शिवुपरी। सौन चिरैया अभयारण्य क्षेत्र में आने वाली कल्याणपुर रेत खदान को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कुछ दिनों पहले ग्राम पंचायत पपरेडू के सरपंच व सचिव ने इस खदान का पट्टा देने के लिए स्वीकृति दे दी थी, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि रेत खदान का पट्टा देने के लिए पहले ग्राम पंचायत में ग्राम सभा का आयोजन किया जाना था। पंचायत के सभी सदस्यों से ठहराव प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कराने थे, लेकिन सरपंच सचिव ने बाला बाला ग्राम सभा आयोजित कर खदान का पट्टा देने के लिए स्वीकृति दे दी। इससे यहां उत्खनन शुरू हो गया इसे लेकर गुस्साए ग्रामीण व पंचायत के सभी सदस्यों ने कलेक्टर शिल्पा गुप्ता को आवेदन देकर मामले में कार्रवाई करने की बात कही है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि यहां उत्खनन किया जाएगा तो ग्रामीण मतदान का बहिष्कार तो करेंगे। वे ग्राम पंचायत के भवन के सामने भूख हड़ताल व धरना प्रदर्शन करेंगे। इधर कलेक्टर ने इस मामले में कार्रवाई का भरोसा ग्रामीणों व सदस्यों को दिया है।
ग्राम पंचायत ने नियम विरुद्ध दिया रेत उत्खनन का पट्टा, ग्रामीणों ने की कलेक्टर से शिकायत
ग्रामीण बोले-मतदान का करेंगे बहिष्कार और भूख हडताल व आंदोलन की दी चेतावनी कल्याणपुर रेत खदान से हो रहा है। अवैध उत्खनन शिवपुरी। नईदुनिया प्रतिनिधि सौन चिरैया अभयारण्य क्षेत्र में आने वाली कल्याणपुर रेत खदान को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कुछ दिनों पहले ग्राम पंचायत पपरेडू के सरपंच व सचिव ने इस खदान का पट्टा देने के लिए स्वीकृति दे दी थी।
एनजीटी के आदेश से बंद की गई थी कल्याणपुर रेत खदान
सोन चिरैया अभयारण्य में होने के चलते कल्याणपुर रेत खदान को एनजीटी के आदेश के बाद बंद कर दिया गया था। अभयारण्य क्षेत्र में किसी भी प्रकार का उत्खनन नहीं किया जा सकता है। इसलिए इस खदान को बंद कर दिया गया था। लेकिन अब ग्राम पंचायत की स्वीकृति के बाद कल्याणपुर रेत खदान को पुन शुरू कर दिया गया है और यहां से दिन रात रेत का उत्खनन किया जा रहा है।
पट्टा 4.80 हेक्टेयर का उत्खनन 15 हेक्टेयर में
कल्याणपुर रेत खदान का पट्टा 4.80 हेक्टेयर का पंचायत द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसके बाद खनिज विभाग द्वारा भी 4.80 हेक्टेयर क्षेत्र में ही उत्खनन की परमीशन दी है, लेकिन यहां 15 से 20 हेक्टेयर क्षेत्र में उत्खनन किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पट्टा क्षेत्र से अधिक स्थान पर रेत का उत्खनन किया जा रहा है।
रास्ता नही है खडी फसलो की हत्या
ग्रामीणों का कहना है कि जहां से रेत का उत्खनन किया जा रहा है वहां कोई रास्ता नहीं हैं। नदी किनारे खेत लगे हुए हैं। ट्रैक्टर व डंपर व मशीनरी उन्हीं के खेतों से गुजर रहे हैं, जिससे उनके खेतों में खड़ी फसल भी खराब हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि कई खेतों में खड़ी फसल पूरी तरह से खराब हो गई है। इसकी शिकायत करते हैं तो जान से मारने की धमकी भी दी जाती है।
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