कोलारस में भाजपा की हार का कारण पैरामीटर के पैमाने पर टिकिट न देना, इसमें स्थानीय ही फिट

शिवपुरी। प्रदेश में आचार संहिता प्रभावी है, चुनाव आयोग ने चुनावो का बिगुल भी फूक दिया हैं, जिले की 5 विधानसभा सीटो पर भाजपा में सबसे ज्यादा टिकिट को लेकर कोलारस विधानसभा सीट पर है। इस सीट में नितनए गणित बन रहे है।

आज बात टिकिट लेने वाले चेहरे का नही पार्टी के प्रत्याशी को टिकिट देने वाले पैरामीटर पर भी होगी। टिकिट लेने वाले कई है। लेकिन देने वाली पार्टी की क्या गाईड लाईन है। इस पर मिडिया कभी बात नही करती है,समाचारो का प्रकाशन नही करती हैं।

किसी भी सगंठन के विचारधारा को देखकर ही कोई व्यक्ति उसे ज्वाईन करता हैं। उसके अपनी एक गाईडलाईन होती हैं। भाजपा की टिकिट देने की क्या गाईड लाईन है,क्या पैरामीटर है किस गणित से प्रत्याशी का चयन होता हैं, हालाकि टिकिट देने के समय सभी पैरामीटरो के मीटरो को तोड दिया जाता है।

आज हम केवल कोलारस की बात करते हैं। कोलारस से भाजपा में टिकिट के प्रसाद की लम्बी लाईन लगी है, सबसे जैन बद्रर्स पत्ते वाले, कांग्रेस से आयतित वीरेन्द्र रघुवंशी, मडवासा के मोडा सुरेन्द्र शर्मा, कोलारस के सेठ आलोक बिदंल के अतिरिक्त भी कई नाम है जो कोलारस से भाजपा से टिकिट के दावेदार हैं।

अगर पार्टी के पैरामीटर की बात करें तो दावेदार स्थानीय होना चाहिए,लोकप्रिय होना चाहिए,वे दाग ओर विवादित न हो,पार्टी का पुराना वर्कर हो, पार्टी के साथ-साथ समाजिक गतिविधियो में रूचिकार हो, पढा-लिखा हो,संगठन में कार्यकर्ताओ के साथ मधुर संबंध हो, कम से कम इतने गुणवान तो प्रत्याशी को होना चाहिए।

अब हम सबसे पहले जैन बद्रर्स पत्ते वालो में पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन की बात करते है,स्थानीय होने का सिर्फ ठप्पा है,स्थानीय नही र्हैं। अधिकतम 25000 वोटो से चुनाव हारने का किर्तिमान स्थापति होकर हारने की हैट्रिक बना चुके है। जातिवाद के पैरामीटर से बात। करे तो 10 हजार मतदाता कोलारस विधानसभा में इनके जाति से है। उपचुनाव में पूरी की पूरी सरकार चुनाव नही जीता सकी, संगठन में जुगाड हो सकती हैं, लेकिन कार्यकर्ताओ से पटरी नही  बैठने के आरोप लगते रहते हैं। अब कैसे यह चुनाव निकाल सकते हैं। सवाल बड़ा  है, अंतिम फैसला पार्टी का है।

अब बात करे कांग्रेस से आयतित होकर आए पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी की,सिंधिया के रथ पर सवार होकर शिवपुरी का उपचुनाव जीता। इसके बाद शिवपुरी विधानसभा से कांग्रेस के टिकिट से यशोधरा राजे के खिलाफ चुनाव लडा और हारे। सांसद सिंधिया की उंगली को छोड भाजपा का साथ पकडा। अब कोलारस विधानसभा से भाजपा की टिकिट की रेस में शामिल है।

स्वयं का कहना है कि टिकिट पक्का,लेकिन कोलारस विधानसभा के नेता और कार्यकर्ताओ का कहना कि वीरेन्द्र छोड किसी को भी टिकिट,अपने बडवोलेपन के लिए पहचाने जाने वाले वीरेन्द्र रघुवंशी को स्थानीय कार्यकर्ताओ से पटरी न बैठना। कांग्रेस से आए हैं,तालमेल का अभाव है।अभी एक वीडियो सोशल पर भी वायरल हुई थी,जिसमें अपने हिसाब से उपचुनाव का गणित बता रहे हैं। कोलारस मूल के रहने वाले है,लेकिन राजनीति शिवपुरी से शुरू की थी। अगर कोलारस से वीरेन्द्र को टिकिट मिलता हैं तो सबसे ज्यादा भितरघात की संभावना हैं

अब बात करते है। भाजपा से टिकिट की मांग कर रहे आलोक बिंदल की, कोलारस के मूल निवासी है। फ्रेश चेहरे है, यशोधरा राजे सिंधिया के नजदीकी में गिनती होती है। विवादित नही है, स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओ से तलमेल बैठता हैं। आलोक बिंदल ही नही आलोक बिंदल का परिवार जनसंघ के समय से पार्टी से जुडा है। बडा परिवार है कोलारस में ही निवास करता है। और पार्टी के वफादार नेता है। भितरघात होने की संभावना कम हैं। अगर पार्टी आलोक बिंदल को टिकिट देती है तो कार्यकर्ताओ का मनोबल बडेगा की पार्टी ने अपनी गाईड लाईन पर जाकर  टिकिट दिया या यू कह लो की मूल भाजपा को टिकिट दिया। आलोक बिंदल पार्टी के पैरामीटर पर सटीक बैठते है,लेकिन अभी तक पार्टी ने टिकिट क्यो नही दिया समझ से परे हैं

सुरेन्द्र शर्मा मडवासा का मौडा टिकिट की दौड में नाम में चौथा नाम हैं। सुरेन्द्र शर्मा् कोलारस में फ्रेश चेहरे है। युवा हैं। अखिल भारतीय परिषद से राजनीति की शुरूवात की हैं। काम कराना आता है। युवाओ से तालमेल अच्छा बैठता है। सगठन और सत्ता में पकड हैं। उपचुनाव से कोलारस में सक्रिय है। उपचुनाव के समय की भाजपा की घोषणाओ को लगभग पूरा करवाने को श्रेय जाता है। पार्टी के पैरामीटर पर उचित बैठते है।