बैराड़ के लिए बुरी खबर: सप्ताह में 3 दिन बंद रहेगा अस्पताल| Bairad

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बैराड़। बैसे तो पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेबाएं बेंटीलेटर पर है। परंतु जिले के प्रभारी मंत्री होने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री रूस्तम सिंह के प्रभार वाले जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है। शिवपुरी जिले की स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से भगवान भरोसे चल रही है। इसी के चलते अब बैराड़ उपस्वास्थ्य केन्द्र की हालात यह निर्मित हो गई है। कि करोडों की लागत से बने इस स्वास्थ्य केन्द्र में बिल्डिंग तो है परंतु यहां डॉक्टर नहीं है। जिसके चलते अब मंगलवार, गुरूवार और शनिवार को बैराड़ उप स्वास्थ्य केन्द्र में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल सकेंगी। 

बैराड़ कस्बे सहित 100 गांव के ग्रामीणों की स्वास्थ्य सुविधाएं इन दिनों डॉक्टरों की कमी के कारण भगवान भरोसे बनी हुई हैं। यहां पदस्थ एक मात्र एलोपैथी पद्घति के डॉक्टरों डॉ. पवन गुप्ता को बीएमओ पोहरी ने तीन दिन पोहरी अस्पताल में सेवाएं देने के लिए अटैच कर लिया है। इस कारण 3 करोड़ 60 लाख की लागत से बने बैराड़ के 30 बिस्तरीय सरकारी अस्पता।ल में मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है, जहां एक ओर सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने का दावा कर रही है। 

वहीं दूसरी ओर यहां विधानसभा क्षेत्र पोहरी में विधायक प्रह्लाद भारती के दावों की पोल खोलकर रख दी है।  दरअसल पोहरी, बैराड़ के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है और संसाधनों का अभाव है, जिससे न सिर्फ मरीजों में, बल्कि आम जनता में भी सरकार के प्रति भारी रोष है। बीते एक दशक से सरकारी अस्पतालों में डॉक्टराोंं की कमी दूर होने के बजाय लगातार बढ़ती ही जा रही है। हर साल प्राथमिक व उप स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टरों रिटायर होते जा रहे हैं, लेकिन नई नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं, जिसके चलते ये स्थिति निर्मित हुई है। 

बैराड़ के सरकारी अस्पताल की हालत पहले ही बेहद खराब तथा चिंताजनक है। अब यहां के एक मात्र डॉक्टरों डॉ. पवन गुप्ता को 3 दिन अपनी सेवाएं पोहरी अस्पताल में देने के कारण बैराड़ क्षेत्र की जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बैराड़ अस्पताल पर करीब 100 गांवों के ग्रामीणों के स्वास्थ्य के देखभाल की जवाबदेही है। पार्षद राजीव सिंघल, नीरज गुप्ता, नासिर खान, मनोज नामदेव ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा कई बार नेताओं और अधिकारियों का अस्पताल की तरफ ध्यानाकर्षण कराया गया है, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि शासकीय अस्पताल इन दिनों स्वयं बीमार हो गए हैं और एक-एक करके कई सुविधा अस्थाई रूप से बंद होने से असुविधा में बदल गई हैं।

चलता है रैफर टू शिवपुरी सिस्टम
स्वास्थ्य केंद्र बैराड़ में उल्टी-दस्त मलेरिया, बुखार, टीवी व हृदय रोग आदि से पीडि़त मरीज उपचार के लिए अस्पताल में आते हैं, लेकिन प्रसूता महिलाओं को छोडक़र अन्य रोगों से पीडि़त मरीजों को मात्र इसलिए रेफर कर दिया जाता है, क्योंकि अस्पताल में डॉक्टरों ही नहीं है। इसी तरह से लड़ाई-झगड़े व एक्सीडेंटल के केसों में एमएलसी कराने के लिए बैराड़ से 25 किलोमीटर दूर पोहरी अस्पताल जाकर इलाज करवाना पड़ता है।

झोलाछाप कर रहे इलाज
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से जहां आमजनता को उपचार नहीं मिल रहा है। वहीं झोलाछाप डॉक्टर चांदी काट रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अस्पताल जाने पर जब डॉक्टर नहीं मिलते तो मजबूरी में उन्हें प्राइवेट अस्पतालों या फिर झोलाझाप से उपचार कराना पड़ता है। स्वास्थ्य केंद्र पर दवाओं का अभाव रहता है। इस कारण कई बार मांग के अनुरूप दवाइयां नहीं मिल पातीं और मरीजों को बाजार से महंगे दाम पर दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं। सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने की जिम्मेदारी विभाग के आला अफसर तथा सरकार की है, लेकिन यह कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। केवल प्रदेश में डॉक्टरों की कमी का हवाला देकर यह अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ देते हैं।

इनका कहना है
पोहरी में डॉक्टरों के छुट्टी पर जाने के कारण डॉ. पवन गुप्ता 3 दिन पोहरी तथा शेष दिन बैराड़ में सेवाएं दे रहे हैं। डॉक्टरों की कमी के कारण यह वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है।
सुनील गुप्ता, बीएमओ पोहरी।
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