
दोशियान ने बताया कि हमारी पूर्व में डाली कई शहर की पाईप लाईने पीएचई और नगर पालिका ने छतिग्रस्त कर दी। कुछ लाईने सीवर प्रोजेक्ट की भेट चढ गई। नेशनल हाईवे पर फोरलेन निर्माण के समय हमारी कई बार पाईप लाईनो को तोड दिया गया। हमे लगातार परेशान किया जा रहा हैं। हम आगे नगर पालिका से पत्र व्यवहार कर इस मसले को सुलझाने का प्रयास करेंगें। नही तो हम हाईकोर्ट की शरण लेेंंगें।
इस पूरे मामले में सबसे पहली बात तो यह की योजना की लेटलतीफी की केवल दोशियान को क्यों......इस प्रोजेक्ट को मॉनिटिंरिग कर रहे नपा के अधिकारी कर्मचारयिो को क्यो नही.....अगर दोशियान ने पाईप लाईन में गुणवत्ता से समझौता किया है तो नपा ने बिल पास कैसे किए किसने इस पाईप लाईनो में कमीशन खाया है उस अधिकारी ओर कर्मचारी को सजा क्यो नही......अगर कंपनी हाईकोर्ट चली गई ओर इस योजना में फिर लेट लतीफी हुई शहर को पानी प्यासे कंठो को नही मिला तो इसकी जबाबदारी कोन लेंगा।
जानकारो का कहना है कि नगर पालिका को दोशियान को टर्मिनेट करने का अधिकार नही हैं, दोशियान इस योजना के ठेकेदार न होकर पार्टनर हैं। यह प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर हैं। कंपनी के प्रबधंक अपने हिसाब किताब में 16 करोड रूपए नपा की ओर निकाल रहे हैं। प्रबंधक का कहना है कि इस पीपीपी मोड की योजना की शर्ताे का अक्षरश: पालन किया गया हैं।
दोशियान ठेकेदार न होकर पार्टनर की भूमिका में है,नगर पालिका अपने पार्टनर से बिना हिसाब-किताब करे अलग नही कर सकती है और न ही उसे यह अधिकार हैं। अगर मामला न्यायालय में जाता हैं तो न्यायालय इन दोनो का हिसाब-किताब कराने के लिए ऑब्जरबर नियुक्ति कर सकता है वह दोनो को हिसाब देख कर ही आगे का फैसला लेगा।
अगर यह बात सही है कि नपा और दोशियान के अनुबंध की शर्तो से आगे दोशियान ने इस योजना पर 16 करोड अपनी जेब से खर्च कर दिया तो गई भेंस पानी में.....कुल मिलाकर इस टर्मिनेट काण्ड में नपा ने अपना होमवर्क नही किया इस कारण जनता पर की उम्मीदो पर कुठाराघात हो गया। योजना न्यायालय के फेर में उलझ गई तो जनता को फिर भीष्ण जल संकट से गुजरना पड सकता हैं।