक के खिलाफ एंटीइनकम्वंशी फैक्टर के कारण उनका टिकट अभी फंसा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि करैरा से कांग्रेस के पैनल में विधायक शकुन्तला खटीक के अलावा उनके विकल्प के रूप में जसवंत जाटव का नाम है, लेकिन कांग्रेस के समक्ष समस्या यह है कि भाजपा से खटीक उम्मीद्वार उतरने की संभावना है वहीं बसपा ने प्रागीलाल जाटव की उम्मीद्वारी घोषित कर दी है।
हालांकि करैरा से योगेश करारे, मानसिंह फौजी और केएल राय भी टिकट मांग रहे हैं। कांग्रेस के लिए कोलारस सीट चिंता का विषय है। कोलारस में 2013 के चुनाव में कांग्रेस के रामसिंह यादव 25 हजार मतों से जीते थे, लेकिन उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस सहानुभूति लहर के बावजूद सिर्फ 8 हजार मतों से जीतने में सफल रही। उपचुनाव के बाद भाजपा ने कांग्रेस के इस गढ़ को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस क्षेत्र में घोषणाओं की झड़ी लगा दी है वहीं विधायक महेन्द्र सिंह यादव को छह माह में ही इस विधानसभा क्षेत्र में एंटीइनकम्वंशी फैक्टर का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि कांग्रेस ने उपचुनाव में जीते महेन्द्र सिंह यादव के टिकट को अभी हरी झण्डी नहीं दिखाई है।
इस विधानसभा क्षेत्र के पैनल में उनके अलावा जिला कांग्रेस अध्यक्ष बैजनाथ सिंह यादव का नाम बताया जा रहा है, लेकिन यदि पार्टी ने स्व. रामसिंह यादव के परिवार में से ही टिकट देने का फैसला किया तो विधायक महेन्द्र सिंह यादव की बहिन मिथलेश यादव का नाम भी है। मिथलेश यादव राजनीति में भी सक्रिय हैं और वर्तमान में जनपद पंचायत बदरवास की अध्यक्ष हैं। शिवपुरी और पोहरी विधानसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस नए उम्मीद्वारों को टिकट देने जा रही हैं ऐसा सूत्रों का कथन है। दोनों विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस पिछले चार-पांच चुनावों से लगातार पराजित हो रही है।
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