तीसरी जाति हाथी पर सवार होकर खडा कर सकती है भाजपा और कांग्रेस को संकट

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एक्सरे ललित मुदगल, शिवपुरी। प्रदेश में आचार संहिता प्रभावी हो चुकी हैं। पोहरी विधानसभा में कांग्रेस ने पिछले 4 बार से हार रही हैं। भाजपा पिछली 2 बार से जीत रही हैं, उसे इस बार अपनी कुर्सी बचाने के लिए चुनाव लडना हैं, कांग्रेस को कुर्सी पानी हैं,लेकिन इस बार पोेहरी में समीकरण बदल रहे हैं। तीसरी जाति का उदय, हाथी की सवारी, कहानी बदल रही हैं। उक्त समीकरण भाजपा-कांग्रेस को संकट में खडा कर सकती हैं।आईए तीसरी जाति, हाथी की सवारी का एक्स-रे करते हैं;

न मुद्दा,न विकास का प्लान सिर्फ जातिवार की लड़ाई इस विधानसभा में

पोहरी विधानसभा एक जिले की एक ऐसी विधानसभा है जहां शुद्व रूप से जातिगत चुनाव होता है। यहां मुख्य रूप से धाकड और ब्राहम्णो की वर्चस्व की लड़ाई होती है। मप्र के सक्रिय राजनीतिक दल भी धाकड और ब्राह्मण प्रत्याशी को ही टिकिट देती है, पिछले कई विधानसभा इसी गणित पर लडे गए है, लेकिन पोहरी विधानसभा में नरवर क्षेत्र का हिस्सा जुड जाने के कारण अब तीसरी जाति कुशवाह जाति का भी उदय हो गया है और इस जाति का प्रत्याशी भी इस विधान सभा में जीत का वरण कर सकता है। 

समझे पोहरी विधानसभा की जातिगत वोटरों का गणित

पोहरी विधान सभा की जातिगत वोटो की बात करे तो एक आकंडे के अनुसार लगभग 35 हजार मतदाता धाकड समाज से है, इसी तरह 20 हजार ब्राह्मण, 25  हजार कुशवाह, 40 हजार आदिवासी, 20 हजार जाटव, 8 हजार गुर्जर, 7 हजार बघेल, 7 हजार परिहार, 6 हजार वैश्य और 2 हजार के आसपास मुस्लिम मतदाता है। सबसे ज्यादा आदिवासी है, लेकिन उनका यहां कोई नेता न होने के कारण उक्त संख्या बल चुनावी प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में शून्य हो जाता हैं। 

परिसीमन के बाद हुआ है दूसरी जाति का उदय

पोहरी विधान सभा में परिसिमन में नरवर क्षेत्र का कुछ हिस्सा जुड जाने के कारण कुशवाह समाज के वोटो की संख्या में इजाफा हुआ हैं।इस कारण पोहरी विधानसभा में तीसरी जाति का उदय हुआ हैं। पोहरी विधानसभा में भाजपा से सभवत:निर्वतमान विधायक प्रहलाद भारती ओर कांग्रेस से पूर्व विधायक हरिबल्लभ शुक्ला प्रत्याशी हो सकते है,या यू कह लो की कांग्रेस और भाजपा से ब्राहम्मण और धाकड प्रत्याशी का चुनाव होना हैं।

बसपा का है 20 हजार का वोट बैक
अब तीसरी पार्टी बसपा की बात करते हैं,बसपा से कोई भी चुनाव लडे लगभग 20 हजार वोट आते है। सूत्र बता रहे है कि इस बार कैलाश कुशवाह शिवपुरी मंडी उपाध्यक्ष और शिवपुरी विधायक और मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के खास कहे जाने वाले बसपा का दामन थाम हाथी की सवारी कर सकते हैं।कैलाश कुशवाह भाजपा से टिकिट की मांग कर रहे थे। 

अगर ऐसा होता है। तो पोहरी का समीकरण बदल सकता है। बसपा के 20 हजार वोट और 25 हजार वोट कुशवाह समाज के, कुछ भी हो सकता हैं। इससे पूर्व हरिबल्लभ शुक्ला समानता दल से चुनाव जीत चुके हैं और उस समय समानता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखलाल कुशवाह थे, तो कह सकते है कि कुशवाह समाज ने हरिबल्लभ शुकला को एक तरफा वोटिंग की थी। तो कह सकते है कि अपने समाज के लिए एक तरफा वोट कर सकता हैं।

कैलाश कुशवाह पिछले 1 वर्ष से पोहरी क्षेत्र में सक्रिय है। पोहरी विधानसभा में कई कार्यक्रम करा चुके हैं, छर्च बेल्ट में कराए गए कार्यक्रम में संख्या बल से कई नेताओ के चेहरे मुरक्षा गए थे। इसके अतिरिक्त कैलाश कुशवाह के अन्य जातियो में भी पकड हैं, वे शिवपुरी में व्यापारी हैं। सुलभ और शांत है, मंडी में किसानो के हित की लडाई सर्व विादित हैं। 

ऐसा हम दावा नही करते है कि कुशवाह समाज एक तरफा किसी कुशवाह प्रत्याशी को ही मतदान कर सकता हैं, लेकिन पोहरी विधानसभा का गणित जातिगत आधार से ही तय होता हैं। इसी सभावना को देखते हुए पार्टीया भी जाति को आधार बनाकर अपना प्रत्याशी का चुनाव करती है। और राजनीति में सभांवना बडा हथियार होता हैं। 

कुल मिलाकर पोहरी विधानसभा में इस बार समीकरण बदल रहे हैं, कुशवाह समाज भी चाहता है कि अब उनके समाज का कोई प्रत्याशी चुनाव जीते। तीसरी जाति, तीसरी पार्टी और कैलाश कुशवाह की हाथी की सवारी पड सकती है भाजपा और कांग्रेस को भारी। 
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