गणवेश घोटाला: DM ने DPC को हटाया, DPC ने कहा DM में ताकत नही

शिवपुरी। जिले में उजागर हुए 10 करोड़ रू के घोटाले की धमक आज से दिखाई देने लगी हैं। आज इसी गणवेश घोटाले को लेकर भाजपा की छात्र विंग अखिल भारतीय परिषद ने कलेक्टर को इस मामले मे तत्काल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ज्ञापन सौंपा, इस ज्ञापन सौपने के मामले में दिन भर कलेक्टर शिल्पा गुप्ता और छात्र-छात्राओ के बीच हठयोग चला। अंतत: कलेक्टर को छात्रों के हाथो ज्ञापन लेना पड़ा। इसी ज्ञापन की धमक आज शाम से दिखाई देने लगी हैं। 

डीपीसी के रूप में पहला विकेट गिरा, कलेक्टर ने हटाया
जिले में हुए 10 करोड के घोटाले में डीपीसी शिरोमणि दुबे का पहला विकट गिरा हैं। कलेेक्टर शिल्पा गुप्ता ने स्कूलों में बंटने वाली गणवेश गुणवत्ता सत्यापन के लिए गठित समिति से आउट कर दिया है। डीपीसी पर इस कार्रवाई के पीछे उन पर आरोप लगाए गए हैं कि वह गणवेश वितरण कार्य में हस्ताक्षेप कर रहे हैं और मीडिया में बिना परीक्षण के भ्रामक जानकारी दे रहे हैं जिससे शासन की छवि धूमिल हो रही है। कलेक्टर के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है और अब गुणवत्ता सत्यापन समिति में डीपीसी की जगह पर जिला शिक्षा अधिकारी को रखा गया है।

मुझे कमिश्नर ने रखा है कलेक्टर मेें हटाने की ताकत नही: डीपीसी
इस मामले में डीपीसी की प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी स्कूल भी अमानक और गुणवत्ता विहिन गणवेश नही बंटने दी जाऐगी। मुझे कमिश्नर ने इस समिति में रखा है कलेक्टर मुझे किस अधिकार से हटा सकती हैं। मैं शासन का काम करता हूॅ, अमानक गणवेश जिले के किसी भी स्कूल में नही बटंने दी जाऐगी। 

कलेक्टर ने कहा चुनाव में शिकायत, डीपीसी का ट्रांसफर होना तय
कलेक्टर शिल्पा गुप्ता ने कहा इस इस समिति में डीपीसी शिरोमणि दुबे को आज नही 4 दिन पूर्व ही हटा दिया गया हैं। इसके लिए वकायदा शिक्षा विभाग के पीएस से अनुमोदन लिया गया हैं। जब उनसे हटाने का कारण पूछा तो उन्होने कहा कि डीपीसी की चुनाव में कई शिकायते हैं और उनका ट्रांसफर होना तय हैं। कई स्व: सहयता समूह की महिलाओं से डीपीसी ने अभ्रदता की हैं उक्त कारणों से डीपीसी शिरोमणि दुबे को गणवेश गुणवत्ता समिति से हटाया गया हैं। 

जुबानी जंग शुरू
इस पूरे मामले में आज दिन भर ड्रामा चलते रहा हैं। अब डीपीसी और कलेक्टर के बीच जुबानी जंग शुरू हो चुकी हैं। गणवेश घोटाले में 10 करोड रूपए किन अधिकारियों ने डकारे हैं लेकिन डीपीसी को गुणवत्ता समिति से हटाना इस बात के संकेत है कि डीपीसी इन घोटाले वाजो के राह के रोडे बन रहे थे,इससे पूर्व कई विद्यालयो की गणवेश उन्होने रिजेक्ट की थी। 

कही इस घोटाले में घोटालेबाजों को बचाने के लिए डीपीसी को तो नही हटाया हैं। क्योंकि डीपीसी बेबावाकी बायानी करते है। शिवपुरी समाचार डॉट कॉम से बातचीत करते हुए डीपीसी ने कहा कि इस लूट काण्ड में लूट का लाईसेंस किसने लिए उन लुटेरोें को हटना चाहिए। डीपीसी ने यह स्पष्ट नही किया कि लूट का लाईसैंस किसने जारी किया और लुटेरे कौन है। लेकिन अब फिर डीएम और डीपीसी की जुबानी जंग शुरू हो गई है अब आगे देखते है कि क्या होता हैं।